ट्रेवलिंग फलांना टू ढेमाका...🚀🚀✈

बेपरवाह परिंदो को जाल मे फंसाने की बिसात कहाँ? जहाँ चार पांच दिन की छुट्टी हुई ये  विभागीय फुरसतिये उड़नखटोलों पर सवार हो पहाड़ों, समुद्री तटो और हाई राइज मेट्रोज की तरफ उड़ जाते हैं। यूं तो छुट्टियों की इन्हें परवाह कम होती क्योंकि कार्य स्थलों पर आना जाना अमूमन कम होता है क्योंकि इससे थोड़ा इमेज गिरता है" साहब आप कबसे काम करने लगे!" काम तो मजदूर करते है साहिब लोग नही"। पेट्टी वर्कर या प्राइवेट कर्मचारी, इनके चहेते हैं जो इनके बिहाफ पर सारा काम संभाल लेते हैं बाकी काम आसान तो मोबाइल कंपनी वालों ने कर दिया है जो कहीं भी रहकर वांछित सूचना को उपलब्ध कराने मे इनका सहयोग करते हैं।"अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काज ।"कुछ आजाद परिंदे ,धरम करम का काम भी करते दिख जाते हैं। कभी कभी बूढ़े मां बाप का भी ख्याल आ जाता है, आखिर समाज को दिखाना भी तो है।वो तो भला हो इस फेसबुक का और उसपर अपने आपको हमेशा दिखाने की प्रवृत्ति का कि हमे पता चल जाता है कि फलाना साहब आज फलाने जगह पर सन बाथ लिए, या फलाने जगह चेक इन किए,ट्रेवलिंग फलाना टु ढेमाका✈✈  और हम समझ जाते हैं, साहिब तो उड़ लिए।वरना हम मूरख तो जान ही न पाते कि आजकल कहाँ मुंह मार रहे हैं। वाया रोड भी जायेंगे तो स्टेट्स अपडेट एयरोप्लेन का ही आयेगा, आखिर इमेज भी कोई चीज होती है, वेरीफाई तो कोई करेगा न!  हां यहाँ गौर तलब बात है कि अपनी वाली को ही साथ ले जाते हैं, तब ही अपना थोबड़ा पोस्ट करते हैं, जो विचरण कर आये और कुछ पोस्ट न किया ,उनपर शको सुबहा की गुंजाइश बनी रहती है। तो इन आजाद परिंदो पर संजाल तंत्र के माध्यम से दूरबीन लगाये आयकर,इडी और विजिलेंस वालो की बांछे भी इनके मनोहारी, मनोरम वादियो सहित दृश्यों को देख खिल जा रहे है कि हां अब आया  मरदूद रडार पर! अब कैसे बचोगे!पिक्चर अपलोड कर प्रूव भी दे दिया। तो उधर  इन लापरवाह परिंदो के स्वच्छंद विचरण  से हमारा पर्यटन उद्योग गदगद है और विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि वो इसको भ्रष्ट आचरण तथा आयकर के दायरे से हटाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे है। जिस तरह 30 सितंबर तक काले धन संबंधी स्कीम लागू की गई थी ,उसी तरह इन पर्यटनो पर किए गये खर्चे को काले धन की घोषणा के रुप मे लेने पर विचार है। स्कीम के अनुसार उन भगोड़े दिनो को भी वर्किंग डे के रुप मे ट्रीट किया जाएगा।जिला प्रशासन को काम छोड़कर भागने वाले और पर्यटन करने वालों को प्रोत्साहित करना होगा, इसमे उड़नेवाले मार्ग का चयन करनेवालों को वरीयता प्रदान की जाएगी।चार दिन का प्लान बनाने वालों को वन डे वन नाइट का एडीशनल बेनिफिट बोनांजा दिया जाएगा। तो पहले से ही कोवलम,गोवा, मन्नार बीचों के समुद्रोन्मुखी होटलों , डोड्डा बेट्टा, रोहतांग दर्रा, दार्जिलिंग, उटी के उच्च स्थलीय सुईटो  या धार्मिक पछियो द्वारा शिरड़ी, वैष्णो देवी के होटलों मे रिजर्वेशन कराये परिंदो को सरकारी कैलेंडर का बेसब्री से इंतजार रहता है। सबसे पहले शासन द्वारा निर्गत छुट्टियों के कैलेंडर का अवलोकन करेंगे और उसमे उड़ान का प्लान बनायेंगे तथा उसपर व्यय होनेवाली धनराशि का इस्टीमेट और जुगाड़ भी।पर्यटन विभाग के नये प्रस्ताव से बांछे खिल रही है कि शायद इस तरह के दौरों पर एडीशनल इंक्रीमेंट भी घोषित न हो जाये।इन परिंदो के  लिए मई, जून और जुलाई का माह बड़ा ही दुखदायी होता है क्योंकि सरकारी छुट्टियां नही होती, हालांकि बंक मारने वालों और भगोड़ो के लिए यह मायने नही रखता, यह तो इक बहाना ही है। सिर्फ उनको सेट करना होता है जो कुछ बिगाड़ सकता है उनसे क्या डरना जो" नखहीन, दंतहीन, विषहीन, विनीत सरल हो"!गांधी बाबा इतने प्रासंगिक है कि जो बिगाड़ सकता है उसके मुंह पर उन्हें दे मारो। बेचारे मार पीट से जिंदगी भर बचते रहे पर अब उनके बाद उनका जैसा उपयोग करो।और सितंबर से मार्च तक तो परिंदो की चांदी ही चांदी है क्योंकि सारे पर्व त्योहार इसी समय होते हैं जिनका पर्यटन उद्योग मे महत्वपूर्ण योगदान है। उतर प्रदेश मे सार्वजनिक अवकाशों के राजनीति करण के चलते वर्किंग डे इतने कम है कि यूं ही हमारी सोना, चांदी, हीरा ,जवाहरात, मोती सब हो गया है उपर से परिंदो के पंख पर बंधन कहाँ, जब चाहो,उड़ लो।पहले हवाई उड़ान विलासिता  की चीज थी ,अब भी है उनके लिए जो अफोर्ड नही कर सकते। पर इनको किस चीज की कमी है, तंत्रीय विफलता ने ब्लैक मनी का आना बदस्तूर जारी रखा है, तो कहीं न कहीं तो खरचेगा ही। कृपया बंधन न लगायें, परो को न कतरें, स्वच्छंद विचरण करने दे। जब इनको उड़ान से वापस अपने घोसलों मे आना है तो "फीलिंग सैड, मिसिंग पहाड़, मिसिंग बीच, आकवर्ड फीलिंग "जैसे स्टेट्स अपडेट करते हैं जैसे उन्हे स्वर्ग से नरक के लिए" इंस्टैंट रिलीव" कर दिया गया हो!कभी कभी काम भी कर लिया करो भाई! सरकार नामक संस्था इसके लिए आपको वेतन भी देती है!" अच्छा वेतन भी मिलता है, अरे वोतो बैंक मे जाता है और निकालने का समय ही नही मिलता! क्या करूं इतना काम है! मुझे तो ये भी नही पता कि कितना मिलता है? वो हमारा सी ए हिसाब किताब रखता है!" माशाल्लाह क्या स्टेटमेंट हैं इनके! खुदा खैर करे ,जिसके भरोसे सरकारी काम चल रहा है।

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