सौर ऊर्जा से बुंदेलखंड में विकास की संभावनाएं
जहां एक ओर शुष्क और गर्म जलवायु , पानी की कमी और पठारी क्षेत्र होने के कारण बुंदेलखंड खेती, उद्योग और विकास की दृष्टि से पिछड़े होने का दंश झेल रहा है , वहीं दूसरी ओर यही कमी इसको नवीकरणीय सौर उर्जा के बेहतर उत्पादन को लिए अनुकूल माहौल भी प्रदान करता है। यही कारण है कि बुंदेलखंड में खाली जमीन की उपलब्धता और मौसम के साफ रहने के कारण प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सौर ऊर्जा से यहां पर सोलर प्लांट लगाने को निजी कंपनियां आकर्षित हुई हैं। उपयुक्त जलवायु के चलते बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा प्लांटों की स्थापना काफी पहले प्रारंभ हो गई थी। वर्ष 2016 में पनवाड़ी ,महोबा और हमीरपुर में लगाए गए निजी सौर ऊर्जा प्लांटों से लगभग 200 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति की जा रही है। बांदा जिले में चहितारा गांव में 20 मेगावॉट का सौर ऊर्जा प्लांट भी वर्ष 2016 से ही चल रहा है। इसके पुर्व ललितपुर में वर्ष 2013 में 70 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट शुरू किया गया था। अडानी सोलर एनर्जी लिमिटेड ने चित्रकूट के छीबों गांव में 25 मेगावॉट का सौर ऊर्जा यंत्र चालू कर दिया है। यहीं 50 मेगावॉट क्षमता का एक और सौर ऊर्जा प्लांट भी लगाया गय