टिफिन का खाना
जब जब घर से बाहर रहकर कंपटीशन देनेवाले वीरों की वीरगाथा लिखी जाएगी तो उसमे " टिफिन" के धंधे को चार चांद लगाने वाले बाहुबलियों का नाम स्वर्णाक्षरों मे लिखा जाएगा।धन्य हैं वो वीर जिसने सुबह शाम नियत समय पर आनेवाली छोटी सी टिफिन के सहारे अपना विद्यार्थी जीवन बिता दिया। हालाँकि इसे " सिंगल हड्डी" और " स्लिम फिट " नौजवानों का क्षेत्र माना जाता है।पर कई जीव तो टिफिन पर ही पल जाते हैं भले पीठ और पेट एक समान भये और बिना " वर्क आऊट" के करीना के जीरो फीगर को प्राप्त होते हैं। उपर से हमेशा " Liv 52 का सेवन वरना पेट कब उपर - नीचे दोनों चलने लगे क्या पता? ऐसे मे भी जीवट के लोग हैं भाई हाथ नही हिलायेंगे। खाना तो रेडीमेड ही मिलना चाहिए। बरतन बासन कौन करेगा? इसी उद्वेग का लाभ उठाने को सोचे बटुक नाथ जी! गये कलेक्टरी की पढाई करने पर कोई भी कोचिंग इनको केले के झाड़ पर चढा न सका! कितना मगजमारी किये, दो तीन बार धौलपुर हाऊस भी बाहर से देख आये पर "टोटमा" काम न आया। गुरू जी रगड़ मारे पर पीटी का " अरना महीस" ऐसा थम देके बैठा कि ऊठबे न किया। अब व