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Showing posts from June, 2020

तपाई लाई कस्तो छ?

 " तपाई लाई कस्तो छ? तिम्रो के नाम हो? कसलाई कुरा गर्छ?" ये बोली आपको कुछ जानी पहचानी लगेगी! बंगला, मैथिली, आसामी यहाँ तक कि हिन्दी भाषा  के अनेक शब्द इस भाषा मे मिलेंगे! हां! जी मै नेपाली भाषा की बात कर रहा हूँ ,जहाँ सीताजी की जन्मभूमि है। यह कभी मिथिला क्षेत्र हुआ करता था आज मधेशी क्षेत्र है। कहते हैं उससे रोटी- बेटी का संबंध है । जनकपुर से अयोध्या का संबंध तो पौराणिक है पर आज भी बिहार और युपी के लाखों सीमावर्ती घरों मे चाची, काकी, दादी, भाभी , मामा ,जीजा और फूफा नेपाल के हैं। कभी उसे अलग देश माना ही नही गया। कोई पूछता कि कभी विदेश गये हो ,तो नेपाल कहने पर लोग हंसी- ठठ्ठा करने लगते। अरे जहाँ बंसवारी करने जाते हो ,वह विदेश कैसे हुआ? लोग शाम मे घूमने उसपार पहले चले जाते थे। जिस तरह उतराखंड के पहाड़ के लोग कमाने के लिए मैदानी इलाके मे आ जाते हैं, सदियों से नेपाली लोग भारत आते रहे हैं। किसी देश की सेना मे विदेशी लोगों की टुकड़ी आपने सुनी है, भारत मे गोरखा टुकड़ी है तो अलग देश कैसे हुआ? जाड़े मे" गोमा" लबादा , मोटे मोटे जैकेट, जीन्स , स्पोर्ट्स जूते लेने हो तो लड़के बस पकड़क

सपनों की मौत

सलिल ने जब ज्वाइन किया तो उसे  कोई फार्मल ट्रेनिंग नही दी गई, बस यह बताया गया कि फलाने साहब के साथ तुम्हें संबद्ध किया जा रहा है। वह ही एक तरह से तुम्हारे ट्रेनर है। उसने महीनों तक सिर्फ वही किया जो उस तथाकथित सीनियर ने कहा।उधर सीनियर्स जब आपस मे बैठते तो इन नये बैच वालों का मजाक उड़ाते " अरे! ये काम धाम सीखना नही चाहते, कुछ जानना नही चाहते, बस चाहते हैं कि पका पकाया खाना मिल जाय"! सलिल को यह सुनकर बुरा भी लगता पर  आपस मे बैचमेट्स से मिलकर अपना गम शेयर कर लेता। सबकी एक ही जैसी  कहानी थी। उन्ही सीनियर्स मे से एक  त्रिपाठी जी भी थे, जो नये लड़कों को खूब मानते थे और उन्हें विभाग का भला बुरा समझाते। बोले"  यहीं नही जिंदगी के हरेक फील्ड मे  तुमलोगों को "तथाकथित मठाधीश" मिलेंगे, जो अपनी गद्दी नही छोड़ना चाहते, छोड़ना क्या तनिक खिसकना भी नही चाहते जिसपर तुम अपनी टिका भी सको। इनसे  छीनना पड़ता है"। बेवसीरिज "हंड्रेड " मे भी लारा दत्ता के सीनियर हमेशा उसे दबाते रहे, इग्नोर करते रहे, आगे बढ़ने  से रोकता रहा, अंत मे उसे अपना रास्ता खुद बनाना पड़ता है। ये दौर फ्रस्