कहावत है"अप्पन हारल और बहुअक मारल" कोई किसी नही बताता। " भीतर के मार खायल वो ही जाने जो खाया है!""जा हो बूड़बक मेहरारु से हार गये!"माना जाता है कि महिलाएं शारीरिक बल मे कमजोर होती है पर यह " अर्धसत्य " है, ओमपुरी वाला नही! तस्वीर का दूसरा पहलू भी है जो " महिला सशक्तिकरण" के "लहालोट " मे गंवई बिजली के बल्ब की तरह भुकभुका रहा है।सो काल्ड मर्दवादी समाज मे " पत्नी पीड़ित" मुखर और संगठित नही है।है तो ये विमर्श टाइप का विषय पर किसी" सो काल्ड वाद" न जुड़ पाने और किसी "दल "का समर्थन न मिल पाने के कारण " नेपलिया ट्रेन" की भांति धुकधुका कर चल रहा है।काफी पहले से ही कुछेक मर्द अपनी पत्नियों द्वारा प्रताड़ित होते आ रहे हैं। कहने का यह तात्पर्य कदापि नही है कि मर्द स्त्रियों पर जुल्म नही करते! बल्कि क्विंटल के भाव मे " महिला उत्पीड़न" हो रहा है पर क्या इससे महिलाओं को भी " टिट फार टैट" का लाइसेंस मिल जाता है? बेचारे इन पत्नी पीड़ितों के सूखे और उतरे चेहरों को देखो! क्या तुम्हें इनके
Posts
Showing posts from March, 2023
अनारकली --मिथक या हकीकत
- Get link
- Other Apps
अभी कुछ दिन पहले जी फाइव की बेव सीरिज "ताज- डिवाइडेड बाई ब्लड" देख रहा था। कहानी मुगल बादशाह अकबर और उसके तीनों बेटों की है। जाहिर जब अकबर के बड़े बेटे सलीम का जिक्र आएगा तो अनारकली की भी चर्चा अवश्य होगी। लेकिन आम प्रचलित कथाओं के विपरीत इसमें अनारकली को अकबर की बीबी और बेटे दानियाल की मां के रूप मे दिखाया गया है। सलीम और अनारकली की प्रेम दास्तान में सलीम को यह नहीं मालूम है कि अनारकली उसकी सौतेली मां है और जब यह उसे मालूम होता है तो वह उससे रिश्ता खत्म करने जाता है, उसी समय साजिश का शिकार होकर अकबर द्वारा पकड़ लिया जाता है। अकबर द्वारा चुपके से देश निकाला देने के बाद अनारकली अपने बेटे दानियाल के हाथों मारी जाती है। हालांकि लोगों की नजर में यही है कि अनारकली को दीवार में चुनवा दिया गया था। मुद्दा यह है कि क्या यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ है या, वास्तविक इतिहास को सामने लाया गया है। अनारकली कौन थी, वह थी भी या नहीं? अकबर और सलीम से उसका क्या रिश्ता था? यह बहस का मुद्दा हो सकता है। लेकिन अनारकली की ऐतिहासिकता को लेकर यह तथ्य ध्यातव्य है कि समकालीन किसी भी इतिहासकार या लेखक ने उस
क्या गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में है
- Get link
- Other Apps
कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलियाई एफ एम रेडियो के आर जे काइली सेंडीलैंड्स ने गंगा नदी के बढ़ते प्रदूषण की चर्चा के क्रम में इसे कचराघर कहकर भारतीयों को भड़का दिया था। भारतीय आस्था के प्रतीक पावन गंगा के बारे में इस अनुचित टिप्पणी का इतना विरोध हुआ कि उन्हें आखिरकार माफी मांगनी पड़ी। हालांकि काइली द्वारा भारतीय जनमानस को ठेस पहुंचाना गलत था लेकिन दूसरे दृष्टिकोण से सोचें तो जिस संदर्भ में सैंडीलेंड्स ने यह टिप्पणी की थी , क्या वह ग़लत थी ? क्या वाकई में अपने बढ़ते प्रदूषण और सूखते जल के कारण गंगा आज सचमुच नाले में परिवर्तित नहीं हो रही है? आज गंगा गंभीर संकट से गुजर रही है। इसका अस्तित्व खतरे में है। यदि गंगा में प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा और सरकार इसे संरक्षित करने का कोई कठोर उपाय नहीं करती है, तो संभवतः पचास वर्ष बाद गंगा नदी किताबों के पन्नों में सिमटी नजर आये अर्थात् गंगा नदी का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। स्थिति यह है कि एक रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी में गंगा नदी घाट से लगभग सात से दस फ़ीट अंदर की ओर खिसक गयी है। दशाश्वमेध घाट से गंगा नौ फीट, राजघाट से सात फ़ीट और अस्सी घाट से पांच फ़