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Showing posts from 2022

फिल्म समीक्षा -कांतारा

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"कांतारा" अर्थात रहस्यमयी  जंगल नामक कन्नड़ फिल्म मनुष्य और प्रकृति तथा  ग्रामीणों और जमींदारों के मध्य संघर्ष की सदियों पुरानी कहानी कहती है। इस कहानी में स्थानीय लोक देवी- देवता , अंधविश्वास,रीति रिवाजों, मान्यताओं की छौंक लगती रही है। ऐसे में लेखक, निर्देशक, एक्टर ऋषभ शेट्टी  कर्नाटक के तटीय क्षेत्र के कुन्दूपुरा इलाके की एक लोकगाथा को आधार बनाकर एक रहस्य- रोमांच से भरी कहानी लेकर आते हैं, जिसने अपने अनोखे विषय, सिनेमैटोग्राफी, एक्टिंग, ड्रामा, एक्शन, म्यूजिक से बाक्स आफिस पर तहलका मचा दिया है। अमूमन ऐसे विषय कामर्शियल फिल्मों के नहीं होते हैं। यह फिल्म जंगल और जंगली जमीन पर स्थानीय लोगों के पैतृक अधिकार को छीनने -बचाने का संघर्ष है।  कहानी छोटी सी है कि एक राजा के पास ऐश्वर्य, वैभव, दौलत सब है, परंतु सुख-शांति नहीं है। वह इसकी तलाश में  एक गांव कुन्दूपुरा पहुंचता है, जहां पत्थर के रूप में मौजूद ग्राम देवता पंजुरी  के दर्शन से उसे असीम शांति मिलती है।राजा उस लोक देवता को अपने राजमहल ले जाना चाहता है। देवता भूत कोला अर्थात  मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके राजा से

धारावी - सीरीज समीक्षा

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बेवसीरीज समीक्षा-- धारावी बैंक -------------------------------------- यदि आप क्राइम और थ्रिलर सीरिज को पसंद करते हैं तो  अंडरवर्ल्ड और मुंबई पुलिस के टकराव की कहानी पर आधारित हश MX Player की नयी क्राइम सीरीज #धारावीबैंक आपको मजेदार लगेगी। यह एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी -झोपड़ी धारावी पर राज करने वाले एक माफिया थलाइवन यानि सुनील शेट्टी की एवं उसे नेस्तनाबूद करने की कसम खाने वाले जेसीपी जयंत गावस्कर यानि विवेक ओबेरॉय की कहानी है। तीसरा पक्ष राज्य की राजनीति है जिसमें मुख्यमंत्री सोनाली कुलकर्णी का रोल अहम है जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए कभी मुंबई पुलिस को थलाइवन के पीछे भेजती है तो कभी वापस हटने को कहती हैं।  वैसे धारावी के बैंक ग्राउंड पर नायकन, अग्निपथ, धारावी, दयावान आदि अनेक फिल्में बन चुकी है पर यह फ्रेश लगता है और पूरी तरह धारावी पर ही संकेंद्रित है। धारावी बैंक में मुंबई की राजनीति, इंडस्ट्री, रियल एस्टेट और अवैध धंधों का जमा पैसा अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए थलाइवन उपयोग करता है। जेसीपी के बेटे की हत्या के बाद थलाइवन उसके टारगेट पर है।थलाइवन धारावी के हरेक सदस्य को अपने परिवार क

पोन्नियन सेल्वन

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तमिल लेखक कल्कि कृष्णमूर्ति ने लगभग 2400 पेजों में दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और महान राजवंश चोल वंश की कहानी महागाथा के रूप में लिखी है " पोन्नियन सेल्वियन" अर्थात पोन्नी (कावेरी) का बेटा। यह पांच भागों में प्रकाशित हुई। पोन्नियन सेल्वियन ,जिसका मूल नाम अरुलमोझी वर्मन था, सबसे शक्तिशाली , महान और प्रसिद्ध राजा हुआ। उसने अपना नाम रखा" राज राजा प्रथम और उसे अनेक उपाधियों से विभूषित किया गया जैसे चोल मार्तंड, शशिपादशेखर, राज मार्तंड, राज आश्रय इत्यादि। हिंद महासागर में उसके नौ सेना की तूती बोलती थी, उसने श्रीलंका, मालदीव, केरल के राजा रवि वर्मा ,पांड्य, कलिंग को पराजित कर विशाल साम्राज्य स्थापित किया। नृत्य करते हुए नटराज की प्रतिमा,कांचीपुरम की मशहूर सिल्क साड़ियां, कांचीपुरम का मंदिर , एलोरा का कैलाश मंदिर तथा तंजौर का भव्य और अद्भुत बृहदेश्वर मंदिर जिसे राजराजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, चोल साम्राज्य की देन है।     वस्तुत चोल साम्राज्य के बारे में इतना इंट्रोडक्शन देने की जरूरत इसलिए है कि यदि आप इतिहास के अध्येता नहीं है तो आप मणिरत

अद्भुत कृष्णमूर्ति

भारत हमेशा से ज्ञान और शिक्षा की जन्मस्थली रहा है। विश्व मानव को शिक्षा देनेवाले जेद्दू कृष्णमूर्ति या जे कृष्णमूर्ति ,जिन्हें एनीबेसेंट प्यार से कृष्णा कहती थी और स्वयं को वे "के" कहलाना पसंद करते थे, एक दार्शनिक एवं आध्यात्मिक विषयों के लेखक एवं प्रवचनकर्ता थे। वे मानसिक क्रान्ति, मस्तिष्क की प्रकृति, ध्यान, मानवी सम्बन्ध, समाज में सकारात्मक परिवर्तन कैसे लायें, इत्यादि विषयों के विशेषज्ञ थे। बचपन से ही उनकी आध्यात्मिक विषयों में रुचि थी, जिसे थियोसोफिकल सोसायटी के एनी बेसेंट ने अगले बुद्ध अर्थात बोधिसत्व के अवतार के रूप में चुना था। इंग्‍लैंड के राजकुल मे उत्पन्न एनी बेसेंट और "‘सेवन डोर ऑफ ऐक्‍सटिसी" की लेखिका रूसी मैडम हेलिना ने मिलकर यह तय किया कि धरती को एक विश्‍व शिक्षक की जरूरत है, तो क्‍यों न इस पर कुछ काम किया जाय। मैडम हेलिना को पराशक्तियों में महारत हासिल थी, उसे आत्‍माओ से संपर्क करने की कला पता थी। ऐनी बेसेंट को मैडम हेलिना ने हिमालय के तीन योगियों कुमुति, मौर्य और ज्‍वालाकुंड से मिलवाया था। इन  योगियों ने भी कहा कि इस समय पृथ्वी को एक विश्‍व शिक्षक क

चित्रकूट में स्वतंत्रता आंदोलन

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास क्रांतिकारियों की वीरगाथाओं की कहानी है। हालांकि इतिहास लेखन में नेताओं की भूमिका पर फोकस करने के कारण आम जनता द्वारा किते गये विद्रोहों और आंदोलनों को पर्याप्त जगह नहीं मिल पाई। वस्तुत समस्त राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन लाखों हजारों छोटे छोटे विद्रोह, असंतोष, आंदोलन, घटनाओं का सम्मिलित रुप है जिसे अब सबलटर्न इतिहास लेखन  में स्थान दिया जा रहा है। ऐसी ही एक विद्रोह चित्रकूट में जो उस समय बांदा में था, के में तहसील में हुआ था। कहते हैं कि बलिया बागी हो गया था और सन 1947 से पांच साल पहले ही अपने को स्वतंत्र घोषित कर चुका था , उसी तरह चित्रकूट भी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से 15 साल पूर्व ही क्रांति का उद्घोष कर चुका था परंतु इतिहासकारों ने इसे उचित स्थान नहीं दिया। यह सामूहिक विद्रोह था, जिसका कोई नेता नहीं था। बांदा गजेटियर में इस ऐतिहासिक घटना का उल्लेख है कि  पवित्र मंदाकिनी के किनारे गोहत्या के विरुद्ध एकजुट हुई हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मऊ तहसील में अदालत लगाकर पांच फिरंगी अफसरों को फांसी पर लटका दिया था। इस संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदा

लोग नकल करें ही क्यों?

वर्ष 2005-06 की बात है । पूर्वांचल के किसी गांव का दृश्य है । एक सात- आठ कमरों वाले अनफिनिश्ड बिल्डिंग  में भीड़ लगी है। रास्ते -पगडंडियों में रंग बिरंगे कपड़ों वाले स्त्री पुरुषों की भरमार है। आम के बगीचे में नीचे चादर बिछाते झूंड में बैठकर लाई - चना फांक रहा है।एक कमरे में काफी सारे बच्चे नीचे जमीन पर बैठे हैं और ब्लैक बोर्ड पर एक आदमी कुछ लिख रहा है जिसे सब बच्चे देख देखकर लिख रहे हैं। बिल्डिंग के बाहर बच्चों के बड़े बुजुर्ग कहीं आपस में बतिया रहे हैं, तो कहीं आज ही ठेले पर लगा चाय स्टाल इनके ठहाकों से गूंज रहा है। प्रथम दृष्टया आपको क्या लग रहा है? क्या हो रहा है यहां पर! हां जी यहां बोर्ड परीक्षा हो रहा है। कहीं से भी कोई माहौल नहीं है जिसमें दिख रहा हो कि बच्चों के भविष्य का यहां फैसला हो रहा हो। बल्कि यहां तो किसी तरह पास हो जायें ,इसकी ठेकेदारी हो रही है। यहां बच्चे काफी दूर दूर से आये हैं। इस छोटे से कस्बे में कोई भी छत, टीन शेड, पंपिंग सेट का घर, दालान नहीं बचा है जो एक महीने के लिए किराये पर न उठा हो। कई विशिष्ट लोग तो अपने बच्चों के लिए दूसरे को हायर कर रखे हैं या उनकी कापी