कंफ्युजिंग टाइटिल
बिहार मे जगन्नाथ मिश्रा की सरकार को ब्राह्मणों की सरकार कहा जाता था। कहते हैं उस समय सभी डिपार्टमेंट मे ब्राह्मणों की धड़ल्ले से घुसपैठ हुई। यही हाल यादवों का लालू- राबड़ी मे हुआ। कहते हैं नीतीश के जमाने मे वो जोर कुर्मियों का नही है पर स्पेशल अटेंशन तो अवश्य होगा। ऐसा हम नही कह रहे हैं....हमारी जातिवादी सोच कह रही है या हम ऐसी धारणा बना लिए हैं। वास्तव मे ये जातीय लगाव किसी एक खास जाति की बपौती नही है बल्कि सभी इसका रसास्वादन करते रहते हैं ।जब भी मौका मिल जाये, प्यार छलक जाता है। नही भी छलकता है तो हम इतना हिला डुला देते हैं कि छलक जाता है। थोड़ा सेंटी पिलाते हैं, भावनाओं को भड़काते है, साम दाम दंड भेद सब अपनाते हैं पर अपना काम जरूर कराते हैं। यदि न भी मंशा रही हो तो भी हमारी कलम और वाणी मे इतना दम है कि हम साबित कर देते हैं कि अमुक कार्य तो जातीय प्रेम मे ही हुआ है।भला क्यों न करें? यह हमारा सांविधानिक हक जो है! हम पहले से प्रिज्युडिस हो जाते हैं कि अब तो इसी जाति का ही काम होगा! अब तो इसी जाति के अफसर हीं पोस्टिंग पायेंगे! अगर गलती से कोई केस निकल भी आया तो पक्के दावे पर लग गई मुह