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Showing posts from March, 2019

श्यामला

श्यामला ने आज फिर मां को काफी खरी खोटी सुनाई थी।मां ने सिर्फ इतना  ही तो पूछा था! "बेटी जुग जमाना सही नही है। यूं देर रात तक बाहर रहना ठीक नही। अब नौकरी भी करने लगी हो लेकिन विवाह का नाम सुनते ही भड़क जाती हो। " " तुम सबको तो सिर्फ शादी- शादी की रट लगी है। मेरी इच्छा जब होगी कर लूंगी। तुम अपने काम से काम रखो!"श्यामला ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। " बेटी हमलोग भी समाज मे रहते हैं, सब हमसे पूछते रहते हैं, रिश्तेदार रिश्ते लेकर आते हैं, क्या जबाव देती फिरूं। इतना मेहनत से पढाया लिखाया, क्या इसी दिन को देखने के लिए।मेरी जिंदगी कितनी बची है, मरने से पहले चाहती हूँ ,तुम्हारा घर बस जाये।" " देखो मुझे सेंटी मत पिलाओ, मै तुम्हारे झांसे मे नही आनेवाली। ज्यादा तंग करोगी तो अलग घर ले लूंगी।" उसने यह भी नही सोचा कि उसकी मां थर्ड स्टेज कैन्सर की पेशेंट है।  उसने मद्रास मे ज्वाइन किया था पर कानपुर मे ट्रांसफर इसी आधार  पर लिया था कि वहाँ जाकर मां की सेवा करुंगी। जितने भी दिन बचे है उसकी जिंदगी के,उसे खुशी खुशी बिताने मे हेल्प करेगी पर किस्मत को कुछ और मंजूर थ

वर्चुअल रियलिटी

तो ये हवा हवाई की दुनिया है जिसमे सत्य कुछ भी नही बस सत्य का आभास(वर्चुअल) देती है लेकिन जुकरबर्ग ने ऐसा घनचक्कर हाथों मे थमा दिया है कि जिसमे दुनिया मस्त है। पड़ोस के लोग जानते नही, कहते हैं इतने मेरे फालोवर, इतने मेरे फ्रेंड! आज कुछ फेसबुकिया फ्रेंड्स ऐसे भी है, जिन्होंने आजतक एकबार भी हमारे किसी पोस्ट पर न तो रियेक्ट किया ,न ही मैने ही उनके पोस्ट पर किया है, फिर भी हम फ्रेंड्स हैं और गाहे बेगाहे सालों से एक दूसरे की पोस्टों पर ताका झांकी( शायद) करते आ रहे हैं। यह उस  शहरी समाज के सदृश है, जहाँ की सोसायटी/ कालोनी मे रहते तो सभी हैं, पर हेलो- हाय भी कुछ ही लोगों से होती, शेष आदमी सिर्फ अपने मकान नंबर से जाने जाते हैं। अबतक कई लोगों को हमने अनफ्रेंड किया( कारण के और बिना कारण के भी), अनेकों ने मुझे भी कर दिया पर फर्क दोनों मे से किसी को न पड़ा ।जैसे शहरी सोसायटी मे लोग, किरायेदार या मकान मालिक आते जाते रहते हैं, कभी मकान छोड़कर तो तो कभी घर बेचकर! गांवों मे ऐसा नही होता। गांव मे अमूमन एक दूसरे के दादा परदादा तक को हम जानते हैं और वहाँ किसी के न टोका टाकी करने और गांव छोडकर जाने से फर्क पड़