श्यामला
श्यामला ने आज फिर मां को काफी खरी खोटी सुनाई थी।मां ने सिर्फ इतना ही तो पूछा था! "बेटी जुग जमाना सही नही है। यूं देर रात तक बाहर रहना ठीक नही। अब नौकरी भी करने लगी हो लेकिन विवाह का नाम सुनते ही भड़क जाती हो। " " तुम सबको तो सिर्फ शादी- शादी की रट लगी है। मेरी इच्छा जब होगी कर लूंगी। तुम अपने काम से काम रखो!"श्यामला ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। " बेटी हमलोग भी समाज मे रहते हैं, सब हमसे पूछते रहते हैं, रिश्तेदार रिश्ते लेकर आते हैं, क्या जबाव देती फिरूं। इतना मेहनत से पढाया लिखाया, क्या इसी दिन को देखने के लिए।मेरी जिंदगी कितनी बची है, मरने से पहले चाहती हूँ ,तुम्हारा घर बस जाये।" " देखो मुझे सेंटी मत पिलाओ, मै तुम्हारे झांसे मे नही आनेवाली। ज्यादा तंग करोगी तो अलग घर ले लूंगी।" उसने यह भी नही सोचा कि उसकी मां थर्ड स्टेज कैन्सर की पेशेंट है। उसने मद्रास मे ज्वाइन किया था पर कानपुर मे ट्रांसफर इसी आधार पर लिया था कि वहाँ जाकर मां की सेवा करुंगी। जितने भी दिन बचे है उसकी जिंदगी के,उसे खुशी खुशी बिताने मे हेल्प करेगी पर किस्मत को कुछ और मंजूर थ