साहब ड्यूटी कटवा दो
अभी हाल मे " न्यूटन" फिल्म को चुनाव कराने मे पोलिंग पार्टी के समक्ष आने वाली समस्याओं को उठाने के लिए काफी सराहा गया है। साहब! किसी तरह ड्यूटी कटवा दो! यह फेमस लाइन होता है सबकी जुबान पर ! पर क्यों न हो भला जब इतनी जटिल और रिस्की प्रक्रिया हो चुनाव करवाने की। पहले तो पार्टी जाते ही गांव के सम्मानित लोग आवभगत मे लग जाते थे।" अतिथि देवो भवः " के साथ साथ चुनावी लाभ के लिए मेल मिलाप भी जरूरी था। पर अब आयोग ने गांव का पानी पीना भी निषिद्ध कर दिया है।चुनाव चाहे वो नगरीय हो या ग्रामीण ,अभीतक पंचायती चुनाव बैलेट पेपरों के माध्यम से संपन्न हो रहे हैं। बड़े बड़े बक्सो को लादकर ले जाना और उसमे वोटिंग कराकर फिर लादकर लाना एक जटिल कार्य है। चुनावों मे एक दिन किसी अनजान जगह पर अनजान लोगों की बनी पोलिंग पार्टी के साथ बिताना किसी के लिए एक रोमांच का काम हो सकता है पर ज्यादातर लोग यही चाहते हैं कि उनकी ड्यूटी न लगे और लग भी गई है तो अंतिम समय तक वो तमाम जुगाड़ का उपयोग कर ड्यूटी कटवाने का प्रयास करते रहते हैं।ऐन चुनाव मे पोलिंग पार्टी रवाना होने के दिन सैकड़ो के उल्टी दस्त बुखार सब च