डरना जरूरी नही है
डरना जरूरी नही है भाग--3 ----///------- दीप्ति चिल्लाई.." नही छूना उसे, आज ही दुकान से मंगवाया है। बार बार मना किया है कि इसे सैनिटाइज कर बाहर मे धूप मे रखा है। चौबीस घंटे के बाद ही खाना है!" बेचारे शैंकी का मुंह लटक गया। चार पांच दिन रटने के बाद तो आज मम्मा ने डेरी मिल्क चाकलेट मंगाया था, अब सामने पड़ा देखकर शैंकी के मुंह से लार टपक रही थी। इससे पहले जब भी वह चाकलेट की मांग करता तो पापा डांट देते तो कभी प्यार से समझाते! " बेटा इस समय बाहर का कोई सामान मंगाना नही चाहिए, कहीं वायरस न साथ मे आ जाये। वो डर जाता बेचारा। पहले कहां सप्ताह मे एकबार अवश्य स्वैगी, जोमैटो या रेस्टोरेंट से आनलाइन कुछ न कुछ अवश्य मंगा लेता पर इधर उस के मुंह पर भी लाकडाऊन लग गया है जैसे।इटली और अमेरिका के बारे मे कहा भी जाता है कि वहाँ आनलाइन सामानों से ही वायरस तेजी से फैला है, हालांकि अपने यहाँ सबने अपने मुंह पर मास्क के साथ साथ "जाबी" ( गांवो मे बैल- भैंसो के मुंह पर बांधी जानेवाली बांस के तार से बनाई गई जाली) भी बांध लिया है, जीभ पर कंट्रोल किया है। हालांकि इससे सबके अंदर हलवाई और