हाय !क्या करुं राम मुझे चायनीज मिल गया...
जैकी को पता नही था कि ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे! जबसे हल्ला उठा कि चायनीज सामन का बहिष्कार करो! उसकी तो गृहस्थी तबाह हो गई। अरे भाई! उसने विदेशी बहू के चक्कर मे चायनीज लड़की से शादी कर ली थी। सोचा था, अम्मा को विदेशी बहू मिल जाएगी और गांव जवार मे गोरी चिट्टी फारेन बीबीधारी का नाम हो जाएगा और ये भी सोचा था कि चायनीज सामान की गारंटी नही होती तो जल्दी ही ये भी निपट लेगी। फिर लगे हाथ दूसरी मेहरारु ले आएगा। एक बार उसने एक मोबाइल खरीदा था, जो छ: महीने मे ही एक दिन चलते चलते टें बोल गया। दुकानदार बोला" चायनीज सामान का रिप्लेसमेंट नही होता, यह लिखो -फेको टाइप के पेन की तरह है, युज एंड थ्रो! लेकिन बीबी तो युज एंड थ्रो हो नही सकती। तो शादी फैटेंसी मे करनी पड़ी और उसे इंपोर्ट भी करना पड़ा। ची मिंग को ताजमहल देखना था, गरीब गुरबा देखना था, गांव मे गोबर से गोड़हा और चीपड़ी बनाते देखना था,वैसे इंपोर्ट तो वो की गई देश की जनसंख्या बढाने के लिए और मेक इन इंडिया को बढावा देने के लिए,पर ची मिंग का प्लान आमिर खान के "अतिथि देवो भव:" से प्रभावित था। जैकी की प्लानिंग तो बड़ी लंबी थी, पर इस पाक चीन