सीता जन्म वियोगे गेल, दुख छोड़ि सुख कहियो नै भेल
इंसान हो या ईश्वर , पत्नी के बिना पूर्णता प्राप्त नहीं करता है, क्योंकि पत्नी को अर्धांगिनी माना गया है। क्या कभी आपने सीता के बिना राम की कल्पना भी की है। यहाँ तक कि सीता वनवास के बाद जब राजा रामचंद्र अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे ,तब उन्होंने सीता की अनुपस्थिति मे यज्ञपीठ पर सीता की मूर्ति स्थापित किया था। यहां आप यह कल्पना कीजिए कि सरयू तट पर भगवान राम की विशाल मूर्ति, सीता के बिना कैसी होगी? सरयू नदी की लहरों को अठखेलियाँ करते देखते भगवान राम ! मानो सीता वनवास से कभी लौटी ही नही। हां! सत्य है कि सीता को कभी वनवास से लौटने ही नही दिया गया। ससुराल मे बहुओं और पत्नियों के साथ अन्याय की शुरुआत राजा राम के काल से ही माना जाता है। खासकर के हम मिथिलावासी तो इसे मानते ही हैं। यद्यपि भगवान राम को सीता प्यारी थी और अपना ससुराल भी। कहा जाता है कि रामायण में राम केवल तीन मौकों पर ही रोये हैं । पहली बार जब उनको पता चलता है रावण ने सीता का अपहरण कर लिया है,दूसरी बार जब उन्होंने अनुज लक्ष्मण को सीता को जंगल में छोड़ आने के लिए कहा था और तीसरी बार जब सीता क्षोभ मे रोती हुई धरती में समा जाती हैं। स्पष