Posts

Showing posts from April, 2023

सीता जन्म वियोगे गेल, दुख छोड़ि सुख कहियो नै भेल

Image
इंसान हो या ईश्वर , पत्नी के बिना पूर्णता प्राप्त नहीं करता है, क्योंकि पत्नी को अर्धांगिनी माना गया है। क्या कभी आपने  सीता के बिना राम की कल्पना भी की है। यहाँ तक कि सीता वनवास के बाद जब राजा रामचंद्र अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे ,तब उन्होंने सीता की अनुपस्थिति मे यज्ञपीठ पर सीता की मूर्ति स्थापित किया था। यहां आप यह कल्पना कीजिए कि सरयू तट पर भगवान राम की विशाल मूर्ति, सीता के बिना कैसी होगी? सरयू नदी की लहरों को अठखेलियाँ करते देखते भगवान राम ! मानो सीता वनवास से कभी लौटी ही नही। हां! सत्य है कि सीता को कभी वनवास से लौटने ही नही दिया गया। ससुराल मे बहुओं और पत्नियों के साथ अन्याय की शुरुआत राजा राम के काल से ही माना जाता है। खासकर के हम मिथिलावासी तो इसे मानते ही हैं। यद्यपि भगवान राम को सीता प्यारी थी और अपना ससुराल भी। कहा जाता है कि रामायण में राम केवल तीन मौकों पर ही रोये हैं । पहली बार जब उनको पता चलता है रावण ने  सीता का अपहरण कर लिया है,दूसरी बार  जब उन्होंने अनुज लक्ष्मण को सीता को जंगल में छोड़ आने के लिए कहा था और तीसरी बार  जब सीता क्षोभ मे रोती हुई धरती में समा जाती हैं। स्पष

कहां जा रहे हैं हम

अभी कुछ दिनों पहले अखबार में यह खबर पढ़ी कि बेटों और बहुओं की प्रताड़ना से आहत एक बुजुर्ग दंपती ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। यह अत्यंत ही हृदयविदारक घटना है। उनके द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट अंतर्मन को  झकझोरने वाला है। बुजुर्ग दंपती ने लिखा कि उसके बेटों के पास तीस  करोड़ की संपत्ति है, लेकिन हम खिलाने के लिए उनके पास दो रोटी तक मयस्सर नहीं हैं। बुजुर्ग सेना से रिटायर थे और  अपने बेटे के साथ रहते थे। उनका पोता हरियाणा कैडर के आईएएस अफसर हैं। स्वाभाविक रूप से पढ़ा लिखा और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार है परंतु निश्चित रूप से संस्कारों की कमी है। अपने बहु द्वारा घर से निकाले जाने के बाद दो साल तक वे एक वृद्धाश्रम में रहे। बाद में उन्हें लगा कि हो सकता है कि परिवार का दिल बदल गया है तो  जब  वे लौटे तो फिर से उन्हें बाहर निकालकर घर में ताला लगा दिया। इसी बीच पत्नी के लकवाग्रस्त होने के बाद वे अपने दूसरे बेटे विरेंद्र के पास रहने लगे। यहां भी रुखी सूखी  बासी रोटी मिलती।  अच्छे खाने के लिए तरसते दंपति के अन्य आवश्यकताओं के बारे में तो कोई पूछता भी नहीं था। आखिरकार जब दर्द हद से बाहर हो गई तब उन

मल्टीवर्स- सृष्टि में कई ब्रह्मांड हैं

Image
                        इंग्लैंड की एक कथा है जिसमें काफी दिनों पहले  इंग्लैंड में खेत में काम कर रहे किसानों ने खेत में घूमते दो बच्चों को देखा ,जिनके त्वचा का रंग हरा था। किसानों को देखकर बच्चे भागने लगे। किसानों ने  उन्हें पकड़कर उनका पता और परिचय पूछा तो बच्चों ने बताया कि वे भाई बहन हैं और दूसरी दुनिया के हैं। वे  गलती से यहां फंस गए हैं और उन्होंने वापस लौटने के अनेकों प्रयास किए परंतु वे वापस जाने में असफल रहे तो थक कर खेतों में बैठ गए। उन्होंने बताया कि एक दिन वे दोनों एक मैदान में भेड़ चरा रहे थे कि अचानक पास की एक गुफा से मधुर गीत की ध्वनि सुनाई दी। उस ध्वनि का पीछा करते करते उस गुफा में चले गए और यहां पहुंच गए । बाद में अथक प्रयास के बावजूद उन्हें उस गुफा का सिरा नहीं मिला। वे दोनों उसी गांव में रहने लगे और धीरे- धीरे उनका रंग भी इंसानों जैसा हो गया।  कुछ सालों बाद वह लड़का बीमार हो गया और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई और उस लड़की का विवाह इंग्लैंड के ही एक सम्राट से हो गया। ये कहानी मल्टीवर्स या अनेक ब्रह्मांड या अनेक दुनिया की अवधारणा की ओर इशारा करती है।                

सिनेमा के स्वर्णिम काल की दास्तान - जुबली सीरीज

Image
"फिल्म बनाने के लिए किसी न किसी के साथ तो सोना ही होता है, किसी के साथ जिस्म से तो किसी के साथ ईमान से।"  बेव सीरीज" जुबली " में जब अदाकारा नीलोफर अपने को एक्टर से यह बात कहती हैं तो वो फिल्म इंडस्ट्री का एक कड़वा सच बयां कर जाती है।  हाल ही में चालीस के दशक की फिल्म इंडस्ट्री पर बनी फिल्म "कला" ने ढेर सारी प्रशंसा बटोरी है। अब उसी पीरियड के  फिल्म इंडस्ट्री की जादुई दुनिया को पेश करती  सीरीज पेश की है विक्रमादित्य मोटवानी ने  प्राइम वीडियो पर। उड़ान , लूटेरा , ट्रैप्ड और भावेश जोशी सुपरहीरो  जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले विक्रमादित्य मोटवानी ने ओटीटी की सबसे पहली मशहूर वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स  का निर्देशन किया था। उनकी नयी सीरीज 'जुबली' की कहानी हिंदी सिनेमा के गोल्डन एरा के साथ-साथ देश के बंटवारे का  मंजर भी बयां करती है। कहानी है इंडस्ट्री में टॉकीज के उस दौर की, जब एक्टर्स वेतन पर रखे जाते थे और टाकिजों अर्थात प्रोड्यूसर्स से बंधे रहते थे। श्रीकांत रॉय और सुमित्रा कुमारी अपनी " रॉय टॉकीज "को बचाने के लिए एक नए चेहरे म

पुस्तक समीक्षा - आहिल

Image
बाल मनोविज्ञान पर अनेक कहानियां लिखी गई जिसमें मन्नू भंडारी की " आपका बंटी" सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ। बच्चों को लेकर भगवंत अनमोल ने भी उपन्यास " बाली उमर" लिखी है। मेरे कथा संग्रह "बटेसर ओझा" में भी दादी और पोते के संबंध पर  भी एक कहानी कही गई है।  लेखक राहगीर का पहला उपन्यास "आहिल" एक पांच बरस के  ऐसे बच्चे की कहानी है, जिसकी हंसती- खेलती जिंदगी में एक पीर बाबा ने आग लगा दी, जिसने उसके अब्बा को यह समझा दिया कि  कुरान में लिखा है कि अच्छे और सम्मानजनक कार्य दांये तरफ होते हैं और बुरे और घृणित काम बांये तरफ। आहिल का दुर्भाग्य था कि वह वामहस्ती या बांये हाथ से काम करनेवाला था। बस क्या था उसके अब्बा ने अपने घर में होनेवाले हरेक दुर्घटना, ग़लत काम या बुरे काम के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। रोजाना मार पीट ,जलालत, तिरस्कार ने उसे अंदर से क्रूर और दृढनिश्चयी बना दिया।  आहिल राजस्थान के एक छोटे-से गाँव के एक छोटे से घर में जन्मा, पला-बढ़ा लेकिन उसकी दुनिया बहुत अलग थी।  "गुज़रा कल किसी पागल सांड को छेड़ने में गुज़र गया, आने वाला कल उसके आगे