अब सबकुछ आनलाइन है
आज से पांच साल पहले जब न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत किसानों से किए जा रहे धान और गेंहूँ खरीद की बात आती थी, तो बहुत से किसानों को इसके बारे मे पता ही नही होता था। धीरे धीरे इसे आम किसानों के बीच इसे पहुंचाया जा रहा है।विभाग के कंप्यूटरीकरण के साथ साथ धीरे धीरे सबकुछ आनलाइन एवं पारदर्शी हो गया है। विभागीय दायित्वों के साथ सबसे पहले इसमे जिला प्रशासन और राजस्व विभाग का दायित्व बढ़ाया गया तिकि उनके बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग इसे जन- जन तक पहुंचाने मे और उसका लाभ दिलाने मे किया जा सके।। जाहिर है इससे उतरदायित्व निर्धारण मे भी आसानी हुई है। सिस्टम की सबसे बड़ी कमी यह थी कि जिन बिचौलियों के पास जमीन नही थी, वे भी किसी और की जमीन का कागज लगाकर दूसरे के बैंक खाते मे पैसा भेज देते थे और योजना का गलत लाभ लेने की कोशिश करते थे।। राज्यय मे लागू आनलाइन ई उपार्जन सिस्टम भले ही कई राज्यों के खरीद सिस्टम को देखने के बाद बनाया गया परंतु उतरप्रदेश मे यह यूनिक बनकर उभरा है। सर्वप्रथम किसानों के लिए पंजीकरण की व्यवस्था की गई और उनके पंजीकरण को राजस्व विभाग के पोर्टल भू लेख से लिंक किया गया। इस