पुस्तकें जो मैने इस साल पढी हैं
किताबों के पढने के दृष्टिकोण से यह वर्ष मेरे लिए अविस्मरणीय रहा है। हिंदी किताबों के प्रकाशन और बिक्री के नजरिए से इसे पुनर्जागरण काल भी कह सकते हैं जिसमें एक तरफ प्रेम कहानियों पर आश्रित" नयी वाली हिंदी " टैग का महत्वपूर्ण योगदान है तो दूसरी ओर विषयों को विविधता का दौर भी है।हिंदी किताबों की जबरदस्त बिक्री हो रही है, यह आक्रामक मार्केटिंग का दौर है।सबसे पहले जिसकी चर्चा जरूरी समझता हूँ वह भगवंत अनमोल की" जिंदगी फिफ्टी फिफ्टी" है, जो थर्ड सेक्स की जिंदगी और समस्याओं को सामने लाने वाली बेहतरीन पुस्तक है और इसे काफी अच्छे तरीके रचा और संजोया गया है। विवाहेतर जिंदगी की कथाओं को अपने मे समाहित किए हुए" विजयश्री तनवीर की" अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार" बेहतरीन और विशिष्ट कहानियों को पाठकों के समक्ष लाता है। पुस्तक की अंतिम कहानी तो संकलन का सरताज बनकर उभरती है। कहानियों मे वनलाईनर की भरमार है जैसे पति- पत्नी संवाद-" हम आपस मे इतना क्यों लड़ते हैं? क्योंकि दूसरों से ना लड़ें।" त्रिलोक नाथ पांडेय की " प्रेमलहरी" ऐतिहासिक गद्य और गल्प पर