फिदेल कास्त्रो :-- एक युग के अंत
फिदेल कास्त्रो का जाना एक युग के अंत समान है ! लैटिन अमेरिकी देश क्युबा जितना अपने चीनी और सिगार के लिये जाना जाता है उससे ज्यादा कास्त्रो की दिलेरी को लेकर !हमेशा वे एक ऐसे कहानी का पात्र बने रहेंगे जिसमे एक चीटी ने हाथी को पानी पिला दिया !उन्होंने विश्वशक्ति अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोला और इसी दौरान अमेरिका ने भी क्यूबा पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। हालांकि बराक ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद ही क्यूबा एवं अमेरिका के रिश्ते सुधर सके।आज भी क्यूबा ने अमेरिका के साथ जो समझौता किया है वो अपनी शर्तों पर किया है! चुंकि ग्लोबलाइजेशन और इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी की वजह से दुनिया में अब कोई अलग रह के नहीं चल सकता.! जेनरेशन ऑफ वेल्थ और डिस्ट्रीव्यूटिव जस्टिस की भी जरूरत है.! कास्त्रो की छवि हमेशा एक सर्वकालिक क्रांतिकारी की रही है। वे ज्यादातर सैनिक पोशाक में देखे जाते रहे हैं! कास्त्रो को अक्सर "कमांडेंट" के रूप में उल्लेखित किया गया है, साथ में उन्हें, उपनाम "एल काबल्लो ", जिसका अर्थ है "हार्स" यानि घोड़ा कहकर भी पुकारा जाता रहा है। इस उपनाम से प्रभावित कास