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Showing posts from February, 2017

ले के रहेंगे आजादी और गदहा विमर्श

बात निकली है तो दूर तलक जायेगी। " गाय विमर्श" से "गदहा विमर्श" की ओर शिफ्टेड राजनीति और भेड़चाल वाली मीडिया इसे बिना अंजाम तक पहुंचाये मानेगी नही! अब चाहे इलेक्शन खत्म हो जाय पर सुपर स्टार से की गई गुजारिश ,फिल्मिस्तान को भी राजनीति मे घसीट कर रहेगी। अब बेचारे उन गदहो और सुपर स्टार का क्या दोष? वो तो सिर्फ पर्यटन का प्रचार कर रहे थे" कुछ दिन तो गुजारिये गुजरात मे!" अब यहाँ कोई स्पेशिफाईड जानवर होता तो यहाँ के ब्रांड अंबेस्डर भी उनका आलाप लगाते पर यहाँ के तो जानवर पत्थर की मुर्तियोंं कन्वर्ट हो गये हैं और उनको कोई परेशान भी नही करता। पिछले चुनाव मे आयोग ने सबको ढंकवा दिया था तो इसबार सब " गाय, बैल ,गदहा, गैंडा" का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं।तो लो भैया! राजनीति का " गदहा कांड" तो हाईप्रोफाइल  सेक्स स्कैंडलो से भी ज्यादा हिट हो गया है। अपील के बाद गदहों को लगने लगा है कि वाकई मे वे इतने पापूलर है तो अब बच्चन भाई साहब  की जरूरत नही रही।मंचो और मीडिया से अपना नाम गायब होते देख उधर " काऊ" काऊ प्यारी काऊ रूदाली गाने के मुड मे है!"

बुढौती का वेलेंटाइन

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कल्हे से सोशल मीडिया पर जो माहौल बना है, उसी मे मेरा भी अंडर ग्राऊंड औफ दी हर्ट से ख्वाहिश आने लगा कि आज मै भी  वेलेंटाइनिया दूं।भोरबे से इस लिए काफी प्लानिंग किया ,कि चाहे कुछ हो जाए, इसबार तो धमाल मचाकर रहूंगा। बरसों से जो सीने मे दबी इच्छा थी, उसे आज पूरा कर के रहूंगा।डिफेंस स्ट्रैटजी के तहत पहले सोचा सोमवार का दिन है, भोलेबाबा का सबेरे- सबेरे दर्शन कर लूं ताकि कोई रक्षा दल या सेना- वेना से साबका न पड़े। सुने हैं बड़ा दौड़ा -दौड़ा के मारते हैं! अपनी के साथ निकलो, तो भी दौड़ाते हैं। दूसरी के साथ तो रिस्के -रिस्क है। जालिम कहीं के ! प्यार के दुश्मन! " बोसा दिवस " को ही अगले दिन का काम निपटा डालो, वेलेंटाइन के दिन खतरा ज्यादा रहता है।" एक नव चिंतक मित्र ने सलाह दी। "नव वेलेंटाइन वादी तो अब सात दिन  का वेलेंटाइन सप्ताह मनाने का धैर्य कहाँ रख पाते हैं, !" चट मंगनी पट ब्याह!" सिस्टम फालो करनेवाले चाकलेट, गुलाब देने गले लगाने , बोसा देकर प्यार जताने का इंतजार डे वाई डे कहाँ कर पाते है"! "धीरे धीरे से मेरी जिंदगी मे आना, धीरे धीरे से दिल को चुराना"