अद्भुत कृष्णमूर्ति
भारत हमेशा से ज्ञान और शिक्षा की जन्मस्थली रहा है। विश्व मानव को शिक्षा देनेवाले जेद्दू कृष्णमूर्ति या जे कृष्णमूर्ति ,जिन्हें एनीबेसेंट प्यार से कृष्णा कहती थी और स्वयं को वे "के" कहलाना पसंद करते थे, एक दार्शनिक एवं आध्यात्मिक विषयों के लेखक एवं प्रवचनकर्ता थे। वे मानसिक क्रान्ति, मस्तिष्क की प्रकृति, ध्यान, मानवी सम्बन्ध, समाज में सकारात्मक परिवर्तन कैसे लायें, इत्यादि विषयों के विशेषज्ञ थे। बचपन से ही उनकी आध्यात्मिक विषयों में रुचि थी, जिसे थियोसोफिकल सोसायटी के एनी बेसेंट ने अगले बुद्ध अर्थात बोधिसत्व के अवतार के रूप में चुना था। इंग्लैंड के राजकुल मे उत्पन्न एनी बेसेंट और "‘सेवन डोर ऑफ ऐक्सटिसी" की लेखिका रूसी मैडम हेलिना ने मिलकर यह तय किया कि धरती को एक विश्व शिक्षक की जरूरत है, तो क्यों न इस पर कुछ काम किया जाय। मैडम हेलिना को पराशक्तियों में महारत हासिल थी, उसे आत्माओ से संपर्क करने की कला पता थी। ऐनी बेसेंट को मैडम हेलिना ने हिमालय के तीन योगियों कुमुति, मौर्य और ज्वालाकुंड से मिलवाया था। इन योगियों ने भी कहा कि इस समय पृथ्वी को एक विश्व शिक्षक क