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Showing posts from February, 2023

स्त्री स्वतंत्रता

स्त्री स्वतंत्रता का विमर्श काफी पुराना है। स्त्रियां अपने अधिकार और समानता के लिए निरंतर संघर्ष करती रही है और बड़े शहरों में वो सफल भी हुई है। सामाजिक विकास के तीन स्तरो गांव,छोटे और मध्यवर्गीय शहर तथा मेट्रो शहर मे तीन अलग अलग समाज और स्त्रियो की स्थिति दिखलाई पडती है। हरेक स्तर के स्त्रियों की स्थिति, लड़ाई का स्तर, सोच में अंतर है। मेट्रो शहरों मे पिंक रिवोल्युशन है अर्थात् स्त्रियां स्वतंत्र है तो गांवो मे अभी भी खाप पंचायत है। स्त्री स्वतंत्रता की जब हम बात करते हैं तो मध्यमवर्गीय स्त्री की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। मेट्रो शहर की स्त्रियां पुरुषों के समकक्ष या कहीं कहीं उनसे आगे निकल चुकी है और गांवों में उन्होंने अपनी यथास्थितिव स्वीकार कर ली है। आज भी पुराने पितृसत्तात्मक कानूनों की चक्की में पिसते रहने के लिए उन्होंने स्वयं को ढाल लिया है। लेकिन मध्यमवर्गीय स्त्री पेंडुलम बनी बैठी है। तमाम सुविधाएं, कानूनी हक, शिक्षा, नौकरी के बावजूद वो बंधन से निकल नहीं पा रही हैं।स्त्री सुरक्षा के लिए बने तमाम कानूनों का पढ़ी लिखी और समर्थ स्त्रियां लाभ उठा रही है। पढे लिखे और खुले विचारो

गांधी व्यक्ति नहीं विचार हैं

महात्मा गांधी प्रासंगिक रहे है और रहेंगे। वस्तुत: अहिंसा का कोई विकल्प नही है, परंतु सभी लोग गांधी जी के विचारों से  सहमत नही थे। जब नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की तो वह  भागा नही बल्कि आत्मसमर्पण किया क्योंकि उसने गांधी को नही बल्कि उनके विचारो को मारने का प्रयास किया था, उनके विचारों को चुनौती दी थी। संभव  है यदि गांधीजी की हत्या नही हुई होती तो शायद वो इतने अनुकरणीय न होते, क्योंकि मरने के बाद सिर्फ अच्छाईयां ही रह जाती है। अगर वो जिन्दा रहे होते तो संभव है कि  उनकी चारित्रिक कमियां सामने आती जाती और तब शायद उस इंसान का महात्मा या भगवान मे परिवर्तन मुश्किल होता । हरेक आदमी में अच्छाई-बुराई दोनों होती है, जाहिर है मोहनदास करमचंद गांधी भी इससे परे नहीं थे। गोडसे मानता था कि गांधी जी की अहिंसा हिन्दुओं को कायर बना देगी। जैसे कि आज हिन्दूवादी कहते हैं कि इसी तरह हिन्दुओं मे परिवार नियोजन और मुसलमानों मे जनसंख्या वृद्धि होती रही तो मुस्लिम एक दिन यहाँ भी बहुसंख्यक हो जायेंगे। गांधीजी की हत्या करने के पीछे गोडसे के अपने तर्क थे , जिसको वह सही ठहराने के लिये न्यायालय

चैट जीपीटी--आर्टिफीशियल इंटलिजेंस

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फेसबुक पर एक पोस्ट थी  कि "भविष्य अर्थात दो सौ साल बाद  रहनेवाले इंसानों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मध्य प्रेम पर एक कहानी लिखने के लिए उसने chatgpt को कहा और मिनटों में 1000 शब्दों की एक कहानी उसके सामने थी।" आखिरकार यह chatgpt क्या बला है जो मिनटों में 1000 शब्दों की कहानी लिख सकती है। यदि ऐसा है तो भला लेखक क्या करेंगे? असल में CHAT GPT एक नया टर्म है, जो आजकल सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और टेक्निकल हैंड लोग तेजी से इसका प्रयोग कर रहे हैं। चैट जीपी यानि  चैट जेनरेटिव प्रिट्रेंड ट्रांसफार्मर आर्टिफिशियल एक इंटेलीजेंस टूल है, जिसे दूसरा गूगल किलर भी माना जा रहा है। यह माना जा रहा है, जिस तेजी से इसके प्रयोगकर्ता बढ़ रहे है , निकट भविष्य में यह गूगल को पीछे छोड़ देगा।  इसकी शुरुआत सैम अल्टमैन और एलन मस्क ने 2015 में की थी, लेकिन जल्द ही एलन मस्क ने इसे छोड़ दिया था, तब  माइक्रोसॉफ्ट ने इसे  अपना लिया और 30 नवम्बर 2022 को इसे एक प्रोटोटाइप के तौर पर लांच किया गया। यह सर्च बॉक्स में लिखे गए शब्दों को समझकर आर्टिकल, टेबल, समाचार लेख, कविता जैसे फॉर्मेट म

फिल्म समीक्षा --लाॅस्ट

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बालीवुड में बहुत कम फिल्में बनी हैं जो क्राइम रिपोर्टर द्वारा किसी अपराध की छानबीन  को केंद्र बिंदु में रखकर बनाई गई है। निर्देशक अनिरुद्ध रॉय चौधरी की फिल्म "लाॅस्ट" एक महिला क्राइम रिपोर्टर द्वारा एक गुमशुदगी की कथा की तह में जाने की कहानी है। ये वही निर्देशक हैं जिन्होंने" पिंक" बनायी थी। आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रत्येक दिन लगभग 174 बच्चे गायब हो जाते हैं, यानी कि प्रत्येक आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जा रहा है। अधिकतर मामलों में उनके बारे में कुछ पता ही नहीं चलता। अकेले मुंबई में हर रोज 30-40  लोग लापता हो जाते हैं। कोलकाता में भी प्रत्येक महीने पांच- छह सौ लोग गायब हो ही जाते हैं। इस फिल्म की पृष्ठभूमि में कोलकाता शहर है, तो स्वाभाविक रूप से नक्सली तो होंगे ही। असल मे किसी के लापता हो जाने के पीछे की कहानी में पुलिस को सबसे कम दिलचस्पी होती है क्योंकि वो ये मानकर चलती है कि वे स्वयं कहीं भाग गये होंगे। फिल्म ‘लॉस्ट’ एक नुक्‍कड़ नाटक अभिनेता दलित ईशान भारती के अचानक गायब हो जाने की कहानी है जिसमें मीडिया,प्यार, बदला, राजनीति, नक्सलवाद, जातीय एंग