वामपंथी विचारधारा
ये वामपंथी विचारधारा के अस्तित्व की लडाई है! दक्षिणपंथ तथा वामपंथ के मध्य विचारो की लडाई पुरानी है और इन दोनो की लडाई के मध्य कांग्रेस का लगातार सता पर हावी रही! वामपंथ लगातार इतिहासकारो व विचारको के रुप मे देशवासियो की मनोदशा गढते रहे है!हमने जो अपने विचार बनाये है और इतिहास पढा है वह अधिकांश् वामपंथी इतिहासकारो द्वारा रचित है ! जाहिर है ये उंनकी सोच को प्रतिबिम्बित करता है! अब जब् दक्षिणपंथी सोच से प्रेरित इतिहास की पुनर्रचना का प्रयास किया जा रहा है तो ये उन्हे भला कैसे बरदाश्त हो सकता है ? कांग्रेस ने हमेशा दलितो ,अगडो और मुसल्मानो की राज्नीति की जो उसकी हाथो से निकल कर क्षेत्रीय दलो और भाजपा के हाथो मे जा चुकी है! भारतीय राजनीति मे वामपंथी हमेशा से महत्वहीन रहे, बस बडे बडे विश्वविद्यालयो तथा काफी हाउसो मे सिमटे रहे! मूलत हिंदु काफी सहिष्णु होते है, तभी तो यहाँ सर्वधर्म समभाव और धर्मनिरपेक्ष सम्विधान है!परंतु आज जब हिंदुवादी सोच अपना अस्तित्व ग्रहण कर रही है तथा उसी सोच से इतिहास को देखने का प्रयास कर रही है तो इनके अस्तित्व पर खतरा महसुस हो रहा है! सरकार को विकासवादी सोच से भटका