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Showing posts from September, 2017

असुरक्षा का भाव

वो रोज सुबह सबेरे आता और गेट के पास आकर फर्श पर बैठ जाता ! " ऐ बाबू! कुछ खाने को दे दे!" दो तीन बार घंटी बजाने पर हरिया डंडा लिए गलियाते निकलता! " भागते हो कि नही! हरामी कहीं के! रोजाना दिमाग चाटने चले आते हो सबेरे सबेरे!" वो सहम जाता और उसकी कातर आंखें तलाशती रहती अम्मा के लिए! उसे शायद पता था कि यदि अम्मा सुन लेगी तो जरूर उसके लिए कुछ लेकर आएगी! हरिया गेट खोलकर दौड़ाता। वह भी तेजी से रोते भागता पर थोड़ी दूर जाकर रुक जाता! जहाँ से वो गेट देख सके कि अम्मा आ रही है कि नही! हरिया जहाँ अंदर वापस आकर गेट बंद करता वो फिर गेट के पास आकर जोर चिल्लाता ताकि अम्मा सुन ले। अम्मा जब भी सुन लेती थी घर मे रात का बचा रोटी सब्जी प्लास्टिक के थैले मे लाकर उसे दे देती थी। इतना ही नही हरिया को डांट भी देती थी। " मालकिन! आप इन सबको मुंह मत लगाया करिए! सब साले चोर है! जासूसी करने आते हैं!" " चुप रहो! तुमको तो सब चोर ही दिखाई पड़ता हैं ! बेचारा भूखा रहता है! जहाँ आस होती है वहीं पर आएगा न! सबेरे सबेरे किसी को खाली हाथ लौटाना नही चाहिए! कौन जाने किस रुप मे भगवान आ जाये

फेसबुकिया पोस्ट लिखने की कला

फेसबुक पर पोस्ट लिखने से लेकर फ्रेंड सर्कल बनाना और अल्टीमेटली लाईक रुपी धनार्जन करना एक आर्ट है, या यूं कहिए कि यह साइंस और कामर्स भी है, जिसमें जाहिर है दिमाग लगाना पड़ता है। यह एक विश्वविद्यालय है जिसमे सभी प्रकार की फैकल्टी है तो इसमे अपनी धाक जमाने के लिए अपनी फ्रेंड लिस्ट मे धुरंधर पंडित(ज्ञानी नही), कट्टर मौलवी, प्रचंड अंबेडकर वादी, धुर आरक्षण विरोधी, जन्मजात आरक्षण समर्थक, खानदानी कांग्रेसी, भगवाधारी भाजपाई, अपने मुंह मे हमेशा हंसुआ- हथौड़ा लेकर चलनेवाला कामरेड, घोर अघोरपंथी, पंच मकार( मत्स्य, मांस, मदिरा, मुद्रा और मैथुन) मे विश्वास करनेवाला बुद्धिजीवी, कवि, साहित्यकार, गायक, फोटोग्राफर, फिल्मकार, स्टूडेंट, बेरोजगार, सरकारी नौकर, प्राइवेट नौकर इत्यादि सभी विधाओं के सिद्धहस्त फेसबुकियों को शामिल करिए। एक्सेप्ट न करे तो रगड़ मारिये फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज भेजकर ! अरे! मानेंगे कैसे नही! " जंतर मंतर का " धरना मंत्र " कब काम आयेगा। और कैसे नेता लोग चुनाव के दिनों मे तबतक पैर नही छोड़ता जबतक आपसे हां नही बोलवा लेता है। इसे कहते हैं" बम बोलना!" " टैगियाना&quo