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सीता के बिना राम अधूरा

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“राधे राधे भजोगे तो आयेंगे बिहारी” जाहिर है यदि कृष्ण को प्रसन्न करना है तो राधे - राधे करना होगा। उसी तरह सिर्फ राम-राम करने से कुछ नहीं होगा। राम को पाना है तो सीता -सीता भी करना ही होगा। सीता के बिना राम अधूरा, राधा के बिना श्याम अधूरा। सीता, जिसे सिया , जानकी , मैथिली , वैदेही और भूमिजा के नाम से भी जाना जाता है। सीता अपने समर्पण, आत्म-बलिदान, साहस और पवित्रता के लिए जानी जाती हैं। भारतीय  परंपरा के अनुसार कहा जाता है कि हरेक कामयाब पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है तो स्वाभाविक रूप से राम को महापुरुष बनने की गाथा में पत्नी सीता की महत्वपूर्ण भूमिका है। सीता न होती तो राम- रावण युद्ध और लंका विजय नहीं होती। सीता न होती तो न धनुष भंग होता और न ही परशुराम अवतार से रामावतार का सफर प्रारंभ होता। सीता न होती तो लव- कुश सदृश योग्य उतराधिकारी अयोध्या के राजा राम को मिल पाता, जिसने इक्ष्वाकु वंश की ध्वजा को युगों तक लहराया।         पौराणिक ग्रंथों में भूमि (पृथ्वी) की बेटी के रूप में वर्णित सीता को विदेहराज जनक की पुत्री के रूप में जाना  जाता है। रामायण की सीता का नाम सं