काटजू साहब का पाक को काम्बो आफर
आदरणीय काटजू साहब,
आपने पाकिस्तान को एक काम्बो आफर दिया कि काश्मीर के साथ साथ बिहार ! एक पर एक फ्री! बिहार तो आपको फोकटे का लगता है और उपर से इ कांफीडेंस कि कोई इसको फोकटो मे नही लेगा। ये अच्छी बात है कि बिहार के बहाने कश्मीर बच जाएगा।लेकिन ये आपका व्यंग्य था,फ्रस्टेशन था, अति बौद्धिकता थी , काफी दिनो से गाली नही खाये थे या कुछ और? ये आप जाने ! पर इतना तो तय है कि आपने इसे सिर्फ तुकबंदी मे नही कहा होगा? शायद किसी बिहारी से आपका ऐसा साबका पड़ा हो कि आप उसे भुलाये न भूल रहे हो! और इसी बहाने चाहते हो कि बिहारी लोग भारत से निकल जाये और आप चैन की नींद सो जाएं। यह अपना काश्मीर छोडने का फ्रस्टेशन है या आप सही मे जंगल राज के बारे मे सोच रहे हैं ! वैसे जंगल राज के बारे मे सोचते तो नासूर हटाने कि जगह जहाँ नासूर बना है उस हाथ को काटने की बात नही कहते! आपकी बाते बिहारी होने के नाते मुझे दुखी नही करती बल्कि आपकी नासमझी और अज्ञानता पर हंसी आती है कि आपने भी बिहार के बारे मे वो ही जाना जो " नान रेजिडेंट बिहारियो" ने आप सबको दिखाया है ! मै तो समझता था कि आप न्यायाधीश रहे है, विद्वान होंगे,पर इ का! आप तो पढे लिखे मुर्ख निकले ! बिहार का ना तो इतिहास,भूगोल आपको पता है और ना संस्कृति ! अगर बिहार देश का हिस्सा नहीं रहा तो कैसे आप आनेवाली पीढी को बतायेंगे कि आपके देश को लोकतंत्र की शिक्षा देने वाला हिस्सा अब पाकिस्तान मे चला गया! आप तो देश के हाथ से एक ऐसी विरासत छीन लेंगे जिसके ऊपर इस देश के लोकतंत्र की नींव पड़ी है। महात्मा बुद्ध,महावीर, अशोक,चम्पारण,राजेंद्रप्रसाद को भारतीयो के दिलोदिमाग से हटा देंगे? क्या आपके मन में ऐसी विरासत को ठुकराते हुए हिचक नहीं होगी? आज किसी भी राज्य के प्रशासनिक तंत्र मे बिहारियो का वो योगदान है तथा उनके प्रत्येक परीक्षाओ मे सेलेक्शन से पीडित वो हुजुम इस कदर उतावला है कि वो तो चाहेंगे कि बिहारी उनके राज्य मे नौकरी करने ना आये! यदि महाराष्ट्र मे हम अवांछित है तो क्या हमे विदेश भेज दोगे?माना कि क्षेत्रवाद जोरो पर है और हमे नब्बे के दशक मे भी मध्यप्रदेश मे पसंद नही किया गया था पर आप तो खुद विस्थापित हो, और अपने क्षेत्र से अलग होकर दुसरे जगह आजीवका की तलाश करना कितना दुष्कर और पीड़ादायक है, आपको समझना चाहिये!पर आपको तो कोई ना कोई शोशा छोडना है, छोड दिया! बिमारू स्टेट मे अकेले बिहार थोडे ही ना है!और भी है!जितनी भी कल कारखाने है ,उनमे बिहारी खून पसीना लगा है! देश की रक्षा करने मे बिहारी सबसे आगे यहाँ तक कि सेना मे बिहार रेजीमेंट बना हुआ है!और सेंस आफ ह्युमर तो इतना है कि इतनी बडी बात कहने के बाद भी आप सकुशल हो ! वरना यही मुंबई मे कहे होते तो सेना और मनसे आपकी क्या आरती उतार रही होती ,आपको पता है। यही क्या कम है? बीस साल पहले भी जब दिल्ली मे कोई' ऐ बिहारी 'कह के पुकारता था तो हम गुस्साते नही थे बल्कि उसको भी पंजाबी, हरियाणवी या दिल्लीयाट कहके ही बुलाते थे! मजाक हम भी समझते है पर उसके पीछे छिपे दुर्भावना भी समझ जाते है! इसीलिये जब मुम्बई मे कोई भैया कह के बुलाता है तो जानते है कि वो ब्रदर या बिरादर नही बल्कि एक कौम को बुला रहा है जो उनके रोजी रोजगार और उनके पेट पर लात मार रहा है!जब मज़ाक तंज और छीटाकशी बन जाये तो उस पर आपत्ति जायज़ है। आप मजाक मे भी कश्मीर पाकिस्तान को देने की बात कैसे कर सकते हो? " लेके रहेंगे आजादी" वालों का क्या हाल हुआ था, शायद भूल गये हैं क्या?अच्छा हम तो भूल ही गये थेकि आप भी वुद्दिजीवी संवर्ग से आते हैं जो धारा के विपरीत चलते है और स्थापित परंपराओं का विरोध करते हैं।पर बिहारी ही निशाने पर क्यो? शायद आपकी नजर मे बिहारी मीडिया, प्राइम टाइम,राजनेता,किशन- कन्हैया, ऐसे छुपे एटम बम है जो पाकिस्तान मे मिलकर पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर देंगे?या इनको आप इनाम देना चाहते हैं? हमको तो लगता न्युज मे बने रहने के लिए सलमान खान के प्रेग्नेंट औरत वाली चाल चली है आपने! विवादित बोल आजकल शगल बन गया है, भले ही आप न्यायमूर्ति रहे है पर हैं तो इंसान ही न! सही बोल रहे है हम! साहब बिहारी को फोकट मे बोल दिया तो बोल दिया, पर कभी कश्मीर देने की बात मत करिएगा ।इधर भक्ति आंदोलन का प्रार्दुभाव हो गया है और आजकल के भक्त वैष्णव नही काली की पूजा करते हैं। अंत मे एक बिहारी का नमस्कार!
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