फेसबुकिया चक्कलस बाजी

"स्साले सभी मक्कार है, हरामी के औलाद , दिलफेंक खूसट" समीर को इस तरह पैजामा से बाहर होते देख मैने पूछा क्या हुआ? आज इस कदर धारा प्रवाह गाली पुराण का वाचन क्यों किए जा रहे हो? किसी ने कुछ कहा या किसी से झगड़ा हो गया? अरे ! नही भाई, वो बोला" दिनभर ये साले कामचोर फेसबुक और चैटिंग पर लगे रहते है! काम धंधा कुछ नही ! आफिस मे भी आधा एक घंटा बाद कंप्युटर खोला या मोबाइल निकाला और बस शुरु हो गये। ये स्मार्ट फोन न , जी का जंजाल हो गया है! मै बोला क्या करोगे ,जमाने के साथ चलना पड़ता है। यदि तुम्हारे पास स्मार्ट फोन नही है तो, भक्कू , गंवार, पिछड़ा समझे जाओगे। डिजीटल इंडिया का सपना तो इसी से पूरा होगा न।  समीर बोला" वो तो ठीक है पर इस सोशल मीडिया ने परेशान कर रखा है। साले फर्जी आइ डी बनाबनाकर रिक्वेस्ट भेजते है और उल्टा पुल्टा मैसैज भेजकर परेशान करते हैं।साले चक्कलस बाजी करते रहते हैं।लड़कियो के नाम पर चीटिंग करते हैं।तो हमने भी सोचा लगे हाथ मै भी एक लड़की "स्वीटी" के नाम से फर्जी आइ डी बना लूं, और कुछ चकल्लस कर लूं।मैने उस पर एक खुबसूरत सी फोटू चेंप दिया और एक ही साथ हजारों मे फ्रेन्ड रिक्वेस्ट भेज दिया।अरे! यह क्या दनादन रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होने लगे और मैसेज भी आने लगे।" क्या बताऊं यार ! ऐसे ऐसे मैसेज की क्या कहना। " हाय हनी, हाय स्वीटी! लव यू हनी! कहां रहती हो? नंबर देदो, प्राइवेट बातें करनी है! कब बात करोगी? कहां मिलैगी? कल शाम मे फ्री हो? इनबाक्स मे आओ? आदि आदि।और गजब बात यह है कि इसमे सभी एज कैटेगरी के लोग हैं। कई तो हमारे आफिस के है स्साले, बूढे खूसट! !" मै बोला शांत हो जाओ ,पहले बताओ कि तुमने फर्जी आइडी बनाया क्यो? गलत बात है! दूसरे ये डिजीटल दुनिया आभासी है, जो होता है वो दिखता नही और जो नही होता वही दिखता है। सब चेहरे मुखौटे से ढंके हैं।जिनकी कहीं कोई पहचान नही वो अपनी गाथा सुनाकर लाइक्स और कमेंट बटोरता है और आत्मसुख प्राप्त करता है।देखो! समीर, तुमने तो प्रयोग करके देखा है पर इस पर बकायदे अभियान चलाया जा रहा है, फर्जी आइडी बनाकर। इसी बीच स्नेहा और गौतम भी खिलखिलाते आ गये। क्यों समीर कैसा एक्सपीरियेंस रहा? बड़े चले थे, लड़की बनने ! अब पता.चला , कया क्या झेलना पड़ता है?स्नेहा बोली" फेसबुक पर जितने भी गाली गलौज व ट्राल करने वाले हैं, फर्जी है। कोई पाकिस्तान का  बना है तो कोई गल्फ कंट्री का,।कोई मुसलमान बनकर मुसलमानो के विरोध मे बोल रहा है तो कोई हिन्दु बनकर हिन्दुओं के विरूद्ध। फर्जी आइ डी बनाकर वामपंथियो, कांग्रेसियो, आपियो और भाजपाईयो को गाली देना आसान हैं। कोई इनके घर तक जाकर मार पीट नही करता।जिसने भी  सोशल मीडिया मे थोड़ा टेनी-मेनी दिखाने की कोशिश की और ढेर काबिल बना उसकी ऐसी की तैसी निकाल देते हैं ये लोग।! सो काल्ड भक्तन , aaptards, पप्पू पार्टी, फेक आइ डी वालों ने उनकी ऐसी वाट लगायी की उनका "चस्पी डाऊन और जिलेबी टाइट"। हवा ही खराब हो गई।बडे बडे "प्राइम टाइम" वाले सोशल मीडिया से ऐसे गायब हुए जैसे गदहे के सिर से सींग! समीर बोला" फेसबुक पर हवा और ट्राल खूब बनाया जाता है लेकिन सिर्फ़ हवा बनाने से कुच्छो नहीं होता, हवा का क्या है ,कभी पुरवा तो कभी पछुआ! इसी बीच गौतम बोल पड़ा" अरे समीर बाबू" ये पब्लिक है ना ,वह सभे जानती है! अंदर-बाहर क्या  है! तो इस पर ज्यादा फोकस मत बनाया करो। भेद सबका खुलना है एक दिन। मजा लो और कट लो!सड़क पर निकलते हो  तो जनाब जरा देखभाल कर चलिए! वहां तो कोई फुटपाथ वालों को कुचल देता है तो कोई ओभरटेक करने वाले को ठोक देता है! लेकिन  इस मामले मे फेसबुकिया सडक आ फुटपाथ दोनो सुरक्षित है! जब दनादन पोस्ट ठुकने लगे और बेतरतीब गालियां पडने लगे तो बन जाओ कछुआ या फिर मौनी बाबा! स्नेहा बोली" बेकार लोगो के लिए है ये फेसबुक वेसबुक और चैटिंग। जिसके पास काम धंधा है, वो यहां क्या करेगा? लेकिन खलिहर लोगों के लिए तो  यह स्वर्ग सदृश चारागाह है, जहां ये उनमुक्त विचरण करते है, हरी हरी घास चरते हैं पगुराते भी हैं और गोबर भी यहीं करते हैं। कुछ लोग यहां सिर्फ बैटिंग करने आते हैं जहां बाल मिली.तो दननादन शुरु हो गये, तो उनके चौको-छक्को से सावधान रहिए क्योंकि इनके लिए कोई वाद-बाद नहीं है , इनके लिए सिर्फ है दागो और भागो!समीर बोला" लेकिन उन्हे एक अदद अपना अच्छा या बुरा चेहरा पोस्ट करने मे शर्म क्यों आ रही है और अपनी फोटो की जगह फिल्मी, धार्मिक, प्राकृतिक-अप्राकृतिक फोटो लगा रखी है, ऐसे लोगो को अपनी फ्रेंड्स लिस्ट मे रखना खतरे से खाली नही है । अरे यह दुनिया तो पहले से ही दुनिया फर्जी है ,उपर से आइ डी भी फर्जी? लाइक्स बढाने के चक्कर मे लिस्ट मे  कचरा भरने से क्या लाभ? मै बोला आज एक मित्र ने अपना स्टेट्स अपडेट किया कि, फेसबुक गारबेज बाक्स हो गया है और सारे लोग बाहर का कचरा लाकर यहां उड़ेल देते है" प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत बाहरी सड़कें साफ हो रही है पर आभासी दुनिया मे कचरा जमा हो रहा है। पर ये तय करनेवाले वो कौन होते हैं कि कचरा क्या है? जो भी आदमी लिखता है ,बोलता है ,उसकी नजर मे वह सर्वश्रेष्ठ होता है, दूसरा न पढने का सर्वाधिकार यहां सुरक्षित है,यही तो कमाल है यहां कि कोई भी आपको यहां कुछ करने को बाध्य नही कर सकता।इसको "आभासी दुनिया की स्वतंत्रता" भी कह सकते हैं।

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