महात्मा गांधी की तस्वीर

वित्त वर्ष 2015-16 में 1,510 करोड़ रुपये के खादी उत्पादों की सेल की सेल हुई, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा महज 1,170 करोड़ रुपये था। इस तरह एक साल के भीतर खादी प्रॉडक्ट्स की सेल में 29 पर्सेंट का इजाफा हुआ। 2014-15 में खादी प्रॉडक्ट्स की सेल में 8.6 पर्सेंट की ही ग्रोथ हुई थी। मौजूदा वित्तीय वर्ष में खादी ग्रोमोद्योग आयोग के प्रॉडक्ट्स में 35 पर्सेंट का इजाफा होने का अनुमान है।दस वर्षों तक 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार में खादी की बिक्री 2 से 7 फीसदी ही होती थी. उन्होंने कहा जब से मोदी सरकार आई है खादी में 5 गुना वृद्धि हुई है. अब खादी की बिक्री 35 फीसदी से ज्यादा है.बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कैलेंडर पर 2005, 2011, 2012, 2013 में भी गांधी जी की फोटो नहीं थी.”पूरा खादी उद्योग की गांधीजी के दर्शन, विचारों और आदर्शों पर टिका हुआ है, वह KVIC की आत्‍मा हैं। इसलिए उन्‍हें नजरअंदाज करने का सवाल ही नहीं है।” उन्‍होंने कहा कि मोदी लंबे समय से खादी पहनते रहे हैं और उन्‍होंने इसे देश में और विदेशी हस्तियों के बीच लोकप्रिय बनाया है, वह खादी के इर्द-गिर्द अपना स्‍टाइल गढ़ते रहे हैं। सक्‍सेना ने कहा, ”दरअसल, वह (मोदी) खादी के सबसे बड़े दूत हैं और उनका विजन KVIC से मिलता है, गांवों को आत्‍मनिर्भर बनाकर ‘मेक इन इंडिया’ का। ग्रामीण जनता के बीच रोजगार सृजित कर ‘स्किल डेवलपमेंट’ का, खादी के बुनने, मार्केटिंग के लिए आधुनिक तकनीक लाना, इसके अलावा पीएम यूथ आइकन हैं।” पीएमओ ऑफिस ने कहा कि केवीआईसी का ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि डायरी या कैलेंडर पर गांधी जी की फोटो ही होनी जरूरी है।अपनी आत्म कथा में बापू लिखते हैं कि मुझे याद नहीं पड़ता कि सन् 1908 तक मैने चरखा या करधा कहीं देखा हो । फिर भी मैने ‘हिन्द स्वराज’ मे यह माना था कि चरखे के जरिये हिन्दुस्तान की कंगालियत मिट सकती है । और यह तो सबके समझ सकने जैसी बात है कि जिस रास्ते भुखमरी मिटेगी उसी रास्ते स्वराज्य मिलेगा ।भारतीय मुद्रा की विशेष पहचान के रूप में उसमें अंकित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो को देखा जा सकता है। मगर, पहले बापू की फोटो अंकित नहीं होती थी। अस्सी के दशक तक किसी व्यक्ति विशेष की जगह राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न चार शेरों वाली मूर्ति एवं अन्य वस्तुओं की फोटो नोटों में छपती थी। अचानक 90 के दशक में महात्मा गांधी की फोटो नोटों में छापी जाने लगी। यह कब हुआ, कैसे और किसके आदेश पर हुआ, इसकी जानकारी न सरकार को है और न ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ)को। इस तथ्य का खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।कृष्णा नगर निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से जानकारी मांगी थी कि नोटों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो छापने का निर्णय किस दिनांक और किस वर्ष को लिया गया। यह भी पूछा गया था कि यह निर्णय किस आदेश से लिया गया था, उस विभाग और उन अधिकारियों के नामों की जानकारी केंद्र सरकार व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया कि सभी नोटों पर वाटर मार्क एरिया में महात्मा गांधी की फोटो मुद्रित करने की सिफारिश 15 जुलाई, 1993 और नोट में दाहिनी तरफ महात्मा गांधी का चित्र मुद्रित करने का सिफारिश 13 जुलाई, 1995 को आरबीआइ ने केंद्र सरकार को की थी। आरबीआइ ने जवाब में कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार ने कब लिया, कब लागू हुआ और किस तारीख से महात्मा गांधी की फोटो भारतीय नोटों पर छापने का कार्य शुरू हुआ। इसकी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं ह जल्द ही भारतीय करंसी यानी नोटों पर महात्मा गांधी को 'साथी' मिलने वाला है। दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) नोटों पर महात्मा गांधी के साथ अन्य महान भारतीय हस्तियों को जगह देने का मन बना चुका है। इसके लिए आरबीआई ने सुझाव भी मांगे हैं।आरबीआई को अब तक मिले सुझावों में बी. आर. आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नाम शामिल हैं। करंसी एक ऐसी जगह है जहां वह अकेले या यूं कहें, एकाधिकार के साथ नजर आते हैं। 1987 में वह पहली बार 500 के नोटों पर नजर आने लगे और फिर 1996 से वह हर नोट पर दिखाई देने लगे हैं।बापू से पहले भारतीय नोटों पर अशोक स्तंभ नजर आता था। आरटीआई ऐक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने जब यह जानना चाहा कि कैसे और कब से महात्मा गांधी की तस्वीर नोटों पर हैं, उन्हें आरबीआई द्वारा यह बताया गया कि इस बारे में कोई डॉक्युमेंट मौजूद नहीं है। आरबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि 1993 में आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ने गांधी इमेज का सुझाव दिया था जिसे भारत सरकार ने अप्रूव कर दिया था।मुद्रा विज्ञान पर कई किताबें लिख चुके दिलीप राजगौड़ का कहना है कि नृत्य के कई रूप, ऐतिहासिक स्थल और महान वैज्ञानिक भारत में हुए हैं... उन्हें हम अपने सिक्कों और नोटों पर लेने के बारे में क्यों नहीं सोचते हैं। राजगौड़ ने बताया कि आरबीआई में कोई मुद्रा विज्ञानी नहीं है। वैसे, कई अफ्रीकी देशों में महात्मा गांधी की तस्वीर सिक्कों पर है। कई ने ताजमहल की तस्वीर सिक्कों पर ली हुई है। नेपाल में प्रयोग होने वाले सिक्कों पर बुद्ध की तस्वीर है।

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