ब्लैक को व्हाइट करने की छटपटाहट

सडक किनारे बैंको और एटीएम के सामने लम्बी लम्बी कतारे लगी है ! दुकानो पर सन्नाटा पसरा है! गंगा नदी मे नोटो के बंडल बह रहे है !कही कुडेदानो मे नोट बिखरे पडे है1 नोटो को जलाया जा रहा है!जितने भी खाली बैंक अकाउंट थे उसमे धडाधड पैसे जमा हो रहे है ! ये क्या हो रहा  है देश मे ?  कुछ लोग बाग कह  रहे है जनता रिवोल्ट कर जायेगी ! कोई कह रहा है यदि कतार मे लगे लोगो को वोट का भी अधिकार हो तो नोट के साथ सरकार भी बदल जायेगी ! यह सब सरकार के फैसले का असर है कि हजार और पांच सौ के नोट अब चलन मे नही रहेंगे !  यदि कोई उन नोटों को बदलना चाहे तो बदल ले, जमा करना चाहे तो बैंक में जमा कर दे! मतलब साफ था कि काला धन जो कैश के रूप मे अमीरो के तिजोरियो, बैंक लाकरो और बिस्तरो के नीचे डम्प है, कागज के टुकडे मात्र रह गये !  कुछ भ्रष्ट लोग देश का ज्यादातर पैसा अपने पास दबा लेते हैं या केवल वहाँ संचित होने के अवसर उपलब्ध कराते हैं, जहाँ से जब चाहें तब निकलवा सकें, वसूल सकें। ऐसे पैसे को बाहर निकालने के लिए या उसे कूड़ा बनाने के लिए   सरकार ऐसे निर्णय लेती है !जाहिर है चोट बडी गहरी है  तो तिलमिलाहाट भी उतनी ही बडी होगी। । सोशल मीडेया पर ट्रोल, कैम्पेन,अफवाहो का दौर,प्रारम्भ है पर यह ऐसी सर्जरी है जिसका खुलकर विरोध तो कोई कर ही नही सकता ! यदी विरोध किये तो इसका मतलब यह निकाला जायेगा कि आपके पास काफी काला धन है ! बस इसे लागू करने के टाईमिंग और तरीके पर सवाल उठाये जा रहे है ! " चिट्ठी ना कोई  संदेश ,लाईन मे लगाकर देश, कहाँ तुम चले गये " मोदी इन जापान ! या "" बागो मे बहार है, लम्बी लम्बी कतार है!"  यह चीटिंग है , कहे थे कि विदेश से काला धन लायेंगे , देश के बारे मे नही कहा था , ये फाउल गेम है !" लेकिन भेद खुल गया जब शाम तक नोट-बंदी से खुद को बेहाल करार देने वालो के पास  अचानक इतना धन आ गया कि नमक के लिए उन्‍होंने मारामारी करनी शुरू कर दी।। देश के अलग अलग हिस्सों से नमक के दाम अचानक से बढ़ने की खबर तेजी से आ रही है।  वस्तुत देश मे अशांति लाने का यह प्रयास है ! जब एक बडा आपरेशन होता है तो उसे ठीक होने मे समय लगता है ! ये वो दौर है जब आप पीडा मुक्त हो रहे होते है ! अभी कुछ दिन पहले मेरे बाये हाथ के अंगुठे मे" नखगडा" हो गया ! काफी पेन कर रहा था! डाक्टटर ने दवा से दबाने की कोशिश की पर ठीक नही हुआ तो आपरेशन करना पडा! जब आपरेशन किया तो इतनी भयंकर पीडा हुई कि सोचने लगा कि ना कराते तो अच्छा था  ! दो दिन तक पेन किलर लेना पडा! अब ठीक है !! क्या ये उसी तरह से नही है ? क्या सबने अपने जीवन मे कोई  या कभी ना कभी छोटा या बडा सर्जरी नही करवाई है ? और क्या इसी प्रकार के दौर से गुजरे नही है !इसे वही समझिये ! यदि समझना चाहते है तो !  वरना " समझ समझ के समझ ना समझे,मेरी समझ मे वो नासमझ है !यह सत्य है कि सभी जगह नये नोट नही पहुंच पाये है , एटीएम मे तकनीकी फेर बदल किये जाने है ,आपरेशन को गोपनीय बनाने के चक्कर मे  कई समास्या अवश्य आ रही है पर धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा !लेकिन ब्लैक मनी होल्डर अभी हार नही मानेंगे  !अपनी काली कमाई को सफेद करने सारे जुगत भिडा रहे होंगे! कई लोगों ने कामवालियों, ड्राईवरों को साल दो साल का एडवांस वेतन दे दिया है।  सेठों ने कर्मचारियों के खाते में अलग अलग मद में पैसे जमा करा दिये हैं। ।किराये के अकाउंट हायर किये जा रहे है ! जनधन खातों में भारी उछाल आया है।कहा जा रहा है कि सरकार ने इन जनधन के खाते इन्ही दिनो के लिये खुलवाये थे जिसमे सरकार तो पंद्रह लाख रुपये नही डाल पायी, काली कमाई के धन इसमे अवश्य आ गये ! प्राइवेट अस्पतालों ने खातों में उछाल आ गया है।सोना वालो की चांदी हो गयी ! ये अलग बात है कि ६०० सराफा व्यवसायियो को एक्साइज की नोटिस भी मिली है ! होटल और रिजार्ट सेक्टर के ज़रिये काला धन सफेद किया जा रहा है।एक दो दिन तो रेलवे के टिकटो के माध्यम से ब्लैक को व्हाइट करने की जुगत भिडा दी गई! तीस से चालीस फीसदी के कमीशन पर पैसों को सफेद करने की ख़बरें छप रही हैं।हर चीज़ का जुगाड़ है।ढाई लाख से कम की रकम पर पूछताछ नहीं होगी। किसानों की रकम पर पूछताछ नहीं होगी। जाहिर है यहाँ भी ब्लैक का व्हाइट हो सकता है !" ऐसे लोगों की कमी नहीं जिन्होंने मौके  पर चौका मारते हुए किसी जगह भीड़भाड़ या हाईवे पर जाम के समय २० रुपए का पानी बोतल १०० रुपए में बेचा  हो और आज ऐसे लोग सबसे ज्यादा हंगामा मचा रहे हैं? सबसे बडी समस्या शादी विवाह वाले घरे ,मरन हरण के घरो,,कैश लेकर पर्यटन पर निकले लोगो, को हो रही है क्योंकि अपना  देश अभी कैशलेश   नही बना है! यहाँ हर छोटे बडे काम मे कैश का उपयोग होता है ! जिन घरों में शादी है, उन्हें  इस कारण दिक्कत हुई है लेकिन सामाजिक सम्बंधो के नाते बाजा वाले से लेकर हर दुकानदार सहयोग कर रहा है। आम आदमी तो शादी करता-कराता है, लेकिन हल्‍ला-दंगा नहीं करता। वह अपनी मेहनत को आंकता है, और फिर इन रुपयों की वैल्यू कम  नही हो गई है। उन लोगों को भी इससे फर्क नहीं पड़ेगा, जिनकी आय बेहद सीमित है।  इतना ही नहीं, निजी क्षेत्र या सरकारी विभाग-निगमों में छोटे पदों पर काम करने वालों पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भले ही उनके घर में पांच सौ या हजार के दस-बीस नोट रखे ही क्‍यों न हों, लेकिन कोई किल्‍लत नहीं होगी।उन्हे आज बडा संतोष हो रहा होगा कि   वे ऐसे फील्ड मे है जहाँ उपरी आय नही है !यदि वाकई मे उपरी आय या पुर्ण्त भ्रष्टाचार समाप्त हो जाये तो  सरकारी  नौकरी वालो के दहेज के डिमांड कम हो जायेंगे ! हमारी सामाजिक संरचना ही ऐसी है कि हम एक-दूसरे सम-आय वालों से परस्‍पर रिश्‍ते बनाये रखते हैं। उधारी इस आयवर्ग का सबसा बड़ा सम्‍बल होता है। जिनके पास बाइक या छोटी-मोटी कारें हैं, उन्‍हें भी कोई दिक्‍कत नहीं होगी। क्‍यों कि  पेट्रोल पम्पो पर पुराने रुपये लिये जा रहे है ! वे नोट न होने पर एटीएम से भुगतान कर देंगे।लेकिन चिल्‍ल-पों वही कर रहे हैं जिंनकी राजनीति खतरे मे पड गयी है !करोडो के वारे न्यारे , टिकटो की खरीद बिक्री, नोट देकर वोट खरीदना अब मुश्किल हो गया ! सरकारी विभागो की ब्लैक मनी  " उपरिगामी संग्रहण सिध्यांत " पर काम करती है, अर्थात जो सबसे उपर उसके पास सबसे ज्यादा  संग्रहण! लेकिन इस सर्जिकल स्ट्राइक  की सबसे अच्छी बात यह है कि कोई इसका विरोध नही कर रहा है बल्कि आगे बढकर इसका समर्थन कर रहा है जिससे वो अपने को ज्यादा से ज्यादा ईमांनदार और पाक साफ प्रमाणित कर सके!" भीतर भीतर आग लगे , उपर से कछहु ना कहे !"  ऐसे जगह काटा है कि " भीतर की व्यथा भीतर ही रखेंगे ! मजाल है जो जुबान पर आ जाये ! किसी  भी बडे अधिकारी या मंत्री के हर्ट अटैक या अस्पताल मे भर्ती होने की खबर नही आयी !शायद सेटिंग या एडजस्टमेंट हो चुका होगा  या जुगत भिडाने मे लगे होंगे !   वास्तव मे ब्लैक मनी  तो रियल इस्टेट और सोना मे लगा है ! अब कैश कौन घर मे रखता है ! तो सबसे ज्यादा असर यही पडेगा! जमीन और प्रापेर्टी के दाम कम होंगे !  निर्माण या सप्‍लाई के धंधे में जो लोग या उनकी कम्‍पनियां लगी हुई हैं, उनका धंधा  पानी निश्चित रूप से चरमरा जाएगा। जिनका पूरा धंधा ही कमीशन देने पर टिका हुआ रहता है। अब वे कहां से घूस की रकम जुटायेंगे, और फिर ऐसी हालत में कैसे घूस देंगे और फिर कैसे काम हासिल करेंगे।वास्तव मे चिल्‍ल-पों करने वाले लोग अपनी हराम की कमाई लुटाने पर लगने वाली पाबंदियों पर छटपटा रहे हैं। देश बदल रहा है " जुमला हो सकता है पर बदलने की कवायद नही !और आपने सरकार की नीतियो और कार्यो का समर्थन किया तो " भक्त " करार दिये जायेंगे ! याद रहे! 

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