पोस्टिंग
नरेश ने चैन की सांस ली ,चलो अच्छा है वो विभाग से चले गए।नये साहब तो उसके एरिया के है और पुरानी जान पहचान भी है,अब तो मजे ही मजे है।अब तो उसे मनचाही पोस्टिंग मिल जाएगी, काफी दिन से उस ब्लॉक मे जाने की उसकी दिली ख्वाहिश थी।पहले वाले ने तो तीन पेटी का डिमांड किया था, ये तो जान पहचान वाले हैं, थोडा किसी नेता से कहलवा देंगे तो काम आसानी से हो जाएगा! अगले दिन सुबह ही सुबह वह मिठाई का डब्बा लिए दरबार मे हाजिर हो गया। पर यह क्या? यहाँ तो दरबारियो की लाईन लगी हुई है! अर्दली को एक हरा पता थमाया तो जल्दी साहब से मुखातिब होने का मौका मिल गया! साहब से घर परिवार, गांव समाज आदि की बात करते करते दिली ख्वाहिश पे आया तो साहब बोले" देखो उसका काफी डिमांड है, लेकिन मै भी चाहता हूँ कि कोई अपना आदमी वहाँ आये! अब रेट तो वहाँ का पांच पेटी है, लेकिन तुम अपना आदमी हो तो चार कर देना! वैसे घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या? और हमें भी तो उपर करना पडता है।ये तो तुम जानते हो कि बिना दिए कोई यहाँ आता नहीं और हरेक साल ट्रांसफर से बचने के लिए एन डी ए (नान डिस्टर्बेंस एलाउंस) उपर देना पडता है।वो कहाँ से आएगा? तुम जल्द डिसीजन करके बताओ ! वो सहजनपूर वाला आफिसर इतना देने को तैयार है।नरेश ने जाति, एरिया जान पहचान का वास्ता भी दिया पर कोई असर नही हुआ । जबकि क्षेत्रीय विधायक जी के पैड पर उपर वाले बडे अफसर ने आवश्यक कार्यवाही के लिए भी लिखा था। कहने लगे अरे पैड कैसे लिखवाया जाता है तुम भी जानते हो! कितने ब्लैंक और साइन्ड पैड तुमको चाहिए , बताओ!ये तो नेताओं के चमचो और पुछल्लो के पास ढेरों पडे होते हैं।कोई फोन वोन आता है तो हम लोग थोड़ा सिरीयसली लेते हैं वरना ये सब तो रद्दी की टोकरी के लिए लिखे जाते हैं।हाँ यदि तुम्हारा करना है तो इसका उपयोग कर लेंगे!।नरेश के तो पैरों तले जमीन खिसक गई।उस दिन उसे अचानक अहसास होने लगा कि लूट की कमाई के हिस्सेदारी मे जाति, धर्म, क्षेत्र, संप्रदाय, भाषा, राज्य का मोल नही होता !उसे याद आया कि पिछले साल उसने भी तो बोली लगाकर यहाँ पोस्टिंग करा ली थी जबकि यहाँ पोस्टेड आफिसर तो उसका जिगरी दोस्त था।आज अचानक ही उसे संघ, संगठन, आदर्श वाद, क्रांति याद आने लगा था।आज सोशल मीडिया पर उसके लेखनी मे अचानक तल्खी और रूसी क्रांति की झलक आ गई थी।जिनके लिए कलतक सम्मान, आदर, अपनापन था, आज अचानक वह समाज, विभाग, कैडर का सबसे बडा दुश्मन बन गया था।
Well written Avinash bhai.keep it up.
ReplyDeleteWell written Avinash bhai.keep it up.
ReplyDeleteक्या बात है। यथार्थ चित्रण।
ReplyDeleteसटीक
ReplyDeleteसटीक
ReplyDelete"सच" से बढ़कर मजा fiction में भी नहीं है।
ReplyDeleteकुछ और पर्तें उघाड़ते तो और मजा आता।