कालाधन कैसे बना सफेद ?
आर बी आई की रिपोर्ट के अनुसार 1000 एवं500 रुपये के कुल निर्गत 14.50 लाख करोड़ रुपये मे से लगभग 11.50 लाख करोड़ रुपये वापस बैंक मे जमा हो गये हैं। इसका मतलब यह भी निकलता है कि अगले 22 दिनों मे बाकी के रुपये भी आ सकते हैं, इसका मतलब यह निकलता है कि भारत मे काला धन कैश के रुप मे था ही नही। माना भी जाता है कि कालाधन का एक बहुत ही छोटा हिस्सा कैश के रुप मे होता है।अब दूसरी तरफ देखें कि चेन्नई के एक ज्वैलर्स के यहाँ छापे मे 90 करोड़ कैश मिले जिसमे से 70 करोड़ नये रूपये थे। कई जगहों से बड़ी मात्रा मे नये कैश पकड़े जा रहे हैं। इसका क्या मतलब निकलता है? क्या ये सब एक ही दिशा की ओर इशारा नही कर रहे हैं कि बड़े पैमाने पर कालाधन बैंकों मे जमा कराया गया या बैंको की मिली भगत से रुपये बदलवाये गये। अभी कल ही न्यूज आई कि फैक्ट्री मालिक ने अपने कर्मचारियों के सैलरी अकाउंट मे एडवांस 6 महीनो का वेतन जमा करवाया है और उनके घरों के आसपास अपने गुर्गे बिठा रखे हैं कि वह भाग न सके। एक महिला ने शिकायत की कि उसके चाचा ने उसके अकाउंट मे एक लाख जमा करवा दिया और अब जब वह निकल नही पा रहा है तो उस पर अपने गहने जेवर देने का दबाव बना रहा है। जब तक अंगुलियों पर स्याही नही लगाई जा रही थी तबतक फैक्ट्री, आफिस के कर्मचारियों को लाइन लगवा कर रूपया बदलवाया जा रहा था। पेट्रोल पंपो पर रुपये बदलने का धंधा जोरों पर था।उतर प्रदेश मे पराग कंपनी के एक बड़े अधिकारी ने सीबीआई जांच की मांग की कि नोटबंदी से पहले उसके दुध कलेक्शन सेंटर से रुपये आधे हजार पांच सौ और आधे सौ पचास के आते थे परंतु नोटबंदी के बाद शत प्रतिशत हजार पांच सौ की शक्ल मे आने लगे हैं।रोडवेज के एक कंडक्टर ने शिकायत की कि रास्ते मे बस चेकिंग के बहाने विजिलेंस वाले उनकी नकदी चेंज कर सभी हजार पांच सौ के रुपये पकड़ा दे रहे हैं कि जाओ इसे जमा कर दो।वो तो किसी टीम ने गलती से जाली पांच सौ के पकड़ा दिया और रोडवेज मुख्यालय काऊंटर पर लेने से मना किया गया तो मामला प्रकाश मे आया।अधिकारियों ने अपने कालाधन बदलने मे कोटेदारों का भी सहारा लिया है। कई जगह तो कोटेदारों द्वारा सरकारी अकाउंट मे एडवांस के तौर पर तीन चार महीनों का पैसा जमा करा दिया है और अब प्रतिमाह गल्ला बेचकर उन्हें वापस करेंगे। सबसे बड़ा खेल बैंकों मे हुआ है। अपने रसूख और पावर का इस्तेमाल कर बड़े अधिकारियों ने पैसे चेंज करवाये हैं। कहीं कहीं बैंक मैनेजर बेचारा बन गया है कि वह इन सब दबावो को झेल नही पाया है। मान लीजिए किसी जिले का जिलाधिकारी या एस पी या मंत्री विधायक ही एक खास रकम चेंज करने के लिए कहेगा तो वो क्या करेगा? उसे भी तो नौकरी उसी जिले मे करनी है। पानी मे रहकर मगर से बैर कैसे कर पायेगा? दूसरी ओर पैसे का लालच भी बुरी बला है। यूं ही एक्सिस बैंक मे 40 करोड़ रुपये अन अकाउंटेड नहीं पाये गये।अनेकों अधिकारी कर्मचारी सस्पेंड हुए हैं। इन्होंने कमीशन लेकर पैसा चेंज किया है। फर्जी एकाउंट खोले और उसमे जमा कर निकलवाया है। चेन्नई के ज्वेलर्स के पास नये नोटों का मिलना इसका सबूत है कि बैंकों ने गड़बड़ी की है।आम जनता लाइनों मे खड़ी रही और ये सब अपने चहेतों को पैसा उपलब्ध कराते रहे। सरकार ने मात्र दो ढाई लाख करोड़ रुपये नया करेंसी मार्केट मे डाला है परंतु वह बैंको की मनमानी के कारण ए टी एम और आम जनता को उपलब्ध नही कराये जा रहे है।लगता है सरकार 31 दिसम्बर तक काफी मात्रा मे नये नोट मार्केट मे लाना नही चाहती क्योंकि एक तो उतने नोट छपे नही हैं और दूसरे उसे डर है कि ज्यादा रुपये होने पर लोग होर्डिंग करने लगेंगे।अब तो सरकार ने भी मान लिया है कि जनधन अकाउंट मे काफी मात्रा मे कालाधन जमा हुआ है।नोटबंदी के अगले दिन बड़ी बड़ी गाड़ियों मे बैगो मे रुपया लादकर जिलों मे पहुंचाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर खुब वायरल हुआ था।नेताओं ने रजिस्टर पर नाम नोटकर के रुपये अपने सेक्टर, जोनल, ग्रामीण और जनपदीय कमांडरो को सौपे कि इसे किसी तरह चेंज करवा कर लाओ। ग्रामीण नेताओं ने रजिस्टर पर हस्ताक्षर करा कर अपने लोगों को एकाऊंट मे जमा कराने को दिया। यही काम सक्षम अधिकारियों ने अपने मातहतो से करवाया।कर्मचारी कल्याण निगम के फैमिली बाजारों और केन्द्रीय उपभोक्ता भंडारो की बिक्री मे कई गुणा वृद्धि हो गई है। अवैध धन से धुंआधार खरीद की गई। बिजली बिल,हाउस टैक्स, पानी बिल इत्यादि के बकाया और एडवांस टैक्स जमा हो गया। यहाँ भी जमा मे कई गुणा वृद्धि हुई है।ये सारे रुपये तो अंत मे बैंक मे ही जमा हो रहे हैं।कालाधन इस तरह सफेद हो रहा है या करवाया जा रहा है।बवाल तो तब होने वाला है जब 31 दिसंबर तक यदि 14.50 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये वापस आ गये। तो क्या जाली नोट भी बैंको मे जमा हो गये?शुरुआती दिनों मे नोट बदलने और जमा करने की इतनी हड़बड़ी मची थी कि कुछ भी हो सकता है।तो इंतजार कीजिए 31 दिसम्बर की फाइनल टैली के लिए!नववर्ष नये हंगामे का इंतजार कर रहा है।
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