टापर स्कैण्डल

कुछ तो गड़बड है! जिस बिहारी प्रतिभा का आजकल मीडिया और सोशल मीडिया मे सरेआम मजाक बनाया जा रहा है, क्या सही मे उसने top किया है या बिहार को बदनाम करने की साजिश है? सी आई डी के ए सीपी प्रद्युम्न को लगाना पडेगा??बिहारी प्रतिभा के भुक्तभोगी आसपास के राज्य के छात्र और विदेशी भी रहे है जहाँ वो हक से अपने आप को स्थापित किए हुए हैं।कोई भी हिन्दी भाषी राज्य की प्रतियोगिता परीक्षा या राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा हो ,बिना बिहारी प्रतिभा को शामिल किए पूर्ण नहीं होतीं।किसी  को बिहारियो की योग्यता पर शक नही होगा ,परंतु ये लल्लू-पंजू  बिहार का नाम पूरा का पूरा मिट्टी मे मिलाय दे रहे हैं.. आक्क थू..।बिहार बोर्ड की परीक्षा भी इतनी आसान नही है तथा वहाँ भी सी बी एस ई पैटर्न पर परीक्षा हो रही है तब ये ढक्कन टाइप मुर्खाधिराज टाप कैसे कर गए?बिहारियो से जलने वालों को तो अच्छा मौका मिल गया, उनपर हंसने का! खूब हंसो बाबू! पर इतने भी गए-गुजरे नही है ये लोग।कंपटीशन वाला बिहारी तो ताल ठोक कर तैयारी कर ही रहा है महेन्द्रू घाट और मुखर्जी नगर,नेहरू विहार मे।वहाँ पर इन टापर वापर का जोड नही न चलता है । कितना भी लोगों को रेड चिल्ली लगे काला घोड़ा दौड़ जीत ही लेगा।"विकास पुरूष" इस टापर स्कैन्डल का पर्दाफाश करें ,क्योंकि लगे हाथ लोगों को लालू जी के दो अनमोल रतन को भी गरियाने का मौका मिल गया है।आप खाली बिहारे को संभालिये और बाकी देशवा मे जो है से हईये है.।।अरे ..अरे हम उनकी देश की राजगद्दी के क्लेम पर रेलवे फाटक बंद नहीं कर रहे हैं। इस ओर अपनी नेपलिया ट्रेन चलाना चालू रखे पर इस "टापर स्कैण्डल" को भी जरा चश्मा उतार कर देखें।

Comments

Popular posts from this blog

कोटा- सुसाइड फैक्टरी

पुस्तक समीक्षा - आहिल

कम गेंहूं खरीद से उपजे सवाल