इलेक्शन

ई चिरकुटई की हद है, कोई इस तरह भी कर सकता है, अभी तो सोचकर भी कुवाथे कपार फटने लगता है। अगर उसको जाना ही था तो धीरे बता देता कि 'हो दादा ! गलती हो गई, कान पकडकर माफी मांगते हैं, तो  क्या हम उसको खा जाते, टंगडी पकड के बांध लेते , फांसी चढा देते! सारा किए धरा पर पानी फेर दिया ई ससुरा!  सब मेहनत पर पानी फेर दिया!अब मेहरारु को क्या मुंह दिखाये जाके? ऊ त पहिलै से ही कहती रही ,के तुम्हरा भाउ ,तोके  एक दिन धोखा देगा, तुम आगे पीछे करते रहो,एक दिन चुपके से ठेंगा दिखा के नौ दो ग्यारह हो जाएगा। हमही निरा बामड, उसकी चिकनी चुपडी बातों मे आ गया वरना उ ऐसे थोडे न जाने पाता। हम भी सेठ भानूमल मारवाडी हाईस्कुल के नाइंथ फेल पास आउट ऐसे ही नही है।बडन बडन के हमने पानी पिलाया है और आज भी बिकऊआ के घर मे जो भी चिठ्ठी पतरी आती है, हमही को पढने के लिए बुलाया जाता है।साला! मेरा अक्ल ही घास चरने चला गया था। तब ही तो जब  मुखिया सीट पहले ही आरक्षण मे आ गया था तो मेहरारू के लिए टिकट मांगने की जरूरत ही क्या थी? उ तो बाद मे ब्लॉक वाले हाकिम ने बताया कि 'पंचायत चुनाव पार्टी आधार पर नही लडी जाती, और किसी को किसी पार्टी से टिकट लेने की जरूरत नही'। हरामी चूना लगा गया! भाऊ ने कहा नेता जी से मेहरारु को मिला कर टिकट दिलवा दूंगा ,बस तेरी जीत पक्की! तू बस उ जो पोखरी के भीरा वाली जमीन हमारे नाम कर दे।जिस दिन रजिस्ट्री हुई, बदमाश उसी दिन से गायब है।अब चुनाव लडे भी तो कहाँ से, उसी को बेचकर खरच करने वाले थे। महाजन बीस परसेंट ब्याज कह रहा है ,घर दुआर सब बिक जायेगा। इतना दिन से फील्ड बना रहा था, अब शायद अगले चुनाव मे आरक्षण पिछड़ा  का हो जाए।गईल भैंस पानी मे! का करें हमरा त माइंडे बोगला गया है।घर जाता हूँ तो मेहरारु खखोरने दौडती है और रोड पर आता हूँ तो लाउडस्पीकर पर प्रचार आ लोगन के कन्वासिंग सुन के छाती पर रेती चलने लगता है।कउन मुहर्त मे उ भउआ से मुलाकात हुआ और हमारा माइंड  घूम गया, नही तो आज हम भी अपने पलानी मे जमघट लगाये होते, सभे लोग फलां बाबू-फलां बाबू का टेर लगाए होता।सब जूगाड कर लिया था मैने , नशाबंदी के बावजूद नेपाल से आ रहे कच्ची का टैंकर हमको देने के लिए बोला था ,किशोरी महतो ने।आब उ कैसे इ कच्ची शराब नेपाल से टपाता है ,उ जाने।  सुने है बार्डर वालों से कुछ सेटिंग कर लिया है जवान।अरे! वोटवा कैसे मिलता है,मुझे मालूम है, रोज शाम मे खस्सी -मुर्गा कट जाता और कच्ची चल जाता, बस  जय जय हो जाता।अरे बूथ मैनेजमेंट के लिए भी लखन बाबू से बात हो गई थी, सिर्फ पर बूथ दस हजार खरचना था।जीत पक्की थी।मेहरारु को एक बार खाली घोघ हटा के चमर टोली, दुसाध टोली आ नुनिया टोली मे घूमना बस था ,सारा वोट भहरा के हमरी झोली गिर जाता।फिर तो पांच साल ऐश ही ऐश था।सारा कोर कसर निकाल लेते ,पर "मेरा सुन्दर सपना टूट गया" भउआ लतखोर एकबार मिल बस जाता, उसी पर सारा कोर कसर निकाल लूंगा।

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