आपने कभी अमीरो एवम सम्पन्नो को आपस मे लडते-झगडते देखा है?? उनका हित हमेशा से सधता आया है! वे चुपके से अपना काम under the table काम कराते रहते है और जाहिराना तौर पर आम जनता की भलाई का दिखावा करते है! ये गंवई भाषा मे "भाग्य के सांढ " होते है!अभावग्रस्त एवम गरीब लोगो मे हमेशा कुछ पाने की जद्दोजहद,संघर्ष तथा लडाई होती रहती है! सम्पन्न लोग हमेशा इनको आपस मे उलझाये रखकर अपना उल्लू सीधा करते है! क्या कभी आजतक इन दोनो वर्गो का मेल (सम्विलियन) हो पाया है? ये इनके लिए लौलीपाप तथा फंतासी ही बना रहेगा! इनका वर्ग संघर्ष जारी है और रहेगा! विभागीय सशक्त और सम्पन्न लोगो का काम केवल निम्न तबको का शोषण करना है! ये ऐसा माहौल पैदा कर देते है कि दबे कुचले लोग मुख्यालय की गणेश परिक्रमा से लेकर सचिवालय का चक्कर प्रारम्भ कर देते है!अधिकारियो और समर्थ लोगो ने अपना नया-नया झोला सिलवाया लिया है जो वो हरेक बरसात सीजन अर्थात ट्रांसफर सीजन मे सिलवाते है क्योंकि इस समय बाहर पानी और अंदर धन बरसता है! बरसात का सीजन आ गया है,ना जाने कितना बरस जाये...