शराब बंदी के साइड इफेक्ट

शराबबंदी के साइड इफेक्ट :-- बिहार मे शराबबंदी  जहाँ एक ओर बिगडती नस्ल को बर्बाद होने से बचा लेगा, वहीं दुसरी ओर अपराधों पर लगाम लगेगा,परंतु साइड इफेक्ट नीतीश सरकार को वोट बैंक की क्षति के रुप मे झेलना पडेगा।शराब व्यवसाय मे लगे लाखों कर्मचारी, सेल्स मैन, डीलरों के सामने रोजी रोटी की समस्या आ गई है तो राज्य सरकार के समक्ष आबकारी राजस्व की क्षतिपूर्ति हेतु वैकल्पिक स्रोत तलाशने की समस्या है।नेपाल, उतरप्रदेश, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल से तस्करी बढ सकती है।अभी तो माफियाओं ने शराब का स्टाक जमा नही किया बल्कि जमीन के नीचे दबाकर रखा है।प्रवर्तन कार्य सख्ती से करने के बावजूद पंचायत चुनाव के दौर मे पाऊच, ताडी, स्प्रिट, भांग, नशे की गोली, गांजा,पेन किलर इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप इत्यादि चुपके चुपके चल ही रहा है।अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहाँ करोडो लोग नशा का सेवन प्रतिदिन करते रहे हों, वहाँ शराबबंदी पश्चात मात्र कुछेक हजार लोग नशा मुक्ति केन्द्र मे भर्ती हुए हैं।निश्चित रुप से शराब के लती लोगों का एवं इस व्यवसाय से जुडे लोगों के बेरोजगार हो जाने से राज्य से पलायन का प्रतिशत बढेगा।वैसे इस शराब बंदी का भविष्य एवं सफलता, नितीश सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति एवं पटना उच्च न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करता है।हालांकि पहले भी नशा बंदी के कई प्रयास असफल हो चुके हैं फिर भी कुल मिलाकर इस प्रयास की सराहना एवं स्वागत किया जाना चाहिए।

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