सड़कें बन रही है जायंट किलर

 अचानक बगल मे चल रही ट्रक लहरायी और हमारे कार के साइड वाले पिछले हिस्से मे टकराई। कार नाइन्टी डिग्री पर घूम गई और सीधे ट्रक के आगे चली आई। ट्रक वाले ने ब्रेक मारने की कोशिश की फिर भी कार उसके साथ घसीटती लगभग पचास मीटर तक चली गई। उफ! वो क्या मंजर था! हम अपने सामने खुद को ट्रक के नीचे कुचलने जाते देख रहे थे। अब कार पलटी तो अब पलटी और ट्रक उस पर चढ जाएगी। जब ट्रक रुकी तो थोड़ी देर हम समझ ही नही पाये कि हम बच गये। गेट खोला तो वो खुल गया, गाड़ी अमित चला रहा था, मुझे लगा कि उसका पैर टूट गया होगा क्योंकि ट्रक के आगे की राड कार मे घुस चुकी थी। पीछे सुभाष बैठे थे। सभी बाहर निकल गये। मेरे देखते देखते ट्रक से एक लड़का निकल कर भाग गया वो ड्राइवर था जाहिर है उसे ट्रक चलाने नही आती थी। लेकिन सभी हमारी तरह खुश किस्मत नही होते! कार की जो हालत थी उसे देखकर कोई विश्वास नही कर सकता था कि इसमें कोई बचा होगा।आज काल का दूसरा नाम है सड़क दुर्घटना! सड़को के विस्तार एवं तेज रफ्तार की जिन्दगी मे पल-प्रतिपल मौत तीव्र गति से जिन्दगी से आगे निकल जा रही है।अंधाधुंध रफ्तार के साइड इफेक्ट मे प्रतिदिन जाने-अनजाने लोग लगातार बिछड़ रहे हैं परंतु हम चलना कैसे छोड़ दें??ऐसी स्थिति मे सावधानी एवं परिवहन नियमों का पालन ही एकमात्र बचाव है ।मृत्यु तो ईश्वर के हाथों मे है और सड़क दुर्घटना एक बहाना मात्र है पर बहुत बड़ा बहाना है!पिछले एक दशक के दौरान में पूरे देश में सड़क दुर्घटनाओं में 13 लाख से भी ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। आंकड़ों के अनुसार हर दिन सड़क हादसे में 381 लोग मारे जाते हैं और 1287 घायल होते हैं। सड़क परिवहन की इसी खौफनाक हालत पर चिंता जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सड़कों को 'राक्षसी हत्यारे' (जायंट किलर) कहा था। अदालत ने यह संज्ञा सड़क हादसों में हुई मौतों की हकीकत से रूबरू होकर दी थी।!विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2009 में सड़क सुरक्षा पर अपनी पहली वैश्विक स्थिति रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं की दुनियाभर में “सबसे बड़े कातिल” के रूप में पहचान की। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल दुनियाभर में सड़क हादसों में 1.2 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है और 50 मिलियन लोग इससे प्रभावित होते है।" एक और घटना का जिक्र लाजिमी है"अचानक धडाम की आवाज के साथ कोई चीज कार से टकराई और चरमराकर टूटती ब्रेक की आवाज ने तंद्रा तोडी़। व्हाट्स एप से ध्यान हटा दो देखा कार से टकरा कर मोटर साइकिल गिरी है और एक नौजवान सडक पर खून से सना तडप रहा है।आस पास के लोग दौडकर उसे उठाकर बगल के पीएचसी मे ले गए।वह भी पीछे पीछे भागा तो वहीं खडे दो-तीन लोगों ने कहा"भाई साहब आपकी गलती नहीं है, आप यहाँ से निकल लो, भीड जमा होने पर आपकी कोई सुनेगा नहीं और आपके साथ हादसा हो सकता है।वह बेमन से ही गाडी छोड़ कर पैदल ही आगे बढ गया।ड्राइवर तो पहले ही नौ-दो ग्यारह हो चुका था। किसी तरह वह वहाँ से तो निकल आया पर उस नौजवान को डाक्टर बचा नही सके।घर का इकलौता बेटा। लोग कहते है, भांग का गोला खाता था, हेलमेट नही पहने था,लाइसेंस भी अभी नहीं बना था, गाडी का कोई कागज़ भी नही था, एफआईआर भी नहीं हो पाया, कोई क्लेम भी नही पाएगा।लेकिन वह इस गिल्ट फीलिंग को लेकर कहाँ जाय कि उसकी कार से टकरा कर एक खानदान का चिराग बुझ गया। उस मां बाप को वह कैसे सांत्वना दे कि स्वयं उसका बेटा उसकी कार मे आकर भिड गया।सडक दुर्घटना सबसे बडा काल है, न जाने रोजाना कितनो को लील रही है! रोज हादसों के बावजूद सडको पर गाडियो की संख्या बढती जा रही है साथ मे स्पीड भी।सडके हाईस्पीड बन रही है पर ट्रैफिक रूल पर किसी का ध्यान नही।वस्तुतः ट्रैफिक रुल का अनिवार्य कोर्स सभी पाठ्यक्रमों मे होना चाहिए और पालन करने की अनिवार्यता भी।सड़क किनारे हादसें, चोट और मृत्यु को टालने के लिये बहुत महत्वपूर्ण पहलूओं में से एक है सड़क पर लोगों की सुरक्षा। दुर्घटनाओं और मृत्यु की पूरी सूचना के बारे में राष्ट्रीय सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर सड़क सुरक्षा के महत्व का हम मूल्यांकन कर सकते हैं। लगभग 42% मामलों में पैदल चलने वाले और एक तरफ का सड़क इस्तेमाल करने वाले होते हैं।सड़क पर चालन शुरु करने से पहले हरेक व्यक्ति को रक्षात्मक चालन कोर्स किसी मान्यता-प्राप्त चालन स्कूल के द्वारा अधिकृत प्रशिक्षक के तहत मार्गदर्शन जरुर करना चाहिये। सड़क सुरक्षा उद्देश्यों के लिये ये बहुत जरुरी है। विभिन्न दुर्घटनाओं और जीवन को सड़क पर बचाने के लिये वाहनों को कैसे संचालित करें या खुद से उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति को संभालने का तरीका सभी को जरुर पता होना चाहिये। एक महत्वपूर्ण विषय के रुप में स्कूल में सड़क सुरक्षा उपायों को जरुर जोड़ना चाहिये जिससे चालन से पहले ही अपने शुरुआती समय में ही विद्यार्थीयों को इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो सके। वाहनों के संचालन और उचित सड़क सुरक्षा उपायों के बारे में गलत जानकारी के कारण ज्यादातर सड़क हादसें होते हैं। खासतौर से यूरोपीय देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आचार संहिता लागू है, जिसका ज्यादातर देश पालन करते हैं। इस के मुताबिक यदि किसी कार की गति 35 किमी प्रति घंटा है, तो दो कारों के बीच की दूरी 74 फीट होनी चाहिए। 40 मील प्रतिघंटा की रफ्तार होने पर यह अंतर 104 फीट और 45 फीट की गति पर यह अंतर 132 फीट होना चाहिए। यदि चालक की मुट्ठी बंद करने की ताकत पौने सोलह किलोग्राम से कम निकलती है तो माना जाना चाहिए कि यह व्यक्ति वाहन चलाने लायक नहीं है।  वाहन चलाने लायक उस व्यक्ति को माना जाएगा जो 20 मीटर आगे चल रहे वाहन का नंबर आसानी से पढ़ ले।78.7 फीसदी हादसे चालकों की लापरवाही के चलते होती हैं. इसकी वजहों में शराब व दूसरे नशीले पदार्थों के सेवन से लेकर अधिक माल लादना या ज्यादा सवारियां बैठाना शामिल है ।साथ ही, ज्‍यादा रफ्तार से गाड़ी चलाना और ड्राइवर का थका होना भी कारण हैं।गाड़ियां क्या है?मानव नियंत्रित मशीन! जबतक मानव का नियंत्रण उसपर है सबकुछ सही होता है लेकिन जब मशीनें अनियंत्रित हो जाती है ,यह अपने मालिक को सबसे पहले मारती है।" रोबोट" मे हमने देखा है कि कैसे मशीनें विनाशकारी बन जाती है। तो इनका उपयोग करें पर जरा संभलकर !

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