ममता बडी या कानून ?

ममता बडी या कानून ? 
ममतामयी मां किसी भी परिस्थिति मे अपने बच्चे को अपने से अलग होने देना नहीं चाहती, भले वह संतान स्वयं उसके कोख से जन्मी ना हो, उसने अपनी छाती का दूध तो पिलाया है ना।कल ऐसी ही एक मां से साक्षात्कार हो गया ,जो स्वयं की जनी तीन बच्चों के बाबजूद सडक पर पडी एक अनजान बच्ची को अपने सीने से चिपका ली थी।दो साल तक उसे पाला पोसा,दूध पिलाया, गू-मूत किया, हंसी-ठिठोली की,ऊंगलिया पकड कर चलना सिखाया।अचानक किसी को उसकी खुशी रास न आई और पुलिस को भेज दिया।हाय रे बेदर्दी कानून, उसे मां की ममता, बच्ची की खिलखिलाहट न दिखाई दी और उसे मां के आंचल से छीनकर बालगृह मे रख दिया।जिसका कोई नही उसका सरकार है परंतु उस बच्ची को तो ईश्वर ने एक मां दे दिया था ,फिर ये जुल्म क्यों? कहते है कानून अंधा होता है उसे प्यार, हमदर्दी जैसी भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं।अब बेचारी मां उसको पाने के लिए सरकारी दफ्तरों, लालफीताशाही, न्यायालयो के चक्कर काट रही है।जिला प्रोबेशन अधिकारी का कहना है, गोद लेने(adoption) का नियम है,40000 रु caution money जमा करो तब 2 साल के लिए बच्ची मिलेगी और गठित कमिटी मासिक रुप से निरीक्षण करेगी कि लालन पालन सही से हो रहा है कि नहीं।रिपोर्ट के आधार पर permanent adoption होगा।बेचारी मां के पास उतने रुपये नही है।प्रशासन कहता है जो40000 रु जमा नही कर सकती वो सही से लालन पालन क्या करेगी? मां कहती है क्या बच्चे के लालन पालन के लिए सिर्फ पैसे जरूरी है? ममता का कोई मोल नही? अनाथालय मे क्या उसे परिवार और मां का प्यार मिल पाएगा?

Comments

Popular posts from this blog

कोटा- सुसाइड फैक्टरी

पुस्तक समीक्षा - आहिल

कम गेंहूं खरीद से उपजे सवाल