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Showing posts from 2025

विदेशों में बसने की घातक प्रवृत्ति

विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बनने के बावजूद यह तथ्य विचारणीय है कि आखिरकार एक बड़ी संख्या में भारतीय विदेशों में प्रवास के लिए भारत से क्यों जा रहे हैं? विदेशी  नागरिकता लेना और ग्रीन पासपोर्ट धारी होना इतना महत्वपूर्ण क्यों हो गया है? पिछले सप्ताह राज्यसभा मे एक प्रश्न  के ज़बाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि विगत 6 साल में 10 लाख से ज्यादा लोग भारत छोड़कर चले गए है। वर्ष  2024 में 2 लाख से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। हालांकि कोरोना काल के दौरान नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में कमी आई थी, लेकिन बाद में फिर नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। विदेश मंत्रालय के एक अन्य आंकड़े के अनुसार लगभग 3.2 करोड़ भारतीय दूसरे देशों में बतौर प्रवासी रह रहे हैं। इनमें से 1.32 करोड़ नान रेजिडेंट इंडियन हैं, जबकि 1.86 करोड़ लोग दूसरे देशों की नागरिकता तक ग्रहण कर चुके हैं। एक अनुमान है कि हरेक साल कम के कम 25 लाख भारतीय प्रवासी बन रहे हैं। इनमें वह आंकड़ा शामिल नहीं है, जिसमें पर्यटक वीजा पर दूसरे देशों में जाने वाले भारतीयों में से ...

ईरान इजरायल युद्ध का वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

आखिरकार ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका को खुलकर सामने आना पड़ा ,लेकिन उसके द्वारा प्रयुक्त  अमेरिकी बंकर बस्टर बमों ने इरानी परमाणु ठिकानों को कितना नुक्सान पहुंचाया ,यह तो भविष्य ही  बताएगा। इजरायल ने युद्ध शुरू होने से पहले ही कहा था कि उसका उद्देश्य ईरानी परमाणु कार्यक्रम को नेस्तनाबूद करना तथा  वहां सत्ता परिवर्तन कराना है। सत्ता  परिवर्तन या प्रमुख धार्मिक नेता के बारे में तो इजरायल सफल नहीं हो पाया, उल्टे जिसतरह ईरान ने प्रतिक्रिया स्वरूप इजरायल के शहरों पर बमबारी की और मिसाइल दागे , इससे स्पष्ट हो गया कि ईरान अब पहले जैसा देश नहीं रह गया है और दूसरे कि इजरायल का एयर डिफेंस डोम अब सुरक्षित नहीं है। इस युद्ध का वैश्विक असर अमेरिका, इजरायल, पश्चिम एशिया, रुस ,चीन ,पाकिस्तान सहित भारत पर भी पड़ा है।          वस्तुत  ईरान प्रतिदिन दो मिलियन बैरल तेल और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है, जो विश्व के कुल तेल आपूर्ति का लगभग 2 प्रतिशत है। पहले ही अमेरिका ईरान पर व्यापारिक प्रतिबंध के तहत तेल आयात पर रोक लग...

एलिफेंट एंड ड्रैगन टैंगो

वैश्विक राजनीति में” एलिफेंट एंड ड्रैगन “ टर्म का उपयोग अक्सर क्रमश: भारत और चीन के आपसी संबंधों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है जो न केवल इनके आपसी संबंध बल्कि इनके संबंधों से क्षेत्रीय एवं वैश्विक मामलों में इनकी भूमिका की महत्ता को दिखाता है। इसको देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने अग्रसोची भू राजनैतिक हितों के दृष्टिगत हमेशा विश्व की महाशक्तियों तथा उभरती शक्तियों को ध्यान में रखकर अपनी वैश्विक राजनीति और कूटनीति को अपनाना चाहिए। इसे छोटे छोटे मसले जैसे पाकिस्तान या बांग्लादेश से उलझने के बजाय चीन को सामने रखकर प्लान बनाने चाहिए। भारत से टकराव की स्थिति बनाए रखना पाकिस्तान जैसे देशों के हित में है, क्योंकि यह इसे उसे भारत के समकक्ष आने में सहायता प्रदान करता है। वर्ष 1986 में पूर्व सेना प्रमुख जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी ने इंडिया टुडे पत्रिका के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि “भारत के लिए चीन ही असली खतरा है। पाकिस्तान से तो यूं ही चलते फिरते निपटा जा सकता है”। यह वक्तव्य भले ही सैन्य दृष्टिकोण से हो परंतु अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी यही सत्य है।   ...

नेपाल की भू राजनीतिक स्थिति

नेपाल-भारत के 'अद्वितीय' संबंधों का आधार 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि है जो आपसी प्राचीन संबंधों को स्वीकार करती है आयात और निर्यात व्यापार दोनों के मामले में भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जहाँ भारत नेपाल के दो-तिहाई से अधिक व्यापारिक व्यापार, सेवाओं के व्यापार का लगभग एक-तिहाई, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक-तिहाई, पेट्रोलियम आपूर्ति का 100% और भारत में काम करने वाले पेंशनभोगियों, पेशेवरों और श्रमिकों के खाते में आने वाले धन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दक्षिण एशिया के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के साथ, नेपाल में चीनी हितों और उनकी नीतियों में भी बदलाव आया है। नेपाल की विशिष्ट भू-अवस्थिति के कारण यह भारत के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। नेपाल भारत के लिये जल, आंतरिक सुरक्षा, बाह्य सुरक्षा और व्यापारिक हितों को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। नेपाल में जलविद्युत की व्यापक संभावनाएँ मौजूद हैं और भारत कई परियोजनाओं में नेपाल के साथ मिलकर भी काम कर रहा है, किंतु इसमें भारत और नेपाल के बीच बढ़ते अविश्वास और चीनी कम्पनियों की मौजूदगी...

भारत -पाक संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में भारतीय विदेश नीति

संकट के समय ही किसी व्यक्ति या देश की नीतियों और कार्यों की परीक्षा होती है । स्वाभाविक रूप से पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद भारत-पाक संघर्ष के दौरान भारतीय विदेश नीति की भी परीक्षा हुई और जिस तरह अन्य  देशों का इसके प्रति रुख रहा, उससे आलोचकों द्वारा भारतीय विदेश नीति पर भी सवाल उठाए गए। ऐसी स्थिति  में इसकी गहन समीक्षा आवश्यक प्रतीत  होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा अचानक भारत-पाक युद्ध विराम की घोषणा करने तथा उसके शब्दीय तेवर ने सवालों को तीखा कर दिया। लेकिन ट्रंप के द्वारा बार-बार कहने के बावजूद भी भारत द्वारा अपने आधिकारिक वक्तव्य में उनका नाम ना लिए जाने से और उन्हें  युद्ध विराम का क्रेडिट न मिलने के कारण उनमें एक तरह से खिसियाहट बढ़ गई है। उन्होंने यह खिसियाहट एपल कंपनी के टिम कुक पर निकाली और उसे मना कर दिया कि वो भारत में अब आइफोन का कारखाना नहीं लगायेंगे। संभव है,  इसके पीछे उनका नेशन फर्स्ट और हालिया टैरिफ वार का नजरिया भी हो लेकिन वो एक तरह से भारत को इग्नोर कर उसे उसकी हैसियत से कम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।    ...

बदलते गांव

गांवों  का जिक्र आते ही एक सुकून भरे, शांत, सहज, सादगीपूर्ण वातावरण का दृश्य उभरकर सामने आता है जिसमें हरे-भरे खेत, हल जोतते किसान, मवेशियों के गले में बंधी घंटियों का आवाज, जाड़े में  अलाव के चारों ओर बैठे गपियाते लोग,चौक चौराहों पर हुक्के की गुड़गुड़ में बतियाते बुजुर्गों के दृश्य  हैं, परंतु वास्तविकता यह है कि अब यह गांव  बदल गया हैं। आधुनिक तकनीक और आधुनिक जीवन-शैली की चमक- धमक यहां दिखने लगी है। वस्तुत गांवों में दो तरह के बदलाव दिख रहे हैं । एक तरफ तो गरीबी, असमानता, पिछड़ापन कम हो रहा है दूसरी ओर गांव और  ग्रामीणों का वह सिग्नेचर पहचान लुप्त हो रहा है, जिसके लिए वह जाना जाता रहा है। ग्रामीण भारत में परिवर्तन और किसानों के बदलते जीवन के संबंध विभिन्न शोधों से स्पष्ट है कि भारत के ग्रामीण परिवेश में सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है। किसानों की आय बढ़ने से उनका जीवन स्तर सुधर रहा है। भारतीय  स्टेट बैंक की एक रिसर्च  के अनुसार सरकारी सहायता कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभावों और विकास कार्यों के कारण देश में गरीबी में कमी आई है, जिसका ज्यादा  प्रभाव ग...

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

हाल ही में चीनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल डीपसीक ने अपनी एडवांस टेक्नोलॉजी और कम कीमत के कारण चैट जीपीटी , गूगल जेमिनी , अमेज़न, मेटा सदृश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडलों के लिए बाजार  में काफी बड़ी चुनौती प्रस्तुत की है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व के समक्ष चीनी दबदबे के रूप में देखा जा रहा है। यहां  तक कि ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक सैम आल्टमैन ने भी इसकी काफी प्रशंसा की है। वास्तव में डीपसीक एक चीनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी है,जो ओपन-सोर्स और एडवांस लार्ज लैंग्वेज मॉडल विकसित करती है, जबकि उससे पहले नंबर पर रही चैट जीपीटी क्लोज्ड सोर्स लार्ज लैंग्वेज माडल पर आधारित है। अपने लांचिंग के कुछ दिनों में डीपसीक ने संयुक्त राज्य अमेरिका में आईओएस ऐप स्टोर पर सबसे अधिक डाउनलोड किए जाने वाले मुफ्त ऐप के रूप में चैटजीपीटी को पीछे छोड़ दिया। अपने नवीनतम  रुप में डीपसीक ने  जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट को ओपन सोर्स बना दिया है।यह खुलापन और पारदर्शिता इसे लोकप्रिय बना रही है। ओपेन-सोर्स बनाम क्लोज्ड-सोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। ओ...

चित्रकूट के राम

धनतेरस के दिन से भैयादूज तक भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में चलने वाले पांच दिवसीय मेला प्रारंभ हो गया है। यहां मंदाकिनी नदी में रामघाट पर दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि लंकापति रावण पर विजय प्राप्ति पश्चात अयोध्या वापस लौटते समय भगवान श्री राम ने यहां दीपदान किया था। यह एक तरह से श्रीराtम द्वारा उस स्थान को सम्मानित करने के समान है जहां उन्होंने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। चित्रकूट में उनके निवास काल के पर्णकुटी के संबंध में   गोस्वामी तुलसीदासजी  ने रामचरितमानस में लिखा है..      “राम लखन सीता सहित सोहत परन निकेत। जिमि बासव बस अमरपुर सची जयंत समेत।”        अर्थात लक्ष्मणजी और सीताजी सहित श्री रामचन्द्रजी पर्णकुटी में ऐसे सुशोभित हैं, जैसे अमरावती में इन्द्र अपनी पत्नी शची और पुत्र जयंत सहित बसता है। यदि अयोध्या को राम की जन्म भूमि होने का गौरव मिला है तो चित्रकूट वह स्थान है जहां राम ने अपनी तपस्या के बल पर भगवान राम होने का रास्ता अख्तियार किया । कष्टों में ही तपकर मनुष्य का आत्मबल, चेतना, ...

मैथिल संस्कृति

हिमालय की तराई में नेपाल  के दक्षिण, कोसी नदी से पश्चिम , गंडक नदी  से पूर्व और गंगा नदी से उत्तर  स्थित मिथिला एक सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में अपनी प्राचीन परंपरा और धरोहर को अक्षुण्ण बनाए हुए है। इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुषमा , ऐतिहासिक गौरव एवं सांस्कृतिक परंपराओं से समृद्ध है। मिथिला के  सामाजिक- सांस्कृतिक जीवन में लौकिक एवं वैदिक संस्कृति का समन्वय देखने को मिलता  है। मैथिली समाज संस्कारो से परिपूर्ण तथा अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ जीने की कला को जिंदादिली के साथ जीता है। समाज में विभिन्न  धार्मिक परंपराओं, रीति रिवाजों , पंथ संप्रदायों यथा शैव, शाक्त, वैष्णव, और अन्य आपसी प्रेम व स‌द्भाव के साथ  रहते आये हैं। मिथिला क्षेत्र की मूल भाषा मैथिली है और इसके बोलने वालों को मैथिल कहा जाता है। मिथिला को तिरहुत, तिरभुक्ति, और मिथिलांचल के नाम से भी जाना जाता है।समग्र  रुप में मैथिल संस्कृति को विशिष्ट तौर पर  विदेह राज जनक एवं सीता से संबंधित  माना जाता है। संस्कृति के हरेक अवयव में राम सीता समाहित है। हालांकि मैथिल संस्कृति को बंगा...