चार्ल्स शोभराज -एक शातिर अपराधी
मशहूर सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज का नाम सामने आते ही हमारे सामने एक दुर्दांत , खतरनाक और शातिर अपराधी का चेहरा आ जाता है जिसे संभवतः एक अपराधी होने के बावजूद सबसे ज्यादा मीडिया की लाइमलाइट मिली। हालांकि वह एक हत्यारा, लुटेरा, चोर, धोखेबाज, जैसे सभी अपराधों में माहिर था परंतु तेजतर्रार इतना था कि जबतक उसने न चाहा, दुनिया की कोई जेल उसे अपने अंदर रख नहीं पायी। उसने लुटपाट के लिए इतनी हत्यायें की है कि जल्द ही वह एक ख़तरनाक सीरियल किलर की श्रेणी में आ गया। जैसा कि आम सीरियल किलर अपने पीड़ितों को मारने से पहले उनका अपहरण करते हैं या उन्हें प्रताड़ित करते हैं, चार्ल्स भी अपने शिकार अपने व्यक्तित्व, स्टाइल और बातों में फंसाता था, फिर उसे अपनी दवाओं से बीमार कर बंधक बना लेता था। सीरियल किलर अक्सर असामान्य मनोवैज्ञानिक संतुष्टि की तलाश में होते हैं। एक सीरियल किलर के मन में अक्सर सामने वाले पर नियंत्रण पाने की इच्छा, आत्म- सम्मान और आत्म-प्रभावकारिता बढ़ाने की इच्छा,दूसरों पर अधिकार जमाने की इच्छा,गुस्सा,रोमांच की तलाश, आर्थिक लाभ इत्यादि भावनाएं समाहित होती है, चार्ल्स भी इससे इतर नहीं था। लेकिन चार्ल्स शोभराज की हत्याओं के पीछे उक्त सभी भावनाओं के साथ एक शौकिया दुस्साहस की भावना भी दिखती है। चार्ल्स शोभराज दक्षिण एशिया मे हिप्पियों के रुप में यात्रा करने वाले पश्चिमी पर्यटकों विशेषकर विदेशी लड़कियों को अपना शिकार बनाता था। अपने लग्जरी लाइफस्टाइल, पहनावे, बॉडी लैंग्वेज और फर्राटेदार इंग्लिश एक्सेंट से वह विदेशी पर्यटकों का पहले विश्वास जीतता था। उसके बाद मौका मिलते ही नशीला पदार्थ खिलाकर उन्हें लूटता और उनकी हत्या-रेप जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देता था। चार्ल्स शोभराज अपनी लुभावने व्यक्तित्व के चलते पर्यटक लड़कियों से आसानी से दोस्ती कर लेता था। फिर उन्हें ड्रग्स या जहरीला पदार्थ देकर उनका सामान लूटकर उनकी हत्या कर देता था।उसका "बिकिनी किलर" नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उसके हाथों मारी गई लड़कियां मात्र बिकनी में पाई गई थी। इसी तरह उसे 'द सर्पेंट' नाम इसलिए मिला क्योंकि वह कानून से बचने में बहुत माहिर माना जाता था। वह जघन्य अपराध करके भी आसानी से सांप की तरह कानून के हाथों से फिसल जाता था।
अपना नाम, पहचान और पासपोर्ट बदलने में माहिर चार्ल्स शोभराज का जन्म हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम जो उस समय साइगोन के नाम से जाना जाता था, में एक वियतनामी मां और भारतीय पिता के घर हुआ था। वियतनाम के फ्रांसीसी उपनिवेश होने के कारण जन्म के समय ही उसे फ्रांसीसी नागरिकता मिल गई थी। बाद में उसकी मां ने वियतनाम में ही तैनात फ्रांसीसी सेना के एक अफसर से शादी कर ली। चार्ल्स का बचपन बहुत ही कठिन परिस्थितियों में बीता था। चुंकि वह भारतीय पिता का बेटा था, जो उसकी मां को छोड़कर चला गया था और इसके सौतेले पिता से भी उसे प्यार नहीं मिला, उल्टे वह इसे बहुत मारता पिटता था। पारिवारिक प्रताड़ना से इसके मनोमस्तिष्क पर गहरा असर पड़ा। अपराधी विज्ञानी एरिक हिकी के अनुसार सीरियल किलर अपराधियों के बचपन में उनके माता-पिता या उनके जीवन में किसी अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति द्वारा अस्वीकार कर दिया गया होता है। अपराधशास्त्री और मनोवैज्ञानिक यह भी तर्क देते हैं कि दुर्व्यवहार और परित्याग जैसी घटनाएँ ऐसी सेटिंग और नींव बनाती हैं जिसमें सीरियल किलर क्रूर सामूहिक हत्याओं की ओर किसी को प्रेरित करने का कारक बनती हैं।में बदल जाते हैं। ऐसी ही परिस्थितियों में चार्ल्स के अपराधी की शुरुआत बनने की शुरुआत उसके स्कूल से ही हो गई थी। स्कूल में ही वह छोटी-मोटी चोरियां करता था। एक बार अपने स्कूल में जब वह दूसरी क्लास में था तो इसने एक बच्चे के 10 किताब एक साथ निकाल करके बेच दिया। पकड़ा गया और काफी मार भी पड़ी। तब इसने प्लान बनाया कि अब एक जगह से 10 किताब चुराने की अपेक्षा 10 बच्चों की एक-एक किताब या पेंसिल या चाक चुराया जाए। कुछ दिनों तक तो वह बचा रहा परंतु जल्दी ही शिकायत आने लगी। लेकिन टीचर ने देखा कि सभी बच्चे कंप्लेंट कर रहे हैं कि उनका सामान गायब हो रहा है सिर्फ एक चार्ल्स था ,जो जिसका कोई कंप्लेंट नहीं आता था, तो उसे पर इसके शक हुआ। वह पहले भी एक बार पकड़ा जा चुका था तो वह उसे पर नजर रखने लगी । एक बार जब वह उसने देखा कि जब बच्चे दोपहर में लंच के समय खेल रहे हैं तो चार्ल्स अंदर आया और किसी बच्चे की पेंसिल चुरा रहा था।उसी समय पकड़ लिया गया उसे बहुत मार पड़ी।
चार्ल्स को पेरिस में सेंटाल कॉम्पैनियो नाम की लड़की से प्यार हो गया लेकिन जिस दिन उस ने सेंटाल को पार्क में प्रपोज किया , उसी दिन पुलिस ने चार्ल्स को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि जिस बाइक से चार्ल्स पार्क गया था,वह चोरी की थी। इसतरह चार्ल्स 18 वर्ष की उम्र में 1963 में पहली बार जेल गया। पोईसी जेल पेरिस में खूंखार कैदियों के बीच चार्ल्स अपना बचाव कराटे की तकनीक एवं चुपचाप रहकर करता रहा। जेल से निकलने के बाद चार्ल्स पेरिस की हाई-क्लास सोसायटी में लोगों को अपने जाल में फंसाने लगा। जेल में रहने के दौरान उसका संपर्क पेरिस के नामी अपराधियों से हो गया। फिर तो फ्रांस में रहते हुए उसने कई बड़े कारनामे किए और काफी सारे पैसा इकट्ठे कर लिया। कुछ दिन बाद वह यूरोप छोड़कर इस्तांबुल के रास्ते भारत आ गया। इस बीच चार्ल्स सेंटाल से शादी भी कर चुका था। अब दोनों मिलकर पर्यटकों को लूटते और उनके पासपोर्ट्स पर दुनिया घूमते थे। सन् 1970 में चार्ल्स ने भारत में चोरी की गई कारों की दलाली करनी शुरू कर दी। वो विदेशी कारों के शौकीन रईस भारतीयों को पाकिस्तान ओर ईरान से चुराई कारें बेचता था। एक 'फ्रेंच सोसाइटी' के माध्यम से वह रसूखदार लोगों से मेलजोल बढ़ाता रहा। वह मुंबई में एअर इंडिया के ऑफिस में अपने 4-5 दोस्तों के साथ रायफल, रिवाल्वर और देसी बम लेकर डाका डालने पहुंच गया था। यहां पकड़े जाने के बाद उसे दिल्ली पुलिस को सौंप दिया था। शोभराज वर्ष 1971 में अपेंडिसाइटिस के दर्द का बहाना बनाकर जेल से फरार हो गया। साल 1972 मे काबुल की जेल में उसने गार्ड्स को नशीली चीज खिला कर बेहोश कर दिया और फरार हो गया। बेटी के जन्म के कुछ वक्त बाद चार्ल्स और सेंटाल अफगानिस्तान में गिरफ्तार कर लिए गए थे तो उसकी बेटी को फ्रांस में सेंटाल के माता-पिता के पास भेज दिया गया। चार्ल्स इस जेल से भी भागा और फ्रांस जाकर उसने अपनी ही बेटी को अगवा करने की कोशिश की। फिर जब शॉतल जेल से रिहा हुई, तो वह अपनी बेटी को लेकर चार्ल्स की पहुंच से दूर अमेरिका चली गई। सन् 1975 में ग्रीस की सबसे ज्यादा सुरक्षित मानी जाने वाली ऐजिना टापू की जेल से वह भाग निकला।
अबतक चार्ल्स सिर्फ चोरी, डकैती, फ्राड, दूसरे के पासपोर्ट पर यात्रा करने, लुटने का काम ही करता था परंतु हत्याओं का सिलसिला दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में जाने के बाद शुरू हुआ,खासकर थाईलैंड में। भारत मे चार्ल्स की मुलाकात मारी आंद्रे लेक्लार्क नाम की फ्रेंच-कनेडियन नर्स से हुई ,जो जल्द ही चार्ल्स की गर्लफ्रेंड बन गई। सन् 1975 में चार्ल्स अपनी गर्लफ्रेंड मारी और अपने भारतीय साथी अजय चौधरी के साथ थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक पहुंचा। वहां वह पर्यटकों , ड्रग्स के शौकिनों के साथ संपर्क बढ़ाता। वह खुद को हीरे-जवाहरातों के कारोबारी की तरह पेश करता। अक्टूबर 1975 में थाईलैंड के पटाया शहर के तट पर बिकिनी पहने लड़की टेरेसा नोलटन की लाश मिली, जो संभवत: चार्ल्स की पहली शिकार थी। 1960 और 70 का दशक हिप्पियों का दौर था, जब पश्चिमी देशों के बहुत सारे लोग थोड़े पैसे इकट्ठे करके और एक बैग पैक करके मिडल ईस्ट, भारत और पूर्वी एशिया निकल पड़ते थे। कई युवा पर्यटक एक के बाद एक चार्ल्स का शिकार बनते गए। चार्ल्स उन्हें अपनी बातों में फंसाता ,उनके लिए ड्रग्स का इंतजाम करता, अक्सर उनकी ड्रिंक्स में ड्रग्स मिलाकर उन्हें लाचार करता और फिर लूटकर मार देता था। कुछ को डुबोकर, कुछ का गला घोंटा गया, कुछ को चाकू से मारा गया और कुछ के शरीर तो तभी जला दिए गए, जब वे जिंदा थे। जब लगातार बिकिनी पहने कई लड़कियों की लाशें मिलने लगी तो एक डच राजनयिक के प्रयासों से इन सभी हत्याओं में एक कनेक्शन दिखने लगे। जब कानून के हाथ चार्ल्स तक पहुंचने लगा तो वह भारत आ गया। जुलाई 1976 में चार्ल्स ने दिल्ली में फ्रांस से आए इंजीनियरिंग के कई छात्रों को ड्रग्स देने की कोशिश की। किसी हत्या का जुर्म तो नहीं लेकिन चोरी और धोखाधड़ी के कई मामलों में चार्ल्स को 12 साल की सजा सुनाई गई। वैसे मई 1982 में भारत की एक कोर्ट में चार्ल्स को 1976 में बनारस में इस्राएली पर्यटक एलन जैकब की हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई थी, लेकिन ऊपरी अदालत में अपील करने और सुबूतों के अभाव में एक साल बाद वह बरी कर दिया गया। चार्ल्स पर एक फ्रेंच नागरिक की हत्या का भी आरोप था, लेकिन वह भी साबित नहीं हो पाया, तो चार्ल्स को वर्ष 1988 तक तिहाड़ जेल में रहना था। पहली बार उसने जेल में लगातार दस साल वर्ष बिताए। इसी बीच थाईलैंड में उसके प्रत्यर्पण की जोरदार मांग हो रही थी। वहां उस पर 6 लड़कियों समेत कई विदेशी नागरिकों की हत्याओं का मुकदमा चलना था। वर्ष 1985 में भारत सरकार भी थाईलैंड को चार्ल्स का प्रत्यर्पण करने के लिए राजी हो गई। चार्ल्स जानता था कि थाईलैंड में उसे मौत की सजा हो सकती है इसलिए उसने 1986 में तिहाड़ जेल ब्रेक कर फरार हो गया। लेकिन कुछ ही दिनों में गोवा में पकड़ा भी गया। पुलिस को उसकी फरारी और चालाकी पर इतना शकज् था कि जब गोवा से उसे मुंबई लाया जा रहा था तो चार्ल्स को जीप में पीछे लिटाया गया और दो पुलिसवालों से कहा कि 11 घंटे का सफर करके जब तक मुंबई नहीं पहुंच जाए, वे लोग चार्ल्स के ऊपर बैठे रहें। चार्ल्स की सजा दस साल और बढ़ गई। अब उसे 1997 तक थाइलैंड नहीं भेजा जाना था और उसकी रिहाई के वक्त तक थाइलैंड की वारंट अवधि समाप्त हो जानी थी। दरअसल चार्ल्स तिहाड़ से भागा ही इसीलिए था, ताकि उसे थाईलैंड न भेज दिया जाए।
वर्ष 1997 में चार्ल्स तिहाड़ से रिहा होकर फ्रांस चला गया। पेरिस में चार्ल्स को हीरो की तरह देखा गया और अपने कारनामों की वजह से जुर्म की दुनिया में उसकी बड़ी इज्ज़त होने लग। फ्रांस के एक डॉयरेक्टर- प्रोड्यूसर ने तो चार्ल्स शोभराज पर एक फिल्म बनाने के लिए उसे लगभग 97 करोड़ रुपये दिए। वह अपनी कीमत और लोकप्रियता समझ रहा था और उसे दोनों हाथों से भुना भी रहा था। मीडिया से एक इंटरव्यू के लिए 5 हज़ार डॉलर की मांग करता था। लेकिन जल्द ही वह इन सबसे कम गया। उसकी फितरत ऐसे थी कि वह अपने संतुष्टि के लिए कुछ ऐसा कुछ करता था, उसकी अहमियत बढ़े, वह सोचता था कि हम कहीं भी जाएं, कुछ भी करें, हमको पकड़ नहीं सकता। हम कहीं भी रहेंगे तो वहां से भाग जाएंगे, यह अंदर का जो एक कीड़ा था ,वह इसको बार-बार मजबूर करता था कि यह फ्रांस में शांति से नहीं रहे। नहीं तो कोई तुक नहीं था कि वह 2003 में फिर से नेपाल घूमने आता। यहां आया भी तो चुपचाप नहीं बल्कि इसने खुद एक पेपर वाले को बोल कर के अपना फोटो खिंचवाया और पेपर में इसे छपवा दिया ताकि लोग जान जाए कि मैं यहां पर हूं। उसकी सो थी कि 1975 में जो उसने नेपाल में मर्डर किया है उसे पर मुझ पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। 28 साल के बाद वह पहुंचा था तो इनको यह लग रहा था कि अब मेरा क्या कोई अभी कर सकता है लेकिन इसको पता नहीं था कि इसकी जो पूर्व प्रेमिका मारी ने भारत में जेलबंदी के दौरान एक बयान दिया था कि चार्ल्स ने ही नेपाल में 1975 में अमेरिकन और कनाडाई नागरिक की हत्या की थी। इसी बयान को आधार बनाकर के नेपाल में इनको सजा सुनाई गई और यह जेल में बंद कर दिया गया। 2004 में चार्ल्स को ब्रोनजिक की हत्या का दोषी करार दिया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। चार्ल्स की जिंदगी में यह पहला मौका था, जब उसे हत्या के जुर्म में सजा सुनाई गई। लेकिन वह यहां भी शांति से रहने वाला नहीं था। वर्ष 2008 में उसने एक और धमाका किया जब 66 साल की उम्र में एक हत्या की सजा काटते हुए और दूसरी हत्या का मुकदमा लड़ते हुए चार्ल्स ने 21 साल की नेपाली लड़की निहिता बिस्वास से शादी कर ली। निहिता चार्ल्स की वकील शकुंतला थापा की बेटी थी। दोनों ने जेल में उस जगह शादी की, जहां कैदियों को उनके परिचितों से मिलवाया जाता है। जुलाई 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मुकदमा की अपील खारिज कर दी। 2014 में कनाडाई नागरिक कैरिएर की हत्या के जुर्म में भी चार्ल्स को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसी बीच वर्ष 2021 में एक और तहलका मच गया जब जेल में रहते हुए उसने दो ब्रिटिश मीडिया संस्थानों इंटरव्यू दे दिया। यह आश्चर्यजनक था कि आखिरकार जेल में बंद चार्ल्स और विदेशी पत्रकारों का संपर्क और इंटरव्यू कैसे हुआ। हालांकि जेल में उसके इतिहास को देखते हुए यह अजुबा नहीं था। चार्ल्स कुछ भी कर सकता था। इंटरव्यू में ही उसने ब्रितानी अरबपति और वर्जिन ग्रुप के संस्थापक चार्ल्स ब्रैन्सन से अपनी बन रही बायोपिक में पैसे लगाने और कुछ ही दिनों में खुद के जेल से बाहर आने की बात कही थी। आश्चर्यजनक रूप से दिसंबर 2022 में नेपाल सुप्रीम कोर्ट में उम्र और सेहत के आधार पर चार्ल्स को रिहा करने का फैसला सुना दिया । कोर्ट ने चार्ल्स की रिहाई के 15 दिनों के भीतर फ्रांस प्रत्यर्पण का भी आदेश दिया। चार्ल्स शोभराज अब पेरिस मे है परंतु कबतक शांत बैठेगा ,कहा नहीं जा सकता।
चार्ल्स पर 10 देशों में कम से कम 20 हत्याओं का आरोप लगा। उसने भारत से लेकर नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, तुर्की, ग्रीस, हांगकांग, थाईलैंड और मलयेशिया में दलाली, चोरी, तस्करी और किडनैपिंग जैसे अपराध किए थे। उसने पश्चिमी देशों के पर्यटकों, खासकर लड़कियों को निशाना बनाया और उन्हें लूटकर उनकी हत्या की। साथ ही उनके पासपोर्टों से छेड़छाड़ करके अपनी अनेक पहचानें भी बनाईं। वह इतना शातिर था कि नेपाल जेल में रहने के दौरान वह पत्रकारों से बात करते हुए स्वयं को सीआइए का आदमी बताता था और वह यहां तालिबान के लिए जानकारी इकट्ठी करने आया है। वर्ष 2014 में शोभराज ने दावा किया था कि तिहाड़ जेल में उसकी दोस्ती जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक मसूद अजहर से हो गयी और उसने तालिबान के लिए एक हथियार डीलर के रूप में काम किया था। तिहाड़ के तात्कालिन डिप्टी जेलर ने तो बताया था कि एक बार जेल मे चार्ल्स से मिलने भारत का तात्कालीन गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह भी आये थे। वस्तुत तिहाड़ जेल ब्रेक उसका सबसे शातिराना कृत्य था जिसमें गैंगस्टर राजू भटनागर और डेविड हाल का साथ लिया था। तिहाड़ से उसके साथ तीन और लोग भागे थे जिनमें डॉन राजू भटनागर के साथी बृज मोहन और लक्ष्मी नारायण भी थे। दिल्ली में जुर्म की दुनिया के अपने कनेक्शन का इस्तेमाल कर राजू भटनागर ने चार्ल्स शोभराज को भागने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करायें। जेल के अफसर भी उसे सम्मान से 'चार्ल्स साहब' कहते थे। इसी का लाभ उठा कर चार्ल्स ने तिहाड़ में बंद ब्रिटिश ड्रग पेडेलर डेविड हाल को अपना शिष्य बना लिया और उसे अपनी वह ट्रिक सिखा दी जिसका इस्तेमाल कर खून की उल्टियां कर जेल से निकल चुका था। तिहाड़ के डॉक्टर ने हाल को किडनी फेलियर की बीमारी बता दी तथा उसे 12 हजार के मुचलके पर बेल दे दी गई। राजू भटनागर की मदद से हाल ने जेल के बाहर कार, ट्रेन के टिकट आदि का इंतजाम किया। चार्ल्स शोभराज के जन्मदिन मनाने का बहाना बनाकर उसने सबको नशीली मिठाई और चाकलेट खिलाएं और आराम से बाहर निकल गया। परंतु चार्ल्स शोभराज जेल से भागा ही इसलिए था कि वापस जेल आ सके। सिर्फ दो हफ्ते बाद ही चार्ल्स और डेविड हाल गोवा के एक शानदार रेस्ट्रॉन्ट से गिरफ्तार कर लिए गए। डेविड हाल तब नहीं जानता था कि चार्ल्स खुद चाहता था कि वह गिरफ्तार हो जाए।
एक विचारणीय तथ्य है कि फ्रांसीसी नागरिक होने के बावजूद चार्ल्स शोभराज साउथ और साऊथ ईस्ट एशिया में अपना कार्यक्षेत्र बनाये हुआ था क्योंकि एक तो यहां पर विदेशी पर्यटक ज्यादा आते हैं , जो उसके लिए साफ्ट टारगेट था। एक भारतीय पिता का बेटा होने के नाते उसका कलर भी दक्षिण एशियाई था तो वह यहां पर आसानी से घुल मिल जाता था । वह जानता था कि दक्षिण एशिया में या भारत में अंग्रेजी और विदेशी पर्यटकों का ज्यादा क्रेज है ,उसको अधिक महत्ता मिल जाती है।यहां पर क्राइम करने के लिए किसी को जल्दी विश्वास में लेने के लिए या अपनी जाल में फंसाने के लिए ज्यादा आसानी से शिकार मिल जाता था। अमूमन चार्ल्स शोभराज किसी भी जेल में ज्यादा दिन तक रहा नहीं । वह जेल जाता था और भागने की कोशिश करता था। उसकी क्रिमिनल साइकोलॉजी यह थी कि उसको जेल ब्रेक करना या वहां से भागना अच्छा लगता था और वह उसमें उसकी आत्म सुख मिलता था , लेकिन पहली बार भारत में उसने जो तिहाड़ जेल का जेल ब्रेक किया ,वह इसलिए किया क्योंकि वह फिर से जेल में आना चाहता था। जिससे वह जब 1988 में रिहा ना हो सके और थाईलैंड में उसको प्रत्यर्पण न कर दिया जाए , जहां मृत्यु दंड उसका इंतजार कर रही थी। सीरियल किलर को अन्य हत्यारों से अलग करने वाला एक बड़ा अंतर उनकी हत्या करने की मंशा है। एक सामान्य हत्या के विपरीत, सीरियल किलर केवल सहज प्रवृत्ति और हत्या करने की इच्छा से प्रेरित होते हैं। चार्ल्स बिना किसी हिचक के अपने लिए हत्या करता था, जिसका एक निश्चित तरीका था। पहले ही विश्वास जीत कर उसे ड्रग्स या नशा देता, उसे बीमार करता था, फिर लूटकर मार देता था। सफल सीरियल किलर के पास शवों को नष्ट करने और सबूतों का कोई निशान न छोड़ते हुए पुलिस को चकमा देने की क्षमता और बुद्धि होनी चाहिए। चार्ल्स शवों को गैसोलीन डालकर जला देता था, ताकि उसके खिलाफ सबूत न मिले। कुशल और शातिर सीरियल किलर की तरह चार्ल्स खुद को पेश करने में असाधारण रूप से कुशल था। वो संदेह से परे था और इसलिए उसे पकड़ना मुश्किल होता था। उसने जब जब चाहा, तब ही वह पकड़ा जा सका। कुल मिलाकर चार्ल्स शोभराज का नाम अपराध की दुनिया के चुनिंदा शातिर , लेकिन खतरनाक अपराधियों की सूची में शामिल हैं जिसने न केवल कानून की खामियों का उपयोग किया बल्कि लोगों के साथ साथ कानून को भी अपनी अंगुलियों पर नचाया।
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