बुढौती का वेलेंटाइन

कल्हे से सोशल मीडिया पर जो माहौल बना है, उसी मे मेरा भी अंडर ग्राऊंड औफ दी हर्ट से ख्वाहिश आने लगा कि आज मै भी  वेलेंटाइनिया दूं।भोरबे से इस लिए काफी प्लानिंग किया ,कि चाहे कुछ हो जाए, इसबार तो धमाल मचाकर रहूंगा। बरसों से जो सीने मे दबी इच्छा थी, उसे आज पूरा कर के रहूंगा।डिफेंस स्ट्रैटजी के तहत पहले सोचा सोमवार का दिन है, भोलेबाबा का सबेरे- सबेरे दर्शन कर लूं ताकि कोई रक्षा दल या सेना- वेना से साबका न पड़े। सुने हैं बड़ा दौड़ा -दौड़ा के मारते हैं! अपनी के साथ निकलो, तो भी दौड़ाते हैं। दूसरी के साथ तो रिस्के -रिस्क है। जालिम कहीं के ! प्यार के दुश्मन!

" बोसा दिवस " को ही अगले दिन का काम निपटा डालो, वेलेंटाइन के दिन खतरा ज्यादा रहता है।" एक नव चिंतक मित्र ने सलाह दी।

"नव वेलेंटाइन वादी तो अब सात दिन  का वेलेंटाइन सप्ताह मनाने का धैर्य कहाँ रख पाते हैं, !" चट मंगनी पट ब्याह!" सिस्टम फालो करनेवाले चाकलेट, गुलाब देने गले लगाने , बोसा देकर प्यार जताने का इंतजार डे वाई डे कहाँ कर पाते है"!

"धीरे धीरे से मेरी जिंदगी मे आना, धीरे धीरे से दिल को चुराना"! ये मध्य कालीन प्यार का नमूना है तो " मेरे पिया गये रंगून, किया है वहाँ से टेलीफुन, कि तेरी याद सताती है, जिया मे आग लगाती है"! ब्लैक एंड व्हाइट जमाने का प्यार है।

  तो  आज दिन भर सब बूढौती से जवानी की दहलीज लांघने वाले ,सभी ए टू जेड, इसी चक्कर मे हैं कि अपना अप्रतिम प्रेम दुनिया के सामने सीना ठोंककर सुना दे।फेसबुक तो माने चिपका- चिपकू से पटा गया है। होड़ लगी है कि कौन ज्यादा " क्लोज टू क्लोज " का फोटू लगाता है। हमरा मन भी लुसफुसाया था, पर फिर लगा कहीं दिखावा क्यों? मुझे क्या पता कि मेहरारु तो राते से इसलिए मुंह फुलाये बैठी थी। 

कभी हमरा फोटू भी डी पी मे लगा लिया करो!

" क्यों ! शरम आती है क्या? हां हम उतने सुंदर नही हैं न!" कभी कोई गिफ्ट भी नही दिया, ना कभी रोज दिया, न चाकलेट, और कहते रहते हैं" हम दिल दे चुके सनम"!

मामला गरम था पर आज मेरा दिल थोड़ा नरम था।

लगा अब तो वेलेंटाइन डे, डूम्स डे मे बदल जाएगा तो उसे " जादू वाली झप्पी देते हुए तीन बार " आल इज वेल " बोल दिया। लेकिन रीयल लाइफ मे इतना जल्दी " आल इज वेल" कहाँ हो पाता है?

तो सोचा कि मेहरारु को तो रोजे  विलेजर टाइप वेलेंटानियाते हैं, आज कुछ तुफानी किया जाए और सरप्राइज दिया जाए। तो निकल पड़े सलमान खान की तरह " ओ ओ जाने जाना ढूंढे तुझे दीवाना" गाते हुए। तो प्लान ये था कि " आती क्या खंडाला? अरे ! घुमेंगे फिरेंगे, नाचेंगे गायेंगे, ऐश करेंगे और  क्या!" 

लेकिन वो तो फट पड़ी! आपको कहां से बुढौती  मे ये नशा चढ गया!कुछ तो बच्चों और सफेद होते बालों का लिहाज करो।" बोली " अरे! बच्चों को छोड़कर कहां जायेंगे? लोग सब क्या कहेंगे? इस ऐज मे वेलेंटियाने का शौक चर्राया है!" ना रे बाबा ! ना! घूमने नही जायेंगे। जब दिन थे तब तो कभी न घुमाने ले गये, मेरी जवानी बर्बाद कर दिए। कोई शौक पुरा नही किया। पता नही किस टाइप के मरद से भाग्य जुड़ा था।न कभी वेलेंटाइन डे मनाया , मैरिज डे बड़ी मुश्किल से मनाते हो"! और अब ये चोंचले।
मानो मन भर पानी उलीछ दिया हमारे उत्साह पर ! " अरी भागवान! न जाना है मत जाओ! पर दिन क्यों खराब करती हो? रोजे तो झिक झिक होता ही रहता है। आज के दिन तो कम से कम संत वेलेंटाइन का लिहाज करो!
  सोचा सबेरे सबेरे हनुमान जी का आशीर्वाद लेंगे तो क्या होगा? वो ठहरे ब्रह्मचारी! लेना ही तो किशन- कन्हैया का लेना चाहिए था, जो न जाने कितनो के साथ रोज वेलेंटिनियाते थे।

मुझे दुखी देखकर बोली" अजी सुनते हो!  मै  तो मजाक कर रही थी। " आप तो हमारे वेलेंटाइन कबसे हैं! हमारा प्यार इजहार करने के लिए किसी दिन का मोहताज नही है। हमारा तो सबदिन वेलेंटाइन डे है।"

" दिल फिर गार्डेन- गार्डेन हो गया"

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