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Showing posts from February, 2025

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

हाल ही में चीनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल डीपसीक ने अपनी एडवांस टेक्नोलॉजी और कम कीमत के कारण चैट जीपीटी , गूगल जेमिनी , अमेज़न, मेटा सदृश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडलों के लिए बाजार  में काफी बड़ी चुनौती प्रस्तुत की है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व के समक्ष चीनी दबदबे के रूप में देखा जा रहा है। यहां  तक कि ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक सैम आल्टमैन ने भी इसकी काफी प्रशंसा की है। वास्तव में डीपसीक एक चीनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी है,जो ओपन-सोर्स और एडवांस लार्ज लैंग्वेज मॉडल विकसित करती है, जबकि उससे पहले नंबर पर रही चैट जीपीटी क्लोज्ड सोर्स लार्ज लैंग्वेज माडल पर आधारित है। अपने लांचिंग के कुछ दिनों में डीपसीक ने संयुक्त राज्य अमेरिका में आईओएस ऐप स्टोर पर सबसे अधिक डाउनलोड किए जाने वाले मुफ्त ऐप के रूप में चैटजीपीटी को पीछे छोड़ दिया। अपने नवीनतम  रुप में डीपसीक ने  जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट को ओपन सोर्स बना दिया है।यह खुलापन और पारदर्शिता इसे लोकप्रिय बना रही है। ओपेन-सोर्स बनाम क्लोज्ड-सोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। ओ...

चित्रकूट के राम

धनतेरस के दिन से भैयादूज तक भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में चलने वाले पांच दिवसीय मेला प्रारंभ हो गया है। यहां मंदाकिनी नदी में रामघाट पर दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि लंकापति रावण पर विजय प्राप्ति पश्चात अयोध्या वापस लौटते समय भगवान श्री राम ने यहां दीपदान किया था। यह एक तरह से श्रीराtम द्वारा उस स्थान को सम्मानित करने के समान है जहां उन्होंने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। चित्रकूट में उनके निवास काल के पर्णकुटी के संबंध में   गोस्वामी तुलसीदासजी  ने रामचरितमानस में लिखा है..      “राम लखन सीता सहित सोहत परन निकेत। जिमि बासव बस अमरपुर सची जयंत समेत।”        अर्थात लक्ष्मणजी और सीताजी सहित श्री रामचन्द्रजी पर्णकुटी में ऐसे सुशोभित हैं, जैसे अमरावती में इन्द्र अपनी पत्नी शची और पुत्र जयंत सहित बसता है। यदि अयोध्या को राम की जन्म भूमि होने का गौरव मिला है तो चित्रकूट वह स्थान है जहां राम ने अपनी तपस्या के बल पर भगवान राम होने का रास्ता अख्तियार किया । कष्टों में ही तपकर मनुष्य का आत्मबल, चेतना, ...

मैथिल संस्कृति

हिमालय की तराई में नेपाल  के दक्षिण, कोसी नदी से पश्चिम , गंडक नदी  से पूर्व और गंगा नदी से उत्तर  स्थित मिथिला एक सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में अपनी प्राचीन परंपरा और धरोहर को अक्षुण्ण बनाए हुए है। इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुषमा , ऐतिहासिक गौरव एवं सांस्कृतिक परंपराओं से समृद्ध है। मिथिला के  सामाजिक- सांस्कृतिक जीवन में लौकिक एवं वैदिक संस्कृति का समन्वय देखने को मिलता  है। मैथिली समाज संस्कारो से परिपूर्ण तथा अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ जीने की कला को जिंदादिली के साथ जीता है। समाज में विभिन्न  धार्मिक परंपराओं, रीति रिवाजों , पंथ संप्रदायों यथा शैव, शाक्त, वैष्णव, और अन्य आपसी प्रेम व स‌द्भाव के साथ  रहते आये हैं। मिथिला क्षेत्र की मूल भाषा मैथिली है और इसके बोलने वालों को मैथिल कहा जाता है। मिथिला को तिरहुत, तिरभुक्ति, और मिथिलांचल के नाम से भी जाना जाता है।समग्र  रुप में मैथिल संस्कृति को विशिष्ट तौर पर  विदेह राज जनक एवं सीता से संबंधित  माना जाता है। संस्कृति के हरेक अवयव में राम सीता समाहित है। हालांकि मैथिल संस्कृति को बंगा...

चार्ल्स शोभराज -एक शातिर अपराधी

मशहूर सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज का नाम सामने आते ही हमारे सामने एक दुर्दांत , खतरनाक और शातिर अपराधी का चेहरा आ जाता है जिसे संभवतः एक अपराधी होने के बावजूद सबसे ज्यादा मीडिया की लाइमलाइट मिली। हालांकि वह एक हत्यारा, लुटेरा, चोर, धोखेबाज, जैसे सभी अपराधों में माहिर था परंतु तेजतर्रार इतना था कि जबतक उसने न चाहा, दुनिया की कोई जेल उसे अपने अंदर रख नहीं पायी। उसने  लुटपाट के लिए इतनी हत्यायें की है कि जल्द ही वह एक ख़तरनाक सीरियल किलर की श्रेणी में आ गया। जैसा कि आम सीरियल किलर अपने पीड़ितों को मारने से पहले उनका अपहरण करते हैं या उन्हें प्रताड़ित करते हैं, चार्ल्स भी अपने शिकार अपने व्यक्तित्व, स्टाइल और बातों में फंसाता था, फिर उसे अपनी दवाओं से बीमार कर बंधक बना लेता था। सीरियल किलर अक्सर असामान्य मनोवैज्ञानिक संतुष्टि की तलाश में होते हैं। एक सीरियल किलर के मन में अक्सर सामने वाले पर नियंत्रण पाने की इच्छा, आत्म- सम्मान और आत्म-प्रभावकारिता बढ़ाने की इच्छा,दूसरों पर अधिकार जमाने की इच्छा,गुस्सा,रोमांच की तलाश, आर्थिक  लाभ इत्यादि भावनाएं समाहित होती है, चार्ल्स भी इससे इतर ...

प्राचीन नगरी द्वारिका

उ उउई उउ  ईसा पूर्व तक यह भारतीय और अरबी क्षेत्रों के बीच व्यापारिक संपर्कों का द्वार था। वास्तव में संस्कृत  शब्द 'द्वारिका'  का अर्थ  'पोर्टल' या 'दरवाजा' है, जो इस प्राचीन बंदरगाह शहर की ओर इंगित करता है। यह भारत आने वाले विदेशी नाविकों के लिए एक प्रवेश बिंदु के रूप में काम करता था।  बेट द्वारका में उत्खनन से उतर- हड़प्पा मुहरें, तांबे के मछली के कांटे और एक उत्कीर्ण जार जैसी कलाकृतियाँ मिली हैं, जो स्पष्ट करती हैं कि यह द्वीप नगरी कभी एक संपन्न व्यापार केंद्र था। आज पुरानी द्वाईउईईईई उऊउईई उउईईईईईईऊईईईईईईईईरिका नगरी समुद्र में लगभग 300 फीट की गहराई में डूबी है। चूंकि देश में पानी  के अंदर जाकर पुरातत्व संबंधी खोज करने वाले पुरातत्वविद बहुत कम हैं, इसलिए प्राचीन द्वारिका नगरी संबंधित शोध कार्य धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण न अंडर वाटर शोधों  को आगे बढ़ाने के लिए  ‘अंडर वाटर आर्कियोलॉजी विंग’ को सुदृढ़ करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। वस्तुत समुद्र के भीतर द्वारिका की खोजवाली  जगह पर ज्वारीय अंतर्धारा के कारण, केवल दि...