फोर्टिफाइड राइस और कुपोषण

नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार देश के करीब 65 प्रतिशत लोग भोजन में चावल का उपयोग करते हैं। चावल की खपत वाले देशों की आबादी में सामान्यतः: विटामिन ए की कमी, प्रोटीन तथा ऊर्जा आधारित कुपोषण, जन्म के समय बच्चों का कम वज़न, शिशु मृत्यु दर की अधिकता देखने को मिलती है। भारत में 6 माह - 5 साल के 59 फीसद बच्चे, 15 - 50 साल की 53 फीसद महिलाएं और इसी आयु वर्ग के 22 फीसद पुरुषों में आयरन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2020 में भारत विश्व के 107 देशों में 94 वें स्थान पर रहा है। इस कुपोषण से लड़ाई के लिए सरकार ने फोर्टिफाइड राइस वितरण करने की योजना बनाई है। इस योजना के कार्यान्वयन से  क्रोनिक कुपोषण को कम करने में सहायता मिलेगी। कुपोषण से समाज के निम्न तबके के लिए यह भोजन के साथ दवा का भी काम करेगा। फोर्टिफाइड चावल का वितरण 'सार्वजनिक वितरण प्रणाली, 'समेकित बाल विकास सेवा'(आंगनबाड़ी) और 'मिड-डे मील' कार्यक्रमों के तहत किया जाएगा। क्रोनिक कुपोषण आमतौर पर गरीब, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों, कमज़ोर मातृ स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ा होता है। भारत ने वर्ष 2022 तक ‘कुपोषण मुक्त भारत’ के लिये एक कार्य-योजना विकसित की है, जिसके अंतर्गत पोषणयुक्त चावल  तैयार किया जाएगा और इसे देश भर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए बांटा जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत में 15 राज्यों में इस योजना को लागू किया गया है, जिसके लिए 174.6 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया  गया है। देश के 15 राज्यों मे  112 ऐसे जिलों की पहचान की गई है ,जहां लोगों को पब्लिक डिस्टीब्यूशन सिस्टम के जरिए ये फोर्टिफाइड चावल दिया जाएगा। आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़, उतरप्रदेश इत्यादि राज्यों ने अपने-अपने एक जिलों में इस पोषणयुक्त चावल का वितरण शुरू भी  कर दिया है।

सामान्यतः राइस मिल के चावल में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है और यह  केवल कार्बोहाइड्रेट के स्रोत के रूप में ही कार्य करता है। फूड फोर्टिफिकेशन चावल, दूध, नमक, आटा आदि खाद्य पदार्थों में लौह, आयोडिन, जिंक, विटामिन ए एवं डी जैसे प्रमुख खनिज पदार्थ एवं विटामिन जोड़ने अथवा वृद्धि करने की प्रक्रिया है। फोर्टिफाइड चावल में विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी 12, फोलिक एसिड, आयरन और जिंक होते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों के फोर्टिफिकेशन पर एक विस्तृत नियम तैयार किया है। चावल के फोर्टिफिकेशन में चावल को पीसकर पाउडर तैयार कर  इसमें पोषक तत्त्वों का मिश्रण किया जाता है। इस फोर्टिफाइड चावल के मिश्रण को पुन: चावल के आकार में बदला में जा सकता है, जिसे ‘फोर्टिफाइड राइस कर्नेल’ कहा जाता है। इस फोर्टिफाइड राइस कर्नेल को सामान्य चावल के साथ 1: 100 के अनुपात में मिश्रित किया जाता है तथा इसके बाद इसे ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ के तहत बिक्री के लिये जारी किया जाता है। देश मे अभी सिर्फ 15,000 मीट्रिक टन हर साल तैयार किया जा रहा है। पीडीएस, आईसीडीएस और एमडीएम के अंतर्गत 112 जिलों मे वितरण  करने के लिए लगभग 130 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल की जरूरत होगी। इसके लिए देश मे इस कर्नेल की आपूर्ति क्षमता को करीब 1.3 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाने की आवश्यकता होगी । यदि वर्तमान के संपूर्ण पीडीएस आवंटन 350 लाख मीट्रिक टन को पोषणयुक्त चावल की आपूर्ति में बदलना है तो इस हेतु राइस मिलर्स को  3.5 लाख मीट्रिक टन कर्नेल उत्पादित करना पड़ेगा।  पुनः इसे सामान्य चावल मे मिलाने के लिए लगभग 28,000 चावल मिलों में ब्लेंडिंग मशीन लगानी पड़ेगी।

केंद्र सरकार के सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने चावल के फोर्टिफिकेशन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से इसके वितरण पर केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी है। इसके अंतर्गत उत्तर-पूर्वी,पहाड़ी और द्वीपीय राज्यों के मामले में 90% तक वित्तीय सहायता और शेष राज्यों के मामले में 75% तकवित्तीय सहायता दी जाएगी। योजना के तहत तीन वर्ष की अवधि के लिये 174.6 करोड़ रुपए का कुल बजट  आवंटित किया गया है। 

उतरप्रदेश मे फरवरी से पायलेट प्रोजेक्ट के रुप मे चयनित जनपद  चंदौली मे  राशन की सभी दुकानों से सिर्फ फोर्टिफाइड चावल मिल रहा है।वर्ष के अंत तक प्रदेश की सभी राशन की दुकानों पर यह चावल उपलब्ध होगा। इस चावल  के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार  किया जा रहा है। इसकी कालाबाजारी रोकने हेतु  हर जिले में नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये जायेंगे। प्रदेश के सभी जनपदों मे पीडीएस मे इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आवश्यक फोर्टिफाइड राइस की उपलब्धता बनाने के लिए राइसमिलों को इस हेतु तैयार करने के लिए निर्देशित किया गया है। आधुनिक राइस मिलों को इसके लिए अलग से मशीन और ब्लैंडर लगानी होगी, जिसकी कीमत लगभग 40-55 लाख रुपये है। जाहिर है राइसमिलों को इतना बड़ा निवेश करने से पहले उन्हें व्यवसायिक रुप से आश्वस्त करना होगा।



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