जिंदगी का सफर

इस  दुनिया मे एक साथ कई स्तरों पर जीवन का विकास होता रहता है। भारत मे ही हम देंखें तो मुंबई और कालाहांडी-बस्तर की जिंदगी मे तीन सौ सालों का फर्कमहसूस होता है।एक ओर् जहाँ मुंबई- बंगलौर के हाई फाई सोसायटी बाइसवीं सदी मे जी रही है तो लखनऊ - चंडीगढ़ इक्कीसवीं सदी मे, तो दरभंगा- फैजाबाद बीसवीं सदी मे, बस्तर- कालाहांडी तो अभी अठारहवीं सदी से निकलकर उन्नीसवीं सदी के जीवन स्तर् मे आने के लिए जद्दोजहद कर रही है।जरा नजर उठा कर देखें तो एक शहर मे ही लोगों के जीवन स्तर मे सदियों का फर्क मिल जाएगा। हाथों की उंगलियों के समान लाइफ स्टाइल बड़ा- छोटा- मोटा- पतला होता है पर मुठ्ठी बंद हो जाये तो देश और समाज बन जाता है।इसी तरह कभी कभी आप अपनी जिंदगी से निराश हो जाते हैं।" क्या बेकार जिंदगी जी रहा हूँ मै! ये जीना भी कोई जीना है लल्लू!",जबकि दुनिया में उसी समय कुछ लोग आपकी जैसी जिंदगी जीने का सपना देख रहे होते हैं।" काश मै भी उसकी तरह जी पाता"! अपनी जिंदगी से कोई संतुष्ट नही होता। " दूर के ढोल सुहावन लागे!" परायी जिंदगी और परायी स्त्री सबको अच्छी लगती है क्योंकि प्रोब्लम तो पास जाने पर पता चलता है। घर पर खेत में खड़ा बच्चा आकाश में उड़ते हवाई जहाज को देखकर उड़ने का सपना देख रहा होता है, परंतु उसी समय उसी हवाई जहाज का पायलट खेत ओर बच्चे को देख घर लौटने का सपना देख रहा होता है।गांवों से लोग शहरों की ओर भाग रहे हैं। शहरी चकाचौंध उन्हें ललचाती है पर शहर जाकर उन्हें ग्रामीण जीवन याद आता है। मानव स्वभाव है कि जो चीज हमारे पास होता है हमे नही सुहाता है पर जब वह हमसे छीन जाता है या हमसे दूर हो जाता है तो उसकी अच्छाई बरबस अपनी ओर खींचती है। यही जिंदगी है। जो तुम्हारे पास है उसका मजा लो।आज सारी दुनिया आध्यात्म की तलाश मे भारत की ओर रुख कर रही है क्योंकि " दुनिया गोल है!" आखिर सबको वहीं घुमकर आना है जरा देर लगेगी।जो टाप पर पहुँच चुका है उसे नीचे की ओर आना ही है। जिसकी जितनी स्पीड है वो उसके हिसाब से सफर तय कर वापस उसी जगह से शुरुआत करेगा। " जिंदगी के सफर मे गुजर जाते हैं जो मकाम, वो फिर नही आते, वो फिर नही आते"!।भौतिक सुख क्षणिक है, धन से खुशियां नही खरीदी जा सकतीं।अगर धन-दौलत रूपया पैसा ही खुशहाल होने का सीक्रेट होता, तो अमीर लोग नाचते दिखाई पड़ते,परंतु वो तो " हाय पैसा हाय पैसा" चिल्लाते चिल्लाते मर जाते हैं, उन्हें सुकून नही है।खुशियाँ तो अलमस्त, नंग धडंग गरीब बच्चों के नृत्य मे दिखता है।अगर सत्ता या पाॅवर  मिलने से  सुरक्षा मिल जाती तो नेता अधिकारी बिना सिक्युरिटी के नजर आते लेकिन उन्हें सिक्योरिटी की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। ये एक स्टे्टस सिंबल भी है। जिसके साथ जितनी बड़ी सिक्योरिटी ,वो उतना पावरफुल।बल्कि सामान्य जीवन जीने वालेे चैन की नींद सोते हैं।खेत मे मजदूरी करने वाला, रिक्शा खींचनेवाला या फैक्ट्री का मजदूर ,जितना घोड़ा बेचकर नींद का आनंद उठाता है वो बड़ी बड़ी कोठिओं और अट्टालिकाओं मे सोनेवालों को नसीब कहाँ??वाकई मे अगर खुबसुरती और प्रसिद्धि मजबूत रिश्ते कायम कर सकती तो सेलीब्रिटीज् की शादियाँ सबसे सफल होनी चाहिए थी, पर ऐसा नही होता। खुबसूरती और सेलीब्रेटी स्टेट्स साथ मे ईगो, घमंड, अहंकार और जलन लेकर भी आता है, तो कहाँ निभ पाएगा दोनो मे। दोनों एक से बढकर एक। कोई किसी से कम नही।।सफल शादियों के लिए अच्छे इंसान ,साफ दिल और आपसी विश्वास की जरूरत होती है।हम तो जनाब ये मानते हैं कि ज़िन्दगी एक सफ़र है,आराम से चलते रहो उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगें, बस जीवन की गाड़ी का गियर बदलते रहो।"जिंदगी का सफर  है ये कैसा सफर, कोई समझा नही कोई जाना नही" ।सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए और जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए ।तज़ुर्बा है हमारा मिट्टी की पकड़ मजबूत होती है,संगमरमर पर तो हमने पाँव फिसलते देखे हैं।फकरे कहीं से उड़ाये भी हैं पर सटीक लगते हैं। जिंदगी के रहस्य बतलाते हैं।
जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!" हर फिक्र को धुंए मे उड़ता चला गया। मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया। जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया।"कहते हैं जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है,लेकिन इन्सान पैसा ऊपर नही ले जा सकता। खाता इंसान रोटी ही है, पैसे नही। इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले।सबकी अपनी अपनी जिंदगी, अपने अपने रास्ते, अपनी अपनी सोच, अपनी अपनी चाह और मंजिल।
"वहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जायेगा कहाँ,
दम लेले घड़ीभर ये छईयां पायेगा कहाँ"!------------------- 

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