तपाई लाई कस्तो छ?

 " तपाई लाई कस्तो छ? तिम्रो के नाम हो? कसलाई कुरा गर्छ?" ये बोली आपको कुछ जानी पहचानी लगेगी! बंगला, मैथिली, आसामी यहाँ तक कि हिन्दी भाषा  के अनेक शब्द इस भाषा मे मिलेंगे! हां! जी मै नेपाली भाषा की बात कर रहा हूँ ,जहाँ सीताजी की जन्मभूमि है। यह कभी मिथिला क्षेत्र हुआ करता था आज मधेशी क्षेत्र है।
कहते हैं उससे रोटी- बेटी का संबंध है । जनकपुर से अयोध्या का संबंध तो पौराणिक है पर आज भी बिहार और युपी के लाखों सीमावर्ती घरों मे चाची, काकी, दादी, भाभी , मामा ,जीजा और फूफा नेपाल के हैं। कभी उसे अलग देश माना ही नही गया। कोई पूछता कि कभी विदेश गये हो ,तो नेपाल कहने पर लोग हंसी- ठठ्ठा करने लगते। अरे जहाँ बंसवारी करने जाते हो ,वह विदेश कैसे हुआ? लोग शाम मे घूमने उसपार पहले चले जाते थे। जिस तरह उतराखंड के पहाड़ के लोग कमाने के लिए मैदानी इलाके मे आ जाते हैं, सदियों से नेपाली लोग भारत आते रहे हैं। किसी देश की सेना मे विदेशी लोगों की टुकड़ी आपने सुनी है, भारत मे गोरखा टुकड़ी है तो अलग देश कैसे हुआ? जाड़े मे" गोमा" लबादा , मोटे मोटे जैकेट, जीन्स , स्पोर्ट्स जूते लेने हो तो लड़के बस पकड़कर बैरगनिया से "गौर", सोनबरसा से" मलंगवा " और भिठ्ठामोड़ से "जलेसर स्थान "या जनकपुर चले जाते, शाम तक लौट भी आते। ये वाइस -वर्सा होता था वहाँ के लोग भारतीय बाजारों मे मार्केटिंग करते थे। हरेक सीमावर्ती जिले मे नेपाल और भारत दोनों तरफ बाजार हैं। पीलीभीत के लोग महेंद्रनगर चले जाते हैं तो रक्सौल वाले बीरगंज, गोरखपुर वाले भैरहवा!  सामान व्यापार करने के लिए तो नेपाल मे "भंसार" (टैक्स) लगता था पर व्यक्तिगत  उपयोग के लिए फ्री था। 

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