पाजिटिव होने की दहशत भाग एक


एकबार  बस मे किसी यात्री की किसी चोर ने  धारदार ब्लेड से झटके से सोने की अंगूठी सहित अंगुली भी काट लिया और उसे पता भी नही चला क्योंकि वह उधर ध्यान नही दे रहा था। जब पास वाले यात्री ने उसकी अंगुली से बहते खून को देखकर चिल्लाया, तब उसे दर्द का अहसास हुआ और वह भय से बेहोश हो गया। इस घटना  के बारे मे कहीं पढ़ा है। असल मे खतरे के बारे मे अनजान होने से भय उत्पन्न नही होता परंतु यदि उसे बता दिया जाय कि आज यह होनेवाला है, तो वह दहशत मे आ जाता है। इसलिए संभव है यह वायरस भी आप को  छू कर , दस्तक देकर निकल भी गया हो और आपको पता भी नही चला हो, और आप इंतजार ही कर रहे हों। अमूमन सर्दी ,खांसी ,जुकाम तो होते ही रहता है और ऐसे ही ठीक भी हो जाता है।इंसान वैसे ही भय से एक्स्ट्रा प्रिकाशन कर रहा है पर टेस्ट कराने से डरता है कि कहीं पाजीटिव न हो जाय। जैसे कुत्ते के काटने से ज्यादा दहशत पैदा करता है, उससे होनेवाली रेबीज बिमारी और चौदह इंजेक्शन नाभि के चारों ओर लेने का भय(अब कम लेना होता है)। उसी तरह पाजीटिव होनेपर आइसोलेशन का भय मौत से ज्यादा खतरनाक है। यह भी संभव है कि यदि पाजिटिव होने के बाद आप उसे "होम आइसोलेशन" मे रख दें तो  इससे भय कम हो जाय। वैसे भी हास्पीटल मे इसका कोई स्पेशल इलाज तो होता नही है, वहीं बुखार, खांसी, जुकाम की दवाएं और डायट चार्ट। यह घर पर भी फालो कराया जा सकता है सिर्फ घर के लोगों से फिजिकली अलग रहने की चेतावनी के साथ। यहां का मानसिक सूकून उसे जल्द ठीक कर देगा। शुरुआत मे कई जगहों से खबरें आ रही है थी कि पाजीटिव होने के भय मे लोग आत्महत्या कर रहे थे।आप इस की कल्पना कीजिए कियह सिद्ध हो गया है कि यह सब आपकी इम्यूनिटी पर डिपेंड करता है। हम पहले भी जीते आ रहे थे, हम इसके साथ भी जीना सीख रहे हैं और सुरक्षा उपायों के साथ आगे भी जीते रहेंगे। अब बात दहशत की आती है तो  हम रिकवरी प्रतिशत और एक्टिव केसेज पर फोकस कर इससे उत्पन्न होनेवाले मानसिक आघात ,भय पर कंट्रोल कर सकते हैं। अबतक हुए पाजीटिव केसों की कुल  लगातार बढ़ती संख्या मानसिक नेगेटिविटी और भय उत्पन्न करता है, एक दहशत भी।
क्रमशः..
#सकारात्मकसोच#

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