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Showing posts from 2018

पुस्तकें जो मैने इस साल पढी हैं

किताबों के पढने के दृष्टिकोण से यह वर्ष मेरे लिए अविस्मरणीय रहा है। हिंदी किताबों के प्रकाशन और बिक्री के नजरिए से  इसे पुनर्जागरण काल भी कह सकते हैं जिसमें एक तरफ प्रेम  ...

प्रेमलहरी पुस्तक समीक्षा

इतिहास के अनछुए पहलुओं को उजागर करती कृति" प्रेम लहरी"।लेखक " त्रिलोक नाथ पांडेय "की यह पुस्तक  इतिहास होने का दावा नही करती और न लेखक द्वारा इतिहास लेखन का बल्कि एक प्रेम कह...

हम छुपाते रहे इश्क है.......पुस्तक समीक्षा ..यूं ही

यूं ही कोई शायर या कवि नहीं बनता । कहते हैं" वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकला होगा गान! लेकिन अपवाद भी होते हैं। यूं तो गीत गजल कविताओं का शौक पहले से हैं पर मैं इसके आयोजन- सम्म...

चौरासी----- समीक्षा

यूं तो " चौरासी" को काफी पहले पढ़ लिया था लेकिन समीक्षा लिखने के उहापोह मे कई दिन बीत गये। " त्रासदी यह है कि प्रेम हर मजहब का एक अंग है जबकि इसको खुद ही एक मजहब होना चाहिए था" उपन्य...

पंख होते तो उड़ आते रे

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नौकरी की जद्दोजहद मे उलझे और पर्व त्यौहार मे अपनो के साथ न रह पाने का मलाल

खेलोगे कूदोगे होगे खराब

"खेलोगे कूदोगे होगे खराब पढोगे लिखोगे बनोगे नबाव।" समाज की ये सोच अब पहले जैसी नही रह गई है फिर भी बहुत ज्यादा बदली नही है। वस्तुतः खेल को कैरियर के रुप मे अभी भी मान्यता नही म...

प्रिपरेशन

बिहारी कक्का आज पूरे फार्म मे थे। जैसे लाठी सोंटा लेकर सरकारे पर पिल पड़े हों। "ऐसे ही हाल रहा तो कोई सरकारी नौकरी का नाम नही लेगा। अरे! काहे को इसके पीछे बिहारी, बंगाली और पुरब...