मुझे गांधी बनना है

"तुम्हारी इतनी हिम्मत की मुझे गांधी बनने से रोको! " आइ विल फाइट फार दिस काज"!
कक्का जोरों से  बड़बड़ा रहे थे
"मैने बचपन से सपने देखे हैं! तख्त बदल दो ताज बदल दो"!.नारे ऐसे नही लगाये हैं। नया इतिहास लिखना है, इतिहास बदलना है। सारे मानक ध्वस्त होंगे, नये मानको के बीच चमकता हमारा चेहरा होगा जो चांद पर बैठे अंतरिक्ष यात्री को भी दिखेगा"! मै पूछूंगा" कैसा दिखता है मेरा हिन्दोस्थान"! वो पलट कर आह्लादित होकर बोलेगा" सिर्फ आप ही आप दिखाई पड़ते हो, यहाँ से। चाहे एफिल टावर हो, दुबई बुर्ज हो या चीन की दीवार, सब पर आपका ही अक्स है, आपके ही चर्चे हैं, तब मै खुश हो जाऊंगा।
"कक्का !लगता है कि आप पगला गये हैं ! ये क्या बके जा रहे हैं! ये किसके बारे मे बोल रहे हैं"!
चंदेसर ने टोका।पर काका आज तो अपनी ही रौ मे थे। सबेरे सबेरे भांग का दू गोला पानी के साथ गटक लिए थे। भोले बाबा का बैताल पचीसी अपना रंग दिखा रही थी।
"मै लडूंगा, कामन काज के लिए लड़ूंगा। तुम मुझसे मेरे लड़ने का अधिकार नही छीन सकते। बिना लड़े तो इतिहास नही बदल सकता न! तुम मुझसे मेरे एक गाल आगे बढाकर मार खाने का अधिकार नही छीन सकते, दूसरा गाल तो बढाऊंगा ही, सत्याग्रह तो मै ही करुंगा तभी तो गांधी को रिप्लेस करुंगा।"!
मै बोला " कक्का !  गांधी जैसा युग पुरुष कभी कभी पैदा होता है। वो महात्मा थे।
" तो क्या !मैने भी सत्य -असत्य के साथ सैकड़ो प्रयोग किया है और  आश्चर्य जनक रुप से " इट्स वर्किंग!'  मै सत्य बोलूंगा क्योंकि मुझे जीतना है, मै असत्य बोलूंगा क्योंकि मुझे हारना नही है। मै पावर की पावर जानता हूँ। मै बंटवारे के समय नोआखाली मे रहकर समय व्यर्थ नही करूंगा बल्कि अपना वोट बैंक मजबूत करुंगा जिसके सहारे मुझे वर्षों तक यहाँ राज करना है। मै साम- दाम- दंड- भेद,सबका प्रयोग करना है क्योंकि मुझे इतिहास बदलना है, भूगोल बदलना है, मानचित्र से स्थान बदलना है।"
लग रहा था जैसे गांधी का भूत उनके इर्द गिर्द मंडा रहा था।
मैने कहा" कक्का! कैसे बनोगे गांधी! पहले उसकी तरह त्याग करना तो सीखो! प्रण ले लिया कि एक ही धोती पहनेंगे भी लपेटेंगे भी। पर आपको तो महंगी सूट बूट का शौक है।होटलों मे ठहरने और हवाई जहाज मे घूमने का शौक है। पहले इसे तो छोड़ो!"
  " मुझे अभी बहुत काम करने हैं। इस देश को बदलना है। सिस्टम सड़ गया है, उसे बदलना है! भ्रष्टाचार मिटाना है"!
" लेकिन कक्का! जनता इतने तेजी से परिवर्तन बर्दाश्त नही करती! उसका हर्ट फेल कर जाएगा! उसको जिंदा रहने दो!ये हमारा देश हिटलर, मुसोलिनी, स्तालिन को सहन नही करता! देखे नही सन सतहतर का हश्र!झुमका तक गिरा रे बरेली के बाजार मे!"
कक्का दहाड़े" कमजोर दिलवालों को जीने का कोई हक नही!"मुझसे बड़ा कोई देशभक्त है। देश के लिए मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा, पर मुझे इसका रिनोवेशन करना है। "
मै बोला" पर ये क्या रेनोवेशन है? ये तो बगदादीवाद का देसी संस्करण है। होश मे आइये कक्का जी! आप कुर्सी से गिर पडे़ हैं। चलिए आपको घर पहुंचा दूं।"
चंदेसर बोला" भैया! ऐसे ही कभी कभी भांग पी के बौड़ा जाते हैं तो अगड़म बगड़म बोलने लगते हैं! कल सबेरे तक सब ठीक हो जाएगा।"
मै सोचने लगा ! काश! कोई ऐसी सुबह तो होती जब सबकुछ ठीक हो जाता!

Comments

Popular posts from this blog

कोटा- सुसाइड फैक्टरी

पुस्तक समीक्षा - आहिल

कम गेंहूं खरीद से उपजे सवाल