प्रेमियों के प्रकार

आज" विश्व प्रेम दिवस"( वेलेंटाइन डे) पर इस पावन धरा पर अवतरित प्रेमी जीवों के प्रकार का गहन विश्लेषण इस लिए भी आवश्यक प्रतीत हो रहा है कि हम, आप और पड़ोसी किस कैटेगरी मे आते हैं ,वो जान जायेंगे, फिर उनकी पीठ पीछे बुराई करने मे सबको ज्यादा आसानी होगी क्योंकि ये ऐसी चीथ है जिसे करना सब चाहते हैं पर खुलेआम स्वीकार करने मे हिचकिचाते हैं। " मोहब्बत जिंदाबाद" कहने का साहस सलीम कर सका क्योंकि वो शहजादा ( बड़ा आदमी)था।तो दुनिया मे कई प्रकार के प्रेमी जीव होते हैं।प्रथम वो जो जिससे प्यार करते हैं ,बाद मे उसी से विवाह करते हैं परंतु विवाह पश्चात हमेशा उस पत्नी रुपी प्रेमिका मे गर्लफ्रेंड को तलाशते रहते हैं। सर्वदा उसकी तुलना करते हुए यह कहना कि मैने तो अहसान किया कि तुमसे शादी कर लिया , भले ही प्रेमिका किसी और के साथ भाग गई हो।दूसरे वो जो अपनी प्रेमिका से शादी नही कर पाते,वियोगी होकर या तो कुंवारे रह जाते हैं या कर भी लिए तो उस पत्नी को प्रेम नही कर पाते हैं। तीसरे वो जो अपनी प्रेमिका को पत्नी बनाते हैं और उसे पत्नी के रुप मे स्वीकार कर हमेशा उससे प्रेम करते रहते हैं , ऐसे जीव दुर्लभप्राय हैं लेकिन अत्यंत ही भाग्यशाली जीव हैं। चौथे वो हैं जो शादी से पहले प्यार कर ही नही पाते।आधुनिक परिदृश्य मे ऐसे जीव" घोंचू"(बैकवर्ड) माने जाते हैं, जो किसी लड़की को पटा नही सकता या  जिसे कोई लड़की घास नही डालती( यहां लड़का घोड़े का प्रतीक है- हार्स पावर)ये पृथक से विवेचनीय है कि उनको कोई मिला नही या किसी ने उन्हें पसंद नही किया या सामाजिक / सांस्कृतिक दबाव मे प्रेम से वंचित(कुंवारे) रह गये। इनमें भी प्रकार हैं जैसे कोई अपनी पत्नी को प्रेमिका मानकर प्यार करता है, तो कोई विवाह पुर्व किसी के न मिलने का जिम्मेदार पत्नी को मानते हुए उससे प्रेमी का बदला लेने वाला प्रेम करता है। कुछ तो हारे को हरिनाम अर्थात इस मृत्युलोक मे आये हैं तो मनुष्य को प्रेम करना चाहिए (दुनिया मे आये हो तो लव करलो),यह मानकर विवशतावश पत्नी को प्यार करते हैं। कुछ को अपनी कलहपूर्ण वैवाहिक जीवन को पटरी पर लाने के लिए पत्नी से प्रेम का स्वांग करना पड़ता है, परंतु यह प्रेम के साथ धोखा है।पांचवे प्रकार के आधुनिक प्रेमी प्रेम को सतत बरकरार रखने के लिए "लिव इन" मे रहते हैं जिससे विवाह रूपी रोड रोलर के तले उनकी प्रेम की गिट्टियां दबकर बिखर न जायें।छठे प्रकार के प्रेमी "वन वे ट्रैफिक" की भांति " एकपक्षीय प्रेम " करते चले जाते हैं, ये निर्विकार , निस्पृह भाव प्रेमी होते हैं जो अपनी प्रेमिका की शादी मे तोरण द्वार सजाने से भी परहेज़ नही करते। ऐसे प्रेमियों को "इनडेंजर स्पेशीज" घोषित कर देना पड़ेगा।सातवें प्रकार के प्रेमी हमेशा प्रेम करते जाते हैं, जो भी मिला, जैसा मिला, जहाँ भी मिला, बस प्यार करते जाते हैं। ये जैविक अवस्था से परे प्रेमी जीव हैं, इनपर उम्र- आयु का असर नही होता, नही सामाजिक बंधनों का। आठवें प्रकार के प्रेमी" कंडीशनल लव" करते हैं। जहाँ स्कोप है वो वहीं प्रेम करते हैं जैसे प्रेमिका की जाति ,आर्थिक स्थिति और परिवार की मौन सहमति के बाद प्रेम करना शुरू करते हैं। ऐसे प्रेमी ज्यादातर " दीदी तेरा देवर दीवाना" टाइप के प्रेमी होते हैं और" लव कम एरेंज मैरिज" को अंजाम देते हैं।" आम के आम गुठली के दाम" । नवें प्रकार का प्रेमी कुंठित होता है, प्यार मे धोखा खाया या हमें नही मिला तो इसे कैसे मिला! बस लाठी सोंटा उठाकर पिल पड़ा , अपने प्रतिद्वंद्वी प्रेमियों पर! इस प्रकार" प्रेमी नवरत्नों " से सजी इस पावन धरा पर प्रेम का पाठ पढाने और अपने नाम पर दिवस मनाते हुए प्रेम करने का संदेश देनेवाले महान संत" वेलेंटाइन" को हम याद करते हैं और यदि प्रेमियों के और कोई और प्रकार शेष रह गये हों तो उनसे बताने का निवेदन करते हैं।

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