" भागो ! अम्मा भागो" किशना जोर से चिल्लाया। खेत मे धान के बेहन लगा रहा था । अचानक नजर उठी तो उसे लगा कोई जानवर घात लगाये झाड़ियों के पीछे दुबका है। उसकी अम्मा उसके लिए " पनपिआई" लेकर आई थी, मेड़ पर बैठकर सुस्ता रही थी और उन सबको देख रही थी। "किशना भी अपने बाबा की तरह दिखता है ना! उसे वो पुराने दिन याद आ रहे थे जब उनकी नयी नयी शादी हुई थी और पहली बार वह घूंघट काढे किशना के बाबा के लिए पनपिआई लेकर यहाँ आई थी। आसपास के खेतों मे काम करनेवालों मे खुसूर फुसूर होने लगी थी। महिलाएं मुंह ढंक कर हंसने लगी थी।किशना के बाबा ने एक कौर अपने हाथों से तोड़कर उसके मुंह मे रख दिया था। सबको ठिठियाते देख दोनों शरमा भी गये थे। ख्यालों मे खोई अम्मा ने शोर सुनकर पलटकर देखा तबतक देर हो चुकी थी। आदमखोर ने झपट्टा मारकर पीछे से उसकी गर्दन दबोची और घसीटकर झाड़ियों की ओर ले जाने लगा। किशना के शोर को सुनकर आसपास के खेत मे कामकरने वाले कुदाल, खूरपी, बाल्टी, जिसको जो हाथ लगा ,लेकर दौड़े। संजीवन तो ट्रैक्टर दौड़ाते उसके पीछे दौड़ा। बाघ काफी तेजी से उसे घसीटते ले जा रहा था। अम्मा के प्राण तो ...