कालिंजर - बुंदेलखंड का अजेय किला
भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित कालिंजर का किला अपने में एक विस्तृत काल के इतिहास को समेटे हुआ अक्षुण्ण खड़ा है। इसकी गोद में न जाने कितने ऐतिहासिक महल, मंदिर, मूर्तियां, गुफाएं और रहस्यमयी कहानियां छुपी हुई है। कालिंजर अर्थात जिसने समय पर भी विजय पा लिया हो। कालिंजर शब्द का उल्लेख तो प्राचीन पौराणिक ग्रंथों में मिल जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सतयुग में यह स्थान कीर्तिनगर, त्रेतायुग में मध्यगढ़, द्वापर युग में सिंहलगढ़ और कलियुग में कालिंजर के नाम से विख्यात रहा है। सतयुग में कालिंजर चेदि नरेश राजा उपरिचरि बसु के अधीन रहा व इसकी राजधानी सूक्तिमति नगरी थी। त्रेता युग में यह कौशल राज्य के अन्तर्गत आ गया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार तब कोसल नरेश राम ने इसे भरवंशीय ब्राह्मणों को सौंप दिया था। किले मैं ही कोटितीर्थ के निकट लगभग बीस हजार वर्ष पुरानी शंख लिपि में लिखित स्थल है, जिसमें वनवास के समय भगवान राम के कालिंजर आगमन का उल्लेख किया गया है। श्रीर...