महंगी शादियों का अर्थशास्त्र
अक्सर लोग अपने घर की शादियों में जमकर खर्च करते हैं। इनमें से जो हैसियत और रसूख वाले हैं वो अपना स्टेटस मेंटेन करने के लिए ऐसा करते हैं तो वो लोग भी, जिनकी हैसियत उतनी नहीं है, उनसे प्रभावित होकर सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए खर्च करते हैं। प्रदर्शन की इच्छा तो गरीबों की भी होती है, तो वो इसे पूरा करने के लिए कर्ज में डूबे जाते हैं। पिछले दिनों अंबानी परिवार के वैवाहिक समारोहों को लेकर मीडिया में शादियों में किया जानेवाला खर्च, प्रदर्शन और उसकी उपयोगिता बहस का मुद्दा बन गया है। लेकिन इसका एक पक्ष और है जो हमारी बाजार और हमारे देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। एक अनुमान के अनुसार अंबानी परिवार की इस शादी में लगभग 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए जो उनकी हैसियत का 0.5 प्रतिशत ही था। अक्सर सामान्य लोग अपने घर की शादियों में अपनी हैसियत का 5 से 15 प्रतिशत तक खर्चा कर लेते हैं। शादियों में किया गया यह ख़र्च भी अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देता है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार देश...