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Showing posts from November, 2018

हम छुपाते रहे इश्क है.......पुस्तक समीक्षा ..यूं ही

यूं ही कोई शायर या कवि नहीं बनता । कहते हैं" वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकला होगा गान! लेकिन अपवाद भी होते हैं। यूं तो गीत गजल कविताओं का शौक पहले से हैं पर मैं इसके आयोजन- सम्म...

चौरासी----- समीक्षा

यूं तो " चौरासी" को काफी पहले पढ़ लिया था लेकिन समीक्षा लिखने के उहापोह मे कई दिन बीत गये। " त्रासदी यह है कि प्रेम हर मजहब का एक अंग है जबकि इसको खुद ही एक मजहब होना चाहिए था" उपन्य...

पंख होते तो उड़ आते रे

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नौकरी की जद्दोजहद मे उलझे और पर्व त्यौहार मे अपनो के साथ न रह पाने का मलाल