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Showing posts from June, 2025

एलिफेंट एंड ड्रैगन टैंगो

वैश्विक राजनीति में” एलिफेंट एंड ड्रैगन “ टर्म का उपयोग अक्सर क्रमश: भारत और चीन के आपसी संबंधों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है जो न केवल इनके आपसी संबंध बल्कि इनके संबंधों से क्षेत्रीय एवं वैश्विक मामलों में इनकी भूमिका की महत्ता को दिखाता है। इसको देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने अग्रसोची भू राजनैतिक हितों के दृष्टिगत हमेशा विश्व की महाशक्तियों तथा उभरती शक्तियों को ध्यान में रखकर अपनी वैश्विक राजनीति और कूटनीति को अपनाना चाहिए। इसे छोटे छोटे मसले जैसे पाकिस्तान या बांग्लादेश से उलझने के बजाय चीन को सामने रखकर प्लान बनाने चाहिए। भारत से टकराव की स्थिति बनाए रखना पाकिस्तान जैसे देशों के हित में है, क्योंकि यह इसे उसे भारत के समकक्ष आने में सहायता प्रदान करता है। वर्ष 1986 में पूर्व सेना प्रमुख जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी ने इंडिया टुडे पत्रिका के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि “भारत के लिए चीन ही असली खतरा है। पाकिस्तान से तो यूं ही चलते फिरते निपटा जा सकता है”। यह वक्तव्य भले ही सैन्य दृष्टिकोण से हो परंतु अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी यही सत्य है।   ...

नेपाल की भू राजनीतिक स्थिति

नेपाल-भारत के 'अद्वितीय' संबंधों का आधार 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि है जो आपसी प्राचीन संबंधों को स्वीकार करती है आयात और निर्यात व्यापार दोनों के मामले में भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जहाँ भारत नेपाल के दो-तिहाई से अधिक व्यापारिक व्यापार, सेवाओं के व्यापार का लगभग एक-तिहाई, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक-तिहाई, पेट्रोलियम आपूर्ति का 100% और भारत में काम करने वाले पेंशनभोगियों, पेशेवरों और श्रमिकों के खाते में आने वाले धन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दक्षिण एशिया के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के साथ, नेपाल में चीनी हितों और उनकी नीतियों में भी बदलाव आया है। नेपाल की विशिष्ट भू-अवस्थिति के कारण यह भारत के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। नेपाल भारत के लिये जल, आंतरिक सुरक्षा, बाह्य सुरक्षा और व्यापारिक हितों को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। नेपाल में जलविद्युत की व्यापक संभावनाएँ मौजूद हैं और भारत कई परियोजनाओं में नेपाल के साथ मिलकर भी काम कर रहा है, किंतु इसमें भारत और नेपाल के बीच बढ़ते अविश्वास और चीनी कम्पनियों की मौजूदगी...