भारत -पाक संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में भारतीय विदेश नीति
संकट के समय ही किसी व्यक्ति या देश की नीतियों और कार्यों की परीक्षा होती है । स्वाभाविक रूप से पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद भारत-पाक संघर्ष के दौरान भारतीय विदेश नीति की भी परीक्षा हुई और जिस तरह अन्य देशों का इसके प्रति रुख रहा, उससे आलोचकों द्वारा भारतीय विदेश नीति पर भी सवाल उठाए गए। ऐसी स्थिति में इसकी गहन समीक्षा आवश्यक प्रतीत होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा अचानक भारत-पाक युद्ध विराम की घोषणा करने तथा उसके शब्दीय तेवर ने सवालों को तीखा कर दिया। लेकिन ट्रंप के द्वारा बार-बार कहने के बावजूद भी भारत द्वारा अपने आधिकारिक वक्तव्य में उनका नाम ना लिए जाने से और उन्हें युद्ध विराम का क्रेडिट न मिलने के कारण उनमें एक तरह से खिसियाहट बढ़ गई है। उन्होंने यह खिसियाहट एपल कंपनी के टिम कुक पर निकाली और उसे मना कर दिया कि वो भारत में अब आइफोन का कारखाना नहीं लगायेंगे। संभव है, इसके पीछे उनका नेशन फर्स्ट और हालिया टैरिफ वार का नजरिया भी हो लेकिन वो एक तरह से भारत को इग्नोर कर उसे उसकी हैसियत से कम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। ...